बिहार: कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर साधा निशाना, कहा- लोकतंत्र को कमजोर करना है SIR का मकसद
जयराम रमेश ने कहा कि कागजी कार्रवाई और जागरूकता की कमी के कारण कई पात्र नागरिक अब भी नामांकन से वंचित हैं। निर्वाचन आयोग का ध्यान समावेशन पर होना चाहिए, न कि बहिष्करण पर।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का मकसद मतदाता सूचियों को शुद्ध करने से ज्यादा लोकतंत्र को खत्म करने का है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक खबर का हवाला देते हुए निर्वाचन आयोग पर निशाना साधा।
जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘2024 के लोकसभा चुनाव के ठीक बाद बिहार के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में निर्वाचन आयोग द्वारा किए गए 2024 ‘केएपी’ (ज्ञान, दृष्टिकोण और अभ्यास) सर्वेक्षण में कहा गया है कि मतदाता सूचियां पहले से ही 'लगभग पूर्ण सटीक' हैं।"
उन्होंने कहा, "कागजी कार्रवाई और जागरूकता की कमी के कारण कई पात्र नागरिक अब भी नामांकन से वंचित हैं। निर्वाचन आयोग का ध्यान समावेशन पर होना चाहिए, न कि बहिष्करण पर, क्योंकि कई उत्तरदाताओं ने अपने मतदाता पहचान पत्र प्राप्त करने में आने वाली जटिलताओं का हवाला दिया था।"
उन्होंने कहा कि स्पष्ट रूप से निर्वाचन आयोग ने जनवरी 2025 तक बिहार की मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की कोई अनिवार्य आवश्यकता नहीं समझी थी।
कांग्रेस नेता ने सवाल किया, "तब से क्या बदला है? क्या यह बिहार में धांधली वाले चुनाव के वादे के जरिए अपने पद को सुरक्षित रखने और अपने जर्जर राजग गठबंधन को बचाने के लिए बेताब प्रधानमंत्री की दलील थी?"
जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि इस एसआईआर का मकसद मतदाता सूचियों को शुद्ध करना कम, बल्कि लोकतंत्र को ही कमजोर करना ज्यादा है।
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