कर्पूरी ठाकुर के गांव दौरे से पहले कांग्रेस का PM से 3 तीखे सवाल, 'क्या अपने वैचारिक पूर्वजों की गलती मानेंगे मोदी?'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर्पूरी ठाकुर के गांव दौरे से पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने तीन बड़े सवाल उठाए। उन्होंने 1978 की आरक्षण नीति, जाति जनगणना और बिहार के आरक्षण प्रस्ताव को लेकर बीजेपी पर हमला बोला है।

बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के पैतृक गांव का दौरा करने जा रहे हैं। इस दौरे से पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री से तीन सीधे सवाल पूछे हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट साझा करते हुए बीजेपी और उसके वैचारिक संगठन आरएसएस पर कर्पूरी ठाकुर की नीतियों का विरोध करने का आरोप लगाया है।
पहला सवाल: क्या प्रधानमंत्री अपने वैचारिक पूर्वजों की गलती मानेंगे?
जयराम रमेश ने पहला सवाल करते हुए कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने 1978 में पिछड़े वर्गों को 26 प्रतिशत आरक्षण देकर सामाजिक न्याय की मजबूत नींव रखी थी। लेकिन उस समय जनसंघ और आरएसएस ने इस नीति का खुलकर विरोध किया था।
उन्होंने आरोप लगाया कि उस दौर में जनसंघ-आरएसएस से जुड़े लोगों ने सड़कों पर उतरकर कर्पूरी ठाकुर के खिलाफ नारे लगाए थे और उनकी सरकार को अस्थिर करने में भी भूमिका निभाई थी।
जयराम रमेश ने सवाल उठाया कि "क्या प्रधानमंत्री मोदी आज उस ऐतिहासिक गलती के लिए अपने वैचारिक पूर्वजों की ओर से देश से माफी मांगेंगे?"
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दूसरा सवाल: जाति जनगणना को "अर्बन नक्सल एजेंडा" कहना क्या सही था?
कांग्रेस महासचिव ने दूसरा सवाल उठाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी ने कांग्रेस की जाति जनगणना की मांग को "अर्बन नक्सल एजेंडा" बताकर करोड़ों दलितों, पिछड़ों, अति पिछड़ों और आदिवासियों का अपमान किया।
उन्होंने याद दिलाया कि मोदी सरकार ने 20 जुलाई 2021 को संसद में और 21 सितंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट में जाति आधारित जनगणना कराने से साफ इनकार किया था।
जयराम रमेश ने कहा कि सरकार ने बहुसंख्यक वंचित वर्गों की वैध मांग को लंबे समय तक अनदेखा किया, "क्या प्रधानमंत्री इससे इनकार कर सकते हैं?"
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तीसरा सवाल: बिहार के 65% आरक्षण को 9वीं अनुसूची में क्यों नहीं डाला गया?
जयराम रमेश ने पूछा कि प्रधानमंत्री और उनकी “डबल इंजन सरकार” ने बिहार विधानसभा द्वारा पारित उस प्रस्ताव को 9वीं अनुसूची में शामिल क्यों नहीं किया, जिसमें पिछड़ों, अति पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के आरक्षण को 65 फीसदी तक बढ़ाने की बात कही गई थी?
रमेश ने उदाहरण देते हुए कहा, "कांग्रेस सरकार ने 1994 में तमिलनाडु के 69 फीसदी आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल कर संवैधानिक सुरक्षा दी थी। फिर बिहार को वही सुरक्षा क्यों नहीं दी गई?"
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कर्पूरी ठाकुर की विरासत सामाजिक न्याय का प्रतीक
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर जी का जीवन सामाजिक न्याय, समानता और समावेश की लड़ाई का प्रतीक रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि आज बीजेपी उस विरासत का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रही है, जबकि उनके वैचारिक संगठन (RSS) ने कभी इसी नीतियों का विरोध किया था।