कैफे कॉफी डे संस्थापक सिद्धार्थ को आईटी ने 10 दिन में की थीं दर्जनों कॉल, पत्र में प्रताड़ना का जिक्र

मंगलूरू पुलिस ने वीजी सिद्धार्थ के फोन की जांच के बाद खुलासा किया है कि 10 दिनों के अंदर वीजी सिद्धार्थ के पास आयकर की दर्जनों कॉल आई थी। इससे पहले उनके पत्र वायरल होने के बाद खुलासा हुआ था कि आयकर विभाग ने अनुचित कार्रवाई करते हुए उन्हें परेशान किया था।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कैफे कॉफी डे के मालिक वीजी सिद्धार्थ के लापता होने और उनके एक पत्र वायरल होने के बाद नया खुलासा हुआ। मंगलूरू पुलिस ने वीजी सिद्धार्थ के फोन की जांच के बाद खुलासा किया है कि 10 दिनों के अंदर वीजी सिद्धार्थ के पास आयकर की दर्जनों कॉल आई थी। इससे पहले उनके पत्र वायरल होने के बाद खुलासा हुआ था कि आयकर विभाग ने अनुचित कार्रवाई करते हुए उन्हें परेशान किया था। जिसकी वजह से उनकी कंपनी के पास पैसे की कमी हो गई थी।

फोन डिटेल चेक करने के बाद मंगलूरू पुलिस ने जानकारी दी है कि कर्नाटक के दो उद्योगपति से उनकी लागातर बात हुई है। उनसे भी पूछताछ की जाएगी। मंगलूरू पुलिस कमिश्नर संदीप पाटिल के अनुसार, वीजी सिद्धार्थ के फोन की कॉल डिटेल्स निकाली जा रही है। शुरुआती जांच में पता चला है कि सिद्धार्थ के मोबाइल पर कई फोन आए हैं, जिनमें अनजान कॉल भी हैं। सभी कॉल डिटलेल को निकाली जा रही है।


बता दें कि सिद्धार्थ सोमवार को कर्नाटक के मंगलुरु जा रहे थे जब उन्होंने अपने ड्राइवर को नेत्रवती नदी पर एक पुल के पास कार रोकने के लिए कहा और उतर गए। ड्राइवर से सैर करने की बात कहकर निकले और उसके बाद नहीं लौटे। जब कुछ समय बाद सिद्धार्थ वापस नहीं आए तो ड्राइवर घबरा गया और उसने सिद्धार्थ के परिवार को फोन किया। वह तब से अब तक लापता हैं।

इसके बाद पत्र सामने आया था। जिसमें उन्होंने कैफे कॉफी डे के कर्मचारियों और निदेशक मंडल को लिखा था कि हर वित्तीय लेनदेन मेरी जिम्मेदारी है, कानून को मुझे और केवल मुझे जवाबदेह रखना चाहिए।

उन्होंने कहा, “एक पूर्व डीजी ने माइंडट्री के साथ डील ब्लॉक करने के लिए उनके शेयर्स को दो बार अटैच किया, जबकि संशोधित रिटर्न्स उनकी ओर से फाइल किए जा चुके थे। सिद्धार्थ ने आईटी विभाग की इस कार्रवाई को अनुचित बताया है और लिखा है कि इसके कारण पैसे की कमी हो गई थी।”


उन्होंने आगे लिखा, “ मैं अपने निवेशकों और कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से माफी मांगते हूं और मैं अब सरेंडर करता हूं।” उन्होंने कहा कि 37 साल के कठिन परिश्रम से अपनी कंपनियों में 30 हजार नौकरियों को सृजित किया। लेकिन अपने तमाम प्रयासों के बावजूद इन कंपनियों को लाभ का बिजनेस बनाने में नाकाम रहा। उन्‍होंने लिखा कि मुझ पर कर्जदाताओं का अत्‍यधिक दबाव है और किसी को धोखा देना मकसद कभी नहीं रहा, लेकिन एक उद्यमी के रूप में फेल रहा।

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