भूकंप से तबाही के बीच तुर्की में 'देवदूत' बनकर पहुंचे ये चार कुत्ते! NDRF की टीम के साथ मिलकर ऐसे बचा रहे हैं लोगों की जान

जूली, रोमियो, हनी और रेम्बो तुर्की में रेस्क्यू अभियान में भारत से गई NDRF टीम की मदद कर रहे हैं। अब तक तुर्की और सीरिया में भूकंप से 8 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

तुर्की और सीरिया में भूकंप के कहर से अब तक 8 हजार से ज्यादा लोगों की मौत की खबर सामने आई है। जानकारी के मुताबिक करीब 35 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। मृतकों और घायलों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। बताया जा रहा है कि बड़ी तादाद में लोग मलबे के नीचे फंसे हुए हैं। जिन्हें बचाने की कोशिशें जारी है। इसी कोशिश में जूली, रोमियो, हनी और रेम्बो भी लगे हुए हैं। जी हां लोगों को बचाने के लिए ये खोजी कुत्ते भी दिन रात मेहनत कर रहे हैं।

बता दें, जूली, रोमियो, हनी और रेम्बो तुर्की में रेस्क्यू अभियान में भारत से गई NDRF टीम की मदद कर रहे हैं। दरअसल, जूली, रोमियो, हनी और रेम्बो उन चार सदस्यीय डॉग स्क्वायड में शामिल हैं, जिन्हें रेस्क्यू के लिए NDRF की टीम के साथ तुर्की भेजा गया है। NDRF की 101 सदस्यों वाली टीम भूकंप प्रभावित तुर्की में बचाव कार्यों में जुटी हुई है। डॉग स्क्वॉड को तुर्की भेजे जाने के मकसद के बारे में बताया जा रहा है कि लैब्राडोर नस्ल के ये चारों डॉग्स काफी अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं। ये चारों आपदा प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्यों के दौरान सूंघने और अन्य महत्वपूर्ण कौशल में भी माहिर हैं।

लैब्राडोर नस्ल के हैं ये डॉग स्क्वॉड

विशेष रूप से प्रशिक्षित लैब्राडोर नस्ल के ये डॉग स्क्वॉड आपदा प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्यों के दौरान सूंघने और अन्य महत्वपूर्ण कौशल में विशेषज्ञ हैं, मंगलवार को एनडीआरएफ की दो अलग-अलग टीमों के साथ भारत से तुर्की के लिए रवाना हुए- एक 51 सदस्यीय टीम जो वहां पहुंची। सुबह और 50 सदस्यीय टीम शाम तक पहुंच गई। NDRF के महानिदेशक अतुल करवाल ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि डॉग स्क्वायड और 101 टीम के सदस्य हर तरह से सभी आवश्यक अत्याधुनिक उपकरणों से लैस हैं।

अधिकारी ने कहा कि NDRF की टीम तुर्की के स्थानीय अधिकारियों को जरूरत के मुताबिक राहत और बचाव कार्यों में मदद कर रही है। NDRF की टुकड़ी का नेतृत्व कमांडेंट गुरमिंदर सिंह कर रहे हैं। साथ ही आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए डॉक्टर और पैरामेडिक्स भी हैं। एनडीआरएफ की टुकड़ी का नेतृत्व कमांडेंट गुरमिंदर सिंह कर रहे हैं, साथ ही आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए डॉक्टर और पैरामेडिक्स भी हैं। गृह मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि भारत सरकार भूकंप से निपटने के लिए तुर्की सरकार को इस संकट की स्थिति में सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।


2006 में हुआ था NDRF का गठन

आपको बता दें, 2011 में जापान की ट्रिपल आपदा और 2015 में नेपाल भूकंप के बाद विश्व स्तर पर प्रशंसित, NDRF को अपनी स्थापना के बाद से चौथी बार तुर्की में बड़े पैमाने पर भूकंप से निपटने का काम सौंपा गया है, जहां अबतक 4 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। आपको बता दें कि 2006 में एनडीआरएफ का गठन किया गया था। NDRF की टीम को पहली बार 2011 में जापान में एक अंतरराष्ट्रीय बचाव अभियान के लिए भेजा गया था। इसके बाद 2015 में नेपाल भूकंप के दौरान भी टीम को राहत बचाव कार्य के लिए भेजा गया था। अब एक बार फिर एनडीआरएफ की टीम को भूकंप प्रभावित तुर्की की मदद करने का काम सौंपा गया है।

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