एक और बैंक घोटाले का हुआ पर्दाफाश, कनिष्क ज्वैलर्स ने 14 बैंकों से की 824 करोड़ की धोखाधड़ी

पीएनबी घोटाले के बाद एक और आभूषण कारोबारी ने एसबीआई सहित 14 बैंकों को करोड़ों का चूना लगाया है। इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई है। हालांकि, अभी तक किसी तरह की कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के द्वारा पीएनबी के साथ 14,600 करोड़ रुपए के घोटाले के बाद बैंकों से जुड़ा एक और घोटाला सामने आया है। चेन्नई स्थित कनिष्क कंपनी के मालिक ने एक साथ 14 बैंकों को 824.15 करोड़ का चपत लगाया है। मामले के उजागर होने से पहले ही वह विदेश फरार हो गया है। अब इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई है। हालांकि, अभी तक इस मामले में किसी तरह की कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।

जनवरी 2018 में एसबीआई ने सीबीआई से चेन्नई की ज्वेलरी चेन कनिष्क गोल्ड की जांच करने को कहा था। कनिष्क गोल्ड ने 14 बैंकों से करीब 824 करोड़ से ज्यादा का लोन ले रखा है। बैंकों के मुताबिक ब्याज मिलाकर यह रकम 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा हो सकती है। कनिष्क गोल्ड का रजिस्टर्ड ऑफिस तमिलनाडु के चेन्नई में है और इसके प्रोमोटर्स और डायरेक्टर्स भूपेश कुमार जैन और उनकी पत्नी नीता जैन है।

बैंकर्स का कहना है कि इन दोनों से पिछले कुछ समय से संपर्क नहीं हो सका है। बैंकों का मानना है कि दोनों इस वक्त मॉरिशस में रह रहे हैं।

एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक, कनिष्क गोल्ड को लोन देने वालों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अलावा 14 निजी और सरकारी बैंक शामिल हैं। एसबीआई ने सबसे पहले कंपनी के खिलाफ आरबीआई को जानकारी दी थी। 25 जनवरी 2018 को सीबीआई को लिखे एक लेटर में एसबीआई ने आरोप लगाया था कि कनिष्क गोल्ड रिकॉर्ड को बदलने की कोशिश और रातों-रात अपने शोरूम बंद कर रही है।

इससे पहले 24 मार्च को गुरुग्राम के सेक्टर-32 स्थित ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में करीब 390 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया था। दिल्ली के हीरा कारोबारी द्वारका दास सेठ इंटरनेशनल लिमिटेड पर कथित धोखाधड़ी का आरोप लगा था।

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देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कई हजार करोड़ का चूना लगाने वालों में हीरा कारोबारी नीरव मोदी, शराब कारोबारी विजय माल्या, मेहुल चोकसी और विक्रम कोठारी जैसे बड़े कारोबारी ही शामिल नहीं हैं, इनके अलावा और भी कई लोग हैं। हाल के घोटाले की राशि को शामिल कर लिया जाए तो यह आंकड़ा 36 हजार करोड़ से ऊपर पहुंच जाता है।

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