वेनेजुएला के पास दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडार, लेकिन एक-एक रोटी के लिए तरस रही है जनता

महंगाई में 8000 फीसदी बढोतरी से जूझ रहे वेनेजुएला में सत्ता का संघर्ष छिड़ा हुआ है। इस संघर्ष की वजह से देश भयंकर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। हालत ये है कि लोग एक रोटी के लिए तरस रहे हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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डॉयचे वेले

एलिजाबेथ पिनेडा वेनेजुएला की राजधानी काराकस में रहती हैं। वह सचिव पद से सेवानिवृत्त हुई हैं और अब 18,000 बोलिवर प्रतिमाह की पेंशन पर गुजारा करती हैं। सुनने में 18,000 बोलिवर भले ही बड़ी रकम लगे, लेकिन इसकी कीमत मात्र 6 अमेरिकी डॉलर है। एलिजाबेथ दो लोगों के साथ एक कटोरा मीट सूप साझा करती हैं, जिसका बिल आता है 1.50 अमेरिकी डॉलर। यानी 4 कप सूप में एक महीने की पेंशन खत्म। इससे साफ समझा जा सकता है कि वेनेजुएला में महंगाई किस हद तक पहुंच चुकी है।

देश का एक तबका और विपक्षी पार्टियां 35 साल के नौजवान खुआन गुआइदो के समर्थन में खड़ी हो चुकी हैं। राष्ट्रपति निकोला मादुरो को चुनौती दे रहे गुआइदो खुद को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित कर चुके हैं। अमेरिका और जर्मनी समेत कई पश्चिमी देश गुआइदो का समर्थन कर चुके हैं। वहीं रूस और चीन बाहरी देशों से वेनेजुएला में दखल नहीं देने की अपील कर रहे हैं।

राजनीतिक तौर पर कई घटनाएं एक साथ एलिजाबेथ पिनेडा के सामने घट रही हैं। वह राष्ट्रपति निकोला मादुरो से तंग आ चुकी हैं। वह कहती हैं, “सरकार अपने बुरे फैसलों और शर्मनाक हरकतों से हमारा और ज्यादा दम घोंटेगी।” एलिजाबेथ घर चलाने के लिए ज्योतिष का काम भी करती हैं। वह दावा करती हैं कि मादुरो जल्दी और शांति से नहीं जाने वाले हैं।

अर्थशास्त्री भी इस बात पर सहमत हैं कि अमेरिका समर्थित गुआइदो और मादुरो के बीच राजनीतिक संघर्ष जितना लंबा चलेगा, उतना ही ज्यादा खामियाजा आम लोगों को उठाना पड़ेगा। मादुरो को सेना का समर्थन हासिल है। वहीं गुआइदो को सेना से तख्तापलट की उम्मीद है।

वेनेजुएला के पास दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडार है। इस भंडार की कमान मादुरो के हाथों में है। लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते मादुरो शायद ही इस भंडार का फायदा उठा सकें। 25 जनवरी 2018 को अमेरिका के संघीय रिजर्व ने कुछ दिशा निर्देश जारी किए। इन दिशा निर्देशों के बाद मादुरो विदेशों से होने वाली आय का ना के बराबर लाभ उठा सकेंगे। वेनेजुएला का 1.2 अरब डॉलर का स्वर्ण भंडार भी बैंक ऑफ इंग्लैंड की तिजोरी में है। फेडरल रिजर्व के फैसलों के बाद मादुरो इसका इस्तेमाल भी नहीं कर सकेंगे।

यूरोपीय संघ ने मादुरो से कहा है कि अगर उन्होंने 8 दिन के भीतर नए चुनावों का एलान नहीं किया तो ईयू गुआइदो को अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में मान्यता दे देगा। अगर ऐसा हुआ तो वेनेजुएला का तेल उत्पादन काफी हद तक ठप पड़ जाएगा। वहीं, 2.9 करोड़ की आबादी वाले देश में महंगाई पहले ही आसमान छू रही है और पूरे देश में खाने की किल्लत लगातार हो रही है, जिसके और गंभीर होने की आशंका है।

न्यूयॉर्क के टोरिनो कैपिटल के चीफ इकोनॉमिस्ट फ्रांसिस्को रोड्रिगेज कहते हैं, “अगर मादुरो सत्ता में रहते हैं तो वेनेजुएला मानवीय त्रासदी का सामना कर सकता है।” रोड्रिगेज वेनेजुएला की तुलना 2011 के लीबिया से करते हैं। 2011 में ओबामा प्रशासन ने लीबिया सरकार की संपत्तियां सीज कर दी थीं। अमेरिका के कड़े फैसलों के चलते लीबिया का तेल उत्पादन 70 फीसदी गिर गया है। 1990 के दशक में कुवैत पर हमले के बाद इराक पर ऐसे ही प्रतिबंध लगाए गए थे, लेकिन तब अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मशविरा किया गया था।

हालांकि, अप्रैल 2013 से वेनेजुएला के राष्ट्रपति मादुरो को अब भी उम्मीद है कि चीन और रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसकी मदद करेंगे। ये दोनों देश सुरक्षा परिषद में ऐसे प्रतिबंधों को वीटो अधिकार से रोक देंगे। हालांकि, इस समय वेनेजुएला की 90 फीसदी आबादी गरीबी की चपेट में है। 2014 में गरीब आबादी की संख्या करीब 48 फीसदी थी, जो चार साल के भीतर तकरीबन दोगुनी हो चुकी है।

अंतरराष्ट्रीय राजनीति के ये दाव-पेंच एलिजाबेथ पिनाडो की समझ से परे हैं। वह कहती हैं, “पहले तो हमें खाने के लिए रोटी मिलनी चाहिए, पीने के लिए पानी मिलना चाहिए। इस स्थिति से बाहर निकलना ही हमारे लिए इनाम होगा।”

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Published: 28 Jan 2019, 9:50 PM