देश की आवाज उठाने वालों की ही आवाज दबा रही है मोदी सरकार, 12 सांसदों के निलंबन बोले मल्लिकार्जुन खड़गे

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि मौजूदा सरकार लोकतांत्रिक मर्यादाओं का खुलेआम उल्लंघन कर रही है। उन्होंने कहा कि जो लोग देश के नागरिकों की आवाज उठाते हैं सरकार उन्हीं की आवाज दबा रही है। खड़गे राज्यसभा से 12 सांसदों के निलंबन पर प्रतिक्रिया दे रहे थे।

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नवजीवन डेस्क

राज्यसभा के 12 सांसदों को पूरे मानसून सत्र के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह संसदीय परंपररा और लोकतांत्रिक मर्यादाओं का उल्लंघन है। खड़गे ने कहा कि अहंकारी सरकार ने ऐसा सांसदों के बीच भय पैदा करने के लिए किया है। उन्होंने कहा कि 12 सांसदों के खिलाफ प्रस्ताव लाना पूरी तरह गैरकानूनी और नियमों के खिलाफ है। उन्होंने साथ ही कहा कि जिस हंगामे के लिए सांसदों को निलंबित किया गया है वह पिछले सत्र में हुआ था, तो कार्यवाही भी उसी सत्र के लिए होनी चाहिए ती।

खड़गे ने कहा कि इस मुद्दे पर विपक्षी दलों की कल बैठक होगी जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर नागरिकों की आवाज उठाने वालों की ही आवाज दबाई जाएगी तो यह लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा होगा। उन्होंने कहा कि सभी दलों ने इस कार्यवाही की निंदा की है।

गौरतलब है कि निलंबित सांसद में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआई और शिवसेना के सांसद है। इनमें अकेले कांग्रेस के 6 सांसद है। इनमें सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा और राजमणि पटेल शामिल हैं। इनके अलावा शिवसेना की प्रियंका चतुवेर्दी और अनिल देसाई, सीपीएम के एलमरम करीम, सीपीआई के विनय विश्वम, टीएमसी के शांता छेत्री और डोला सेन शामिल हैं।


तृणमूल सांसद डोला सेन ने भी इसे तानाशाही करार दिया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पूरी तरह तानाशाही पर उतर आई है। डोला सेन ने इसे लोकतंत्र और संविधान पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि 'हमने किसानों और आम नागरिकों की आवाज उठाई, इसलिए ऐसी कार्यवाही की गई है।'

वहीं तृणमूल की ही शांता छेत्री ने कहा कि राज्यसभा ने यह कार्यवाही विपक्षी सांसदों को बताए बिना अचानक ही की है। उन्होंने कहा कि 'हमें देश के लिए आवाज उठाने की सजा दी गई है। पब्लिक सब जानती है कि यह तानाशाही है।'


शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी नियमों का हवाला देते हुए इसे गैरकानूनी बताया है। उन्होंने रूलबुक का ेक पन्ना शेयर करते हुए लिखा कि रूल 256 के हिसाब से एक सत्र में किए गए किसी कृत्य के लिए सांसद को अगले सत्र से निलंबित नहीं किया जा सकता है। उन्होने ट्विटर पर लिखा कि, "बिजनेस एडवाइजरी कमेटी से इतर एजेंडा ले जाने की सरकार की कोशिश का विरोध करने और किसानों की आवाज उठाने के लिए यह कार्यवाही की गई है।"

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