‘देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को तब्लीगी जमात से जोड़ना आधारहीन, मीडिया और नेताओं का झूठ बोलना चिंता की बात’

पिछले कुछ दिनों में देश में कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या में बहुत तेजी से वृद्धि दर्ज की गई है। जिसके बाद से कहा जाने लगा कि देश में कोरोना वायरस के फैलाव के लिए प्राथमिक तौर पर तबलीगी जमात के लोग जिम्मेदार है। लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों के एक समूह ने इस आरोप को गलत बताया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

पिछले कुछ दिनों में देश में कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या में बहुत तेजी से वृद्धि दर्ज की गई है। जिसके बाद से कहा जाने लगा कि देश में कोरोना वायरस के फैलाव के लिए प्राथमिक तौर पर तबलीगी जमात के लोग जिम्मेदार है। तबलीगी जमात पर देश में कोरोना को फैलाने के आरोप लग रहे हैं। लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों के एक समूह ने इस आरोप को गलत बताया है। महामारी के बारे में प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने और मिथकों का पर्दाफाश करने वाले एक समूह Indian Scientists’ Response to Covid-19 (ISRC) के वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है कि कुछ मीडिया आउटलेट्स और राजनेताओं ने जमात के मामले में शुरुआती तौर पर झूठ बोला। भारत और दूसरे देशों के 2,300 से अधिक लोग कई सरकारी एजेंसियों से मिली अनुमति के चलते बीते महीने दिल्ली में तब्लीगी जमात कार्यक्रम के लिए इकट्ठे हुए थे।

गौरतलब है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि भारत के एक तिहाई कोरोना मामलों को जमात की घटना से जोड़ा जा सकता है। कुल संख्या के बीच जमात घटना से जुड़े मामलों को उजागर करने वाले सरकार के बयानों ने सोशल मीडिया पर हैशटैग 'कोरोनाजेहद' सहित मुस्लिम विरोधी टिप्पणी शुरू कर दी थी। एक वेबसाइट ने पोस्ट किया था कि तब्लीगी जमात की घटना 'कोरोनोवायरस बम' में बदल गई है।

ISRC ने नस्लीय, धार्मिक या जातीय रेखाओं पर कोरोना वायरस के मामलों की प्रोफाइलिंग नहीं करने को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के बयान का हवाला देते हुए कहा, ‘हम महामारी के सांप्रदायिकरण के किसी भी प्रयास की कड़ी निंदा करते हैं।’


ISRC का कहना है कि कोरोना के प्रसार को किसी समुदाय, जाती या क्षेत्र से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। ISRC ने स्वास्थ्य मंत्रालय के दस्तावेज का हवाला भी दिया है, जिसमें इसे किसी से जोड़ने या किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराने की बात कही गई है। ISRC ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारों को जमाक के खिलाफ प्रशानसिन कदम उठाने चाहिए थे।

ISRC ने साथ ही कहा कि सरकार ने इस कार्यक्रम के उपस्थित लोगों और उनके संपर्कों के बीच कितने टेस्ट किए थे, इस बारे में डेटा जारी नहीं किया है। ऐसे में हम नहीं जानते कि इस मामले में पॉजिटिव पाए जाने वाले टेस्ट्स का असर सामान्य आबादी पर टेस्ट की तुलना में कैसे होता है,' ISRC ने मांग की है कि सरकार इस बाबत डेटा जारी करे।'

ISRC ने कहा कि देश भर में कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों की संख्या अब तक पुष्टि की गई संख्या से कहीं अधिक बड़ी है। आईएसआरसी ने कहा कि अखिल भारतीय स्तर पर संख्या की वृद्धि दर पर दिल्ली की घटना का प्रभाव स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बताई गई संख्या की तुलना में 'इस प्रकार काफी कम हो सकता है।’

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Published: 11 Apr 2020, 4:00 PM