'हर साल प्रदूषण की मार दिल्ली के लोगों को झेलनी पड़ती है, लेकिन हम प्रदूषण की समस्या को भूल जाते हैं'

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हर साल प्रदूषण की मार दिल्ली के लोगों को झेलनी पड़ती है। अब तक सरकार की तरफ से इस संबंध में कोई ठोस योजना तैयार नहीं की गई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हर साल फरवरी का महीना आते ही हम इस गंभीर समस्या को भूल जाते हैं।

फोटो: Getty Images
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा।

उन्होंने कहा कि हर साल प्रदूषण की मार दिल्ली के लोगों को झेलनी पड़ती है। अब तक सरकार की तरफ से इस संबंध में कोई ठोस योजना तैयार नहीं की गई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हर साल फरवरी का महीना आते ही हम इस गंभीर समस्या को भूल जाते हैं। यह हमारे लिए एक गंभीर संकट का रूप धारण कर चुकी है। सरकार को इस दिशा में यथाशीघ्र कदम बढ़ाना होगा।

कांग्रेस सांसद ने कहा कि हमारी केंद्र सरकार से मांग है कि वो प्रदूषण से प्रभावित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों का एक समूह बनाए और उसे केंद्र सरकार की तरफ से बाकायदा बजट मुहैया कराया जाए, ताकि आम लोगों को प्रदूषण की मार से निजात मिल सके। आज की तारीख में प्रदूषण एक विकराल समस्या बन चुकी है। लोगों का सांस लेना दूभर हो चुका है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दुनिया के सर्वाधिक 50 प्रदूषित शहरों में से 43 भारत में आते हैं। इन 43 में से 12 शहर हरियाणा से हैं। प्रदूषण की समस्या लंबे समय से बरकरार है। 2017 में हम एक बिल लेकर आए थे। इस बिल के तहत हमने मांग की थी कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक बोर्ड का गठन किया जाए, जिसमें वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए बाकायदा पूरी रूपरेखा तैयार की जाए। लेकिन, सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया।

उन्होंने दावा किया कि वायु प्रदूषण को लेकर सभी राजनीतिक दलों के नेता हमारे साथ हैं। इसमें किसी भी प्रकार का कोई किंतु-परंतु नहीं है। यह किसी राज्य या किसी विशेष राजनीतिक दल से जुड़ा मुद्दा नहीं है, बल्कि देश का मुद्दा है।


बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) एक बार फिर जहरीली हवा की गिरफ्त में है। बुधवार की वायु गुणवत्ता पिछले दिनों की तुलना में और भी भयावह हो गई है।

दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद के अनेक इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 से 430 के खतरनाक स्तर को पार करते हुए 450 के आसपास पहुंच गया है, जिससे पूरा इलाका एक 'गैस चैंबर' में तब्दील हो गया लगता है। इस भीषण प्रदूषण का सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है और सांस, त्वचा समेत अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या अस्पतालों में तेजी से बढ़ रही है।

वायु प्रदूषण से जुड़े आंकड़े चौंकाने वाले हैं। दिल्ली में, आनंद विहार (402), चांदनी चौक (430), विवेक विहार (410) और वजीरपुर (402) जैसे इलाके 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच चुके हैं। आरके पुरम और रोहिणी में भी एक्यूआई 418 दर्ज किया गया है।

नोएडा की स्थिति इससे बेहतर नहीं है, जहां सेक्टर-116 (406), सेक्टर-125 (405) और सेक्टर-1 (397) में हवा की गुणवत्ता 'बेहद खराब' से 'गंभीर' स्तर पर है। गाजियाबाद में भी इंदिरापुरम में 410, लोनी में 428 एक्यूआई बना हुआ है। इस भीषण प्रदूषण का स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है।


विशेषज्ञों के अनुसार, इस स्तर की खराब वायु गुणवत्ता पर लंबे समय तक रहने से सांस की बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। अस्पतालों के आपातकालीन विभागों और श्वास रोग विशेषज्ञों के क्लीनिकों में मरीजों की संख्या में अचानक वृद्धि देखी जा रही है। न केवल अस्थमा और सीओपीडी जैसी पुरानी बीमारियों के मरीजों में समस्या बढ़ रही है, बल्कि स्वस्थ लोग भी आंखों में जलन, गले में खराश, लगातार खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसी शिकायतें लेकर पहुंच रहे हैं।

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