देश में नमक की हो सकती है कमी, लॉकडाउन की वजह से ठप है उत्पादन, बारिश से पहले ही बंद हो जाएगा काम
लॉकडाउन के दौरान कई जगह से कई जरुरी चीजों की कमी की खबरें आती रही हैं। लेकिन इसी बीच खबर है कि आने वाले दिनों में देश में नमक की भी किल्लत हो सकती है। लॉकडाउन के चलते देश भर की कई उद्योग बंद हैं।

लॉकडाउन के दौरान कई जगह से कई जरुरी चीजों की कमी की खबरें आती रही हैं। लेकिन इसी बीच खबर है कि आने वाले दिनों में देश में नमक की भी किल्लत हो सकती है। लॉकडाउन के चलते देश भर की कई उद्योग बंद हैं। जिसकी वजह से कई वस्तुओं का उत्पादन ठप है और अब नमक पर भी इसका असर पड़ने की आशंका है। जनसत्ता के मुताबकि नमक की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि स्टॉक लगातार कम हो रहा है। ऐसे में पर्याप्त मात्रा में नमक तैयार कर पाना मुश्किल हो सकता है। लेबर की कमी, ट्रांसपोर्ट के अभाव और एक जिले से दूसरे जिले में जाने की पाबंदियों के चलते नमक उत्पादकों को काम ठप करने पर मजबूर होना पड़ा है। नमक की मैन्युफैक्चिंग का मुख्य सीजन अक्टूबर महीने से लेकर जून तक होता है।
नमक का उत्पादन सबसे ज्यादा मार्च और अप्रैल महीने के दौरान होता है। इसका सबसे ज्यादा उत्पादन गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में होता है। देश के 95 फीसदी नमक का उत्पादन इन्हीं पांच राज्यों में होता है। इसके अलावा महाराष्ट्र, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भी नमक का कुछ उत्पादन होता है। इस तरह ये सभी राज्य मिलकर साल भर में 200 से 250 लाख टन तक नमक का उत्पादन करते हैं। इंडियन सॉल्ट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भारत रावल के मुताबिक, ‘हमने आधा मार्च खो दिया। अप्रैल में भी कोई उत्पादन नहीं हुआ। मुख्य सीजन में हमने 40 दिनों तक कोई काम नहीं किया। नमक उत्पादन के मामले में यदि हम मार्च या अप्रैल में से किसी एक महीने काम नहीं कर पाते हैं तो यह इंडस्ट्री में 4 महीने के नुकसान के बराबर है।’
गौरतलब है कि हमारे देश में हर साल 95 लाख टन नमक का इस्तेमाल खाने के लिए किया जाता है। वहीं इंडस्ट्री में करीब 110 से 130 लाख नमक टन का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा बचे हुए 58 से 60 लाख टन तक नमक अन्य देशों को निर्यात किया जाता है, जो भारत पर निर्भर हैं। पावर प्लांट, ऑयल रिफाइनरीज, सोलर पावर कंपनियों, केमिकल मैन्युफैक्चरर्स, टेक्सटाइल मेकर्स, दवा निर्मात कंपनियों और चमड़ा उद्योग के काम में नमक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है।
ISMA अध्यक्ष भारत रावल का कहना है कि हम यह नहीं कह सकते कि नमक के उत्पादन को लेकर हमने जो वक्त गंवाया है, उसकी भरपाई कर पाएंगे या फिर नहीं। उन्होंने कहा कि अभी 45 दिनों का वक्त ही बचा है। बता दें कि बरसात में नमक का उत्पादन नहीं होता। इसका उत्पादन अक्टूबर से जून के बीच ही होता है। रावल ने कहा कि यदि इस साल बारिश में कुछ देरी होती है तो हमें नमक उत्पादन के लिए कुछ अतिरिक्त दिन मिल सकते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो हमें इसी स्थिति के बीच ही काम को बंद करना होगा।
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Published: 07 May 2020, 1:30 PM