एक्जिट पोल के नतीजे भरोसे लायक नहीं मानते चुनाव के दौरान यूपी का दौरा करने वाले पत्रकार, कहा- असली नतीजे अलग होंगे

ऐसे तमाम पत्रकार हैं जिन्होंने प्रचार से लेकर मतदान के दौरान उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों का दौरा किया है, उन्होंने इन एक्जिट पोल के नतीजों को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि असली नतीजे एकदम अलग हो सकते हैं

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ऐशलिन मैथ्यू

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म होते ही एक्जिट पोल के नतीजे भी सामने आ गए हैं और अधिकतर ने यूपी और एक दो अन्य राज्यों में बीजेपी के क्लीन स्वीप की भविष्यवाणी की है। लेकिन दो एक्जिट पोल ऐसे भी हैं जिनके अनुमान यूपी को लेकर अलग हैं।

उत्तर प्रदेश के न्यूज चैनल भारत समाचार ने अपने एक्जिट पोल में समाजवादी पार्टी गठबंधन की जीत का अनुमान लगाते हुए उसके खाते में 250 से अधिक सीटों की भविष्यवाणी की है। वहीं देशबंधु अखबार ने भी समाजवादी पार्टी के पक्ष में ही एक्जिट पोल का अनुमान लगाया है और उसके खाते में 228 से 244 सीटें जाने की बात कही है। देशबंधु ने पंजाब में भी कांग्रेस की जीत का ऐलान करते हुए कहा है कि सत्तारूढ़ कांग्रेस को 117 सीटों वाली पंजाब विधानसभा में 62 से 68 सीटें हासिल हो सकत हैं।

इंडिया टुडे-एक्सिस माइ इंडिया के एक्जिट पोल ने बीजेपी के पक्ष में क्लीन स्वीप का अनुमान लगाया है। इस सर्वे के मुताबिक बीजेपी को 403 सदस्यों वाली यूपी विधानसभा में 288 से 326 सीटें तक मिल सकती हैं। वहीं समाजवादी पार्टी के लिए 71 से 101 सीटों का अनुमान सामने रखा है। अन्य सर्वे एजेंसियों ने भी बीजेपी को औसतन 220 से 250 सीटें मिलने का अनुमान जताया है।

लेकिन ऐसे तमाम पत्रकार हैं जिन्होंने प्रचार से लेकर मतदान के दौरान उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों का दौरा किया है, उन्होंने इन एक्जिट पोल के नतीजों को खारिज कर दिया है। द वायर के संस्थापक-संपादक एम के वेणु का कहना है कि यूपी चुनाव में तो सबसे चिंताजनक मुद्दा युवाओं में बेरोजगारी थी। वेणु ने पूर्वी यूपी के बल्लिया, वाराणसी, जौनपुर, सोनभद्र और मिर्जापुर जैसे इलाकों का दौरा किया है, जिस आधार पर वह एक्जिट पोल के नतीजों से सहमत नहीं हैं।

उन्होंने कहा, “बहुत से युवाओँ ने स्नातक कर लिया है या 12वीं पास हैं, लेकिन उनके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं है। बहुत से गांवों में तमाम पुरुष मैदानों में दौड़ने की प्रैक्टिस करते दिखे, क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर स्पीड ठीक हो गई तो शाद सेना में भर्ती हो जाएगी। लेकिन सेना में तो बीते दो साल से इन इलाकों में भर्तियां हुई ही नहीं हैं।”

यूपी के इन इलाकों में किसानों से बातचीत में यह भी सामने आया कि सरकार जो कोविड पैकेड के तहत अनाज देती है, उससे ज्यादा अनाज तो आवारा पशु उनकी फसलों को नष्ट कर खा जाते हैं। बहुत से लोगों ने यह भी कहा था कि उन्हें सरकार की दया पर नहीं रहना है बल्कि अपना जीवन बेहतर बनाना है।

स्वतंत्र पत्रकार सबा नकवी कहती हैं कि ऐसे तमाम लोग हैं जिन्होंने फ्री राशन के आधार पर बीजेपी को वोट न देने की मंशा जाहिर की थी। उन्होंने यूपी के कई इलाकों का चुनाव के बीच दौरा किया था। उन्होंने कहा कि लोगों को सिर्फ फ्री राशन नहीं चाहिए। सवा नकवी ने कहा आवारा पशुओं की समस्या बहुत विकराल है और इसके लिए सीधे तौर पर बीजेपी ही जिम्मेदार है। लोगों में बीजेपी के खिलाफ इस मुद्दे पर भी गुस्सा है, क्योंकि गौरक्षा के नाम पर बनी नीतियों के कारण ही ऐसी स्थिति बनी है।


सबा नकवी ने बताया, “तमाम लोगों को नौकरियां चाहिए ताकि वे अपना भोजन खुद खरीद सकें। हर कोई भयंकर आर्थिक दिक्कतों की बात कर रहा है, और लोगों का कहना है कि बीजेपी ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया। हम जहां कहीं भी गए, लोगों ने खत्म होती नौकरियों और महंगाई की बात की।” एम के वेणु ने भी बताया कि लोगों का कहना है कि पेट्रोल के दाम बढ़ने के कारण लोग मोटरसाइकिल तक नहीं चला पा रहे हैं।

वेणु ने कहा कि, “सभी एक्जिट पोल कह रहे हैं कि बीजेपी का वोट शेयर बढ़ रहा है, और यही इन एक्जिट पोल पर विश्वास न करने का सबसे बड़ा कारण है।” उन्होंने कहा कि, “हमने जमीनी स्तर पर जो कुछ देखा उसके मुताबिक ऐसा हो ही नहीं सकता कि बीजेपी को बड़े पैमाने पर वोटों का नुकसान न होता हो। लोगों को तमाम दुश्वारियां हैं। वोटर तो हिंदू-मुस्लिम के चक्कर में भी इस बार नहीं फंसे थे जबकि बीजेपी और योगी आदित्यनाथ लगातार यही कार्ड खेलने की कोशिश कर रहे थे।”

इन एक्जिट पोल में पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने का अनुमान जताया गया है। हालांकि एक एक्जिट पोल में कांग्रेस की जीत की भी संभावना व्यक्त की गई है। इसके अलावा बहुत सी एजेंसियों ने गोवा और मणिपुर में भी बीजेपी की जीत और उत्तराखंड में बीजेपी-कांग्रेस के बीच कांटे के मुकाबले का अनुमान लगाया है।

हाल के दिनों के चुनावों को देखें तो बिहार से लेकर बंगाल तक और हरियाणा तक में एक्जिट पोल गलत साबित हुए थे। इसके अलावा याद करें तो 2004 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को अपने शाइनिंग इंडिया कैंपेन पर जबरदस्त भरोसा था। तमाम एक्जिट पोल ने वाजपेयी सरकार की सत्ता में वापसी का अनुमान लगाया था। एनडीटीवी-एसी नीलसन ने एनडीए को 230 से 250 सीटें मिलने की संभावना व्यक्त की थी और कांग्रेस के लिए 190 से 205 सीटों का अनुमान था। औसत एक्जिट पोल में एनडीए को 252 सीटें मिलने की संभावन पेश की गई थी।


लेकिन जब नतीजे आए तो बीजेपी सिर्फ 138 सीटें ही जीत पाई और एनडीए के हिस्से में सिर्फ 181 सीटें आईं। जबकि कांग्रेस को 145 सीटें मिलीं और यूपीए को 208 सीटें हासिल हुईं। यूपीए ने सरकार बनाई और अगले दस साल तक केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार रही। 2009 में भी एक्जिट पोल ने एनडीए को 187 और यूपीए को 196 सीटों का अनुमान लगाया था, लेकिन असली नतीजों में एनडीए को 159 और यूपीए को 262 सीटें हासिल हुईं थीं।

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