झारखंड सरकार में बड़ा घोटाला उजागर, राशन बांटने के लिए लगाई आधार मशीनों के नाम पर हो गई ₹ 222 करोड़ की लूट

भ्रष्टाचार मुक्त शासन का दावा करने वाली बीजेपी की राज्य सरकारों में आम लोगों के करोड़ों रुपए लूटे जा रहे हैं। ताज़ा मामला झारखंड में रघुबर दास की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार का सामने आया है, जहां राशन बांटने के लिए लगाई गई आधार मशीनों के नाम पर ₹ 222 करोड़ का घोटाला कर दिया गया।

फोटो : सोशल मीडिया
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ऐशलिन मैथ्यू

रघुबरदास सरकार ने झारखंड में सार्वजनिक प्रणाली के तहत राशन बांटने के लिए पीओएस मशीनों का इस्तेमाल शुरु किया था। इसके तहत उपभोक्ताओं को राशन की दुकानों पर आधार पुष्टिकरण के बाद राशन दिया जाता है। इसके लिए सरकार ने पूरे झारखंड में करीब 26,000 पीओएस मशीने लगाईं।

लेकिन, इन्हीं मशीनों को लगाने में भ्रष्टाचार की लूट मचा दी गई। दरअसल एक पीओएस मशीन की आम कीमत ₹ 5000 के आसपास होती है। यानी अगर सरकार 26,000 मशीने खरीदती तो इसके लिए उसे एक बार करीब ₹ 13 करोड़ खर्च करने पड़ते। लेकिन सरकार ने ऐसा न करके इन मशीनों को किराए पर लिया और प्रति मशीन करीब ₹1500 का भुगतान किया।

झारखंड में सक्रिय आरटीआई कार्यकर्ता गणेश ने इस सिलसिले में आरटीआई के तहत जानकारी हासिल की तो सारा सच सामने आ गया। आरटीआई के जवाब में सरकार ने माना कि प्रति पीओएस मशीन ₹1474.5 हर महीने भुगतान किया जा रहा है। सरकार ने बतायाकि राज्य की कुल 25,735 पीडीएस दुकानों (सरकारी सस्ते राशन की दुकान) के लिए 25,115 मशीनें उपलब्ध कराई गईं। इस तरह प्रत्येक मशीन के लिए सरकार ने बीते 5 साल में ₹ 88,470 रुपए खर्च किए। इस तरह कुल 25,735 मशीनों के लिए ₹ 2,22,19,24,050 करोड़ (₹ 222 करोड़) खर्च किए गए।

फोटो : गणेश
फोटो : गणेश
आरटीआई कार्यकर्ता गणेश को मिले सरकारी जवाब

आरटीआई कार्यकर्ता गणेश का कहना है कि शुरु में तो झारखंड सरकार के सार्वजनिक वितरण प्रणाली और खाद्य विभाग ने जानकारी देने से इनकार कर दिया था, लकिन जब उन्होंने इसके लिए दो बार अपील की तो ये जानकारियां उपलब्ध कराई गईं। झारखंड सरकार में में खाद्य विभाग राज्य में बीजेपी के चाणक्य समझे जाने वाले सरयू राय के पास है। कहा जाता है कि सरयू राय ने ही बिहार में चारा घोटाले का पर्दाफाश किया था, जिसमें आरजेडी सुप्रीम लालू प्रसाद यादव फंसे हुए हैं। साथ ही उन्होंने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कौड़ा के भ्रष्टाचार का भी खुलासा किया था।

आरटीआई जवाब से साफ होता है कि झारखंड सरकार अगर इन मशीनों को खरीदती को उसे सिर्फ एक बार करीब ₹12.5 करोड़ खर्च करने पड़ते, लेकिन इन मशीनों को किराए पर लेकर ₹ 200 करोड़ से ज्यादा का घोटाला कर दिया गया।

जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक सरकार ने पीओएस मशीनें उपलब्ध कराने के लिए दो कंपनियों को ठेका दिया है। एक है महेश कुमार जैन की इंटिग्रा माइक्रो सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड। यह कंपनी बेंग्लुरु में स्थित है। दूसरी कंपनी है एक कृष्णा प्रसाद की लिंकवेल टेलीसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड, जो हैदराबाद में स्थित है। महेश कुमार जैन की कंपनी को संथाल परगना क्षेत्र में ठेका मिला है। इस इलाके में गोड्डा, देवघर, दुमका, जमतारा, साहिबगंज और पाकुड़ जिले आते हैं। जबकि कृष्णा प्रसाद की कंपनी को बाकी सभी 8 जिलों का ठेका मिला है।

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झारखंड सरकार ने इस प्रोजेक्ट को बूट (बिल्ट ओन ऑपरेट ट्रांसफर) मॉडल में शामिल किया है। लेकिन इस प्रोजेक्ट में यह स्पष्ट नहीं है कि ठेकेदार कंपनियां क्या निर्माण करतीं, क्या ऑपरेट करतीं और क्या ट्रांसफर करतीं? सड़कों और बंदरगाहों में तो निर्माण आदि होते हैं, जिन्हें बनाकर, चलाकर फिर सरकार को सौंपा जाता है। लेकिन, इस परियोजना में तो सिर्फ मशीनें ही दुकानों पर लगानी थीं।

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