US स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइपे से रवाना होते ही चीन की कार्रवाई, ताइवान एयर डिफेंस एरिया में भेजे 27 फाइटर जेट

27 चीनी युद्धक विमानों ने बुधवार को ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में उड़ान भरी। दरअसल चीन के भारी विरोध के बीच पेलोसी ने ताइवान यात्रा की थी। अब उनके जाते ही चीन के युद्धक विमान ताइवान की सीमा में मंडराने लगे।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया
user

नवजीवन डेस्क

अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी के ताइपे से रवाना होते ही चीन ने बड़ी कार्रवाई की है। यूएस स्पीकर के दौरे से बौखलाए चीन के फाइटर जेट ताइवान की सीमा में घुस गए। जानकारी के मुताबिक 27 चीनी युद्धक विमानों ने बुधवार को ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में उड़ान भरी। दरअसल चीन के भारी विरोध के बीच पेलोसी ने ताइवान यात्रा की थी। अब उनके जाते ही चीन के युद्धक विमान ताइवान की सीमा में मंडराने लगे।

इसे भी पढ़ें- बीजिंग की चेतावनियों के बावजूद ताइवान पहुंची US स्पीकर नैंसी पेलोसी, नाराज चीन ने सैन्‍य अभ्‍यास का किया ऐलान

बुधवार को ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा, "27 पीएलए विमान 3 अगस्त, 2022 को (चीन गणराज्य) के आसपास के क्षेत्र में घुस गए।" इससे पहले, ताइवान की यात्रा पर पहुंचे अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने कहा था कि अमेरिका स्वशासी द्वीप के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं से पीछे नहीं हटेगा।


आपको बता दें, अमेरिका की हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी चीन की कड़ी चेतावनियों के बावजूद मंगलवार को मंगलवार को ताइवान पहुंची। नैंसी पेलोसी और कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने ताइवान पहुंचने पर एक बयान भी जारी किया था।

बयान में क्या कहा गया है?

  • बयान में कहा गया कि हमारे कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल की ताइवान यात्रा ताइवान के जीवंत लोकतंत्र का समर्थन करने के लिए अमेरिका की अटूट प्रतिबद्धता का सम्मान करती है।

  • "हमारी यात्रा सिंगापुर, मलेशिया, दक्षिण कोरिया और जापान सहित भारत-प्रशांत की हमारी व्यापक यात्रा का हिस्सा है- आपसी सुरक्षा, आर्थिक साझेदारी और लोकतांत्रिक शासन पर केंद्रित है।

  • ताइवान नेतृत्व के साथ हमारी चर्चा हमारे साथी के लिए हमारे समर्थन की पुष्टि और एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को आगे बढ़ाने सहित हमारे साझा हितों को बढ़ावा देने पर करने पर केंद्रित होगी।"

  • बयान में आगे कहा गया है कि "ताइवान के 23 मिलियन लोगों के साथ अमेरिका की एकजुटता आज पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि दुनिया निरंकुशता और लोकतंत्र के बीच एक विकल्प का सामना कर रही है।"

नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर क्या बोला चीन?

उधर, चीन ने इसे अमेरिका की उकसाने वाली कार्रवाई बताया है। चीन विदेश मंत्री ने कहा, इस दौरे ने चीन और अमेरिका के रिश्ते को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। पेलोसी के ताइवान पहुंचने से चीन ने मिसाइल टेस्‍ट और सैन्‍य अभ्‍यास का ऐलान किया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "संयुक्त राज्य अमेरिका... 'वन चाइना' सिद्धांत को लगातार विकृत, अस्पष्ट और खोखला कर रहा है।" बयान में कहा गया है कि, "ये चालें आग से खेलने जैसी बेहद खतरनाक हैं। जो आग से खेलेंगे वे नष्ट हो जाएंगे।

  • चीन का कहना है कि इस यात्रा का चीन-अमेरिका के राजनीतिक संबंधों पर गहरा असर पड़ा है और यह चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का गंभीर उल्‍लंघन है। यह ताइवान जलडमररूमध्‍य (Taiwan Strait) में शांति और स्थिरता को कमजोर करता है और "ताइवान स्‍वतंत्रता" के लिए अलगाववादी ताकतों को गलत संदेश भेजता है। जहां तक चीन की बात है, वह इसका पुरजोर विरोध करता है और कड़ी निंदा करता है। हमने अमेरिका के समक्ष इसको लेकर कड़ा विरोध जताया है।

  • चीन का कहना है कि उसे (चीन को) नियंत्रित करने के लिए अमेरिका, ताइवान का इस्‍तेमाल करने का प्रयास कर रहा है। यह "एक चीन" के सिद्धांत को विकृत करता है, ताइवान के साथ आधिकारिक आदान-प्रदान को बढ़ाता है और "ताइवान की स्‍वतंत्रता" के लिए अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देता है।

  • बीजिंग की ओर से कहा गया है, "चीन और अमेरिका दो प्रमुख देश हैं। इनके लिए एक-दूसरे के बाद पेश आने का सही तरीका आपसी सम्‍मान, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्‍व, कोई टकराव नहीं और आपसी सहयोग में निहित है। ताइवान, पूरी तरह से चीन का आंतरिक मामला है और किसी अन्‍य देश को इस पर जज की तरह पेश आने का अधिकार नहीं है। हम, अमेरिका से "ताइवान कार्ड" खेलने से बाज आने और चीन को रोकने के लिए ताइवान को इस्‍तेमाल नहीं करने का आग्रह करता है।


चीन और ताइवान की जंग किस बात पर है?

1949 में कम्यूनिस्ट पार्टी ने सिविल वार जीती थी। तब से दोनों हिस्से अपने आप को एक देश तो मानते हैं लेकिन इसपर विवाद है कि राष्ट्रीय नेतृत्व कौन सी सरकार करेगी। चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है, जबकि ताइवान खुद को आजाद देश मानता है। दोनों के बीच अनबन की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हुई। उस समय चीन के मेनलैंड में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और कुओमितांग के बीच जंग चल रही थी।

1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया। हार के बाद कुओमितांग के लोग ताइवान आ गए। उसी साल चीन का नाम 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' और ताइवान का 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा।

चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है और उसका मानना है कि एक दिन ताइवान उसका हिस्सा बन जाएगा। वहीं, ताइवान खुद को आजाद देश बताता है। उसका अपना संविधान है और वहां चुनी हुई सरकार है।ताइवान चीन के दक्षिण पूर्व तट से करीब 100 मील दूर एक आइसलैंड है। चीन और ताइवान, दोनों ही एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते। अभी दुनिया के केवल 13 देश ही ताइवान को एक अलग संप्रभु और आजाद देश मानते हैं।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia