ताइवान यात्रा के बाद चीन ने US स्पीकर नैंसी पेलोसी पर लगाया प्रतिबंध, यूरोपीय देशों के राजदूतों को भी किया तलब

पेलोसी ने चीन की धमकियों की परवाह किए बगैर पिछले शनिवार को ताइवान का एक दिन का दौरा किया था। इस दौरे के बाद से चीन बुरी तरह से बौखला गया है और धमकी पर धमकी दे रहा है।

फोटो: @iingwen
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नवजीवन डेस्क

यूएस स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद से चीन बेचैन नजर आ रहा है। कभी वो अमेरिका को धमकी देता है, तो कभी नैंसी के ताइवे से रवाना होने के बाद ही ताइवान में अपने फाइटर जेट भेजकर अपना गुस्सा दुनिया को दिखाना चाहता है। इन सबके बीच अब नैंसी के खिलाफ चीन ने एक और कार्रवाई की है। दरअसल, चीनी विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी और उनके परिवार के सदस्यों को प्रतिबंधित करने की घोषणा की है।

स्थिरता के लिए बताया खतरा

  • चीन ने उन पर गंभीर चिंता और दृढ़ विरोध की अवहेलना का आरोप लगाया है और चीन के ताइवान क्षेत्र का दौरा करने पर जोर दिया।

  • चीन के विदेशी मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि यह चीन के आंतरिक मामलों में गंभीरता से हस्तक्षेप करता है, चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करता है, एक-चीन सिद्धांत को रौंदता है और ताइवान स्ट्रेट्स में शांति और स्थिरता के लिए खतरा है।

गौरतलब है कि पेलोसी ने चीन की धमकियों की परवाह किए बगैर पिछले शनिवार को ताइवान का एक दिन का दौरा किया था। इस दौरे के बाद से चीन बुरी तरह से बौखला गया है और धमकी पर धमकी दे रहा है।

चीन ने यूरोपीय देशों के राजदूतों को किया तलब

इसके अलावा पैलोसी की ताइवान यात्रा से भड़के चीन ने यूरोपियन यूनियन में शामिल सात देशों के राजदूतों को तलब किया है। चीन ने इन लोगों के साझा बयान का विरोध दर्ज कराया है। इन देशों की ओर से साझा बयान में कहा गया था कि ताइवान की सीमा पर चीन का सैन्य अभ्यास गलत है और इसे तत्काल रोक देना चाहिए। उधर चीन का कहना है कि ये बयान हमारे आंतरिक मामलों में दखल है।

इससे पहले अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी के तीन अगस्त को ताइपे से रवाना होते ही चीन ने बड़ी कार्रवाई की है। यूएस स्पीकर के दौरे से बौखलाए चीन के फाइटर जेट ताइवान की सीमा में घुस गए। जानकारी के मुताबिक 27 चीनी युद्धक विमानों ने बुधवार को ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में उड़ान भरी। दरअसल चीन के भारी विरोध के बीच पेलोसी ने ताइवान यात्रा की थी। अब उनके जाते ही चीन के युद्धक विमान ताइवान की सीमा में मंडराने लगे।

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चीन और ताइवान की जंग किस बात पर है?

1949 में कम्यूनिस्ट पार्टी ने सिविल वार जीती थी। तब से दोनों हिस्से अपने आप को एक देश तो मानते हैं लेकिन इसपर विवाद है कि राष्ट्रीय नेतृत्व कौन सी सरकार करेगी। चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है, जबकि ताइवान खुद को आजाद देश मानता है। दोनों के बीच अनबन की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हुई। उस समय चीन के मेनलैंड में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और कुओमितांग के बीच जंग चल रही थी।

1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया। हार के बाद कुओमितांग के लोग ताइवान आ गए। उसी साल चीन का नाम 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' और ताइवान का 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा।

चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है और उसका मानना है कि एक दिन ताइवान उसका हिस्सा बन जाएगा। वहीं, ताइवान खुद को आजाद देश बताता है। उसका अपना संविधान है और वहां चुनी हुई सरकार है।ताइवान चीन के दक्षिण पूर्व तट से करीब 100 मील दूर एक आइसलैंड है। चीन और ताइवान, दोनों ही एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते। अभी दुनिया के केवल 13 देश ही ताइवान को एक अलग संप्रभु और आजाद देश मानते हैं।

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