'अरावली का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा हो जाएगा तबाह', जयराम रमेश बोले- PM मोदी की कथनी और करनी में कोई तालमेल नहीं

जयराम रमेश ने दावा किया कि इसका मतलब यह है कि अरावली का 90 प्रतिशत से कहीं अधिक हिस्सा संरक्षित नहीं होगा और खनन, रियल एस्टेट तथा अन्य गतिविधियों के लिए खोला जा सकता है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस ने अरावली के विषय को लेकर बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि पर्यावरण संबंधी चिंताओं पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वैश्विक स्तर की कथनी और उनकी स्थानीय स्तर की करनी के बीच कोई तालमेल नहीं है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि अरावली का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा नई पुनर्परिभाषा के तहत संरक्षित नहीं किया जाएगा और इसे खनन, रियल एस्टेट और अन्य गतिविधियों के लिए खोला जा सकता है जो पहले से ही तबाह पारिस्थितिकी तंत्र को और नुकसान पहुंचाएगा।

जयराम का पीएम मोदी पर निशाना

रमेश ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, "मोदी सरकार द्वारा अरावली की पुनर्परिभाषा, जो सभी विशेषज्ञों की राय के विपरीत है, खतरनाक और विनाशकारी है। भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 20 मीटर से अधिक ऊंची अरावली पहाड़ियों का केवल 8.7 प्रतिशत हिस्सा ही 100 मीटर से अधिक ऊंचा है।"

उन्होंने कहा, "यदि हम एफएसआई द्वारा पहचानी गई सभी अरावली पहाड़ियों को लें, एक प्रतिशत भी 100 मीटर से अधिक नहीं है। एफएसआई का मानना ​​है और यह सही भी है कि ऊंचाई की सीमाएं संदिग्ध हैं और ऊंचाई की परवाह किए बिना सभी अरावली को संरक्षित किया जाना चाहिए।"


रमेश ने दावा किया कि इसका मतलब यह है कि अरावली का 90 प्रतिशत से कहीं अधिक हिस्सा संरक्षित नहीं होगा और खनन, रियल एस्टेट तथा अन्य गतिविधियों के लिए खोला जा सकता है, जो पहले से ही बुरी तरह क्षतिग्रस्त इस पारिस्थितिकी तंत्र को और अधिक नुकसान पहुंचाएगा।

उनका कहना है कि यह सीधा और सरल सत्य है जिसे छुपाया नहीं जा सकता।

उन्होंने कहा, "यह पारिस्थितिकी संतुलन पर मोदी सरकार के दृढ़ हमले का एक और उदाहरण है जिसमें प्रदूषण मानकों को ढीला करना, पर्यावरण और वन कानूनों को कमजोर करना, राष्ट्रीय हरित अधिकरण और पर्यावरण प्रशासन के अन्य संस्थानों को कमजोर करना शामिल है। ’’

कांग्रेस महासचिव ने आरोप लगाया, "जब पर्यावरण संबंधी चिंताओं की बात आती है तो प्रधानमंत्री की वैश्विक स्तर पर कथनी और उनकी स्थानीय स्तर की करनी के बीच कोई तालमेल नहीं है।’’

पीटीआई के इनपुट के साथ