राफेल सौदा: अटॉर्नी जनरल और सीएजी को पीएसी कर सकती है तलब, सरकार और विपक्ष में टकराव तीखे होने के आसार

राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बात काफी आगे बढ़ गई है। इस खुलासे के बाद कि सरकार ने राफेल की कीमत को लेकर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया है, संसद की लोक लेखा समिति यानी पीएसी ने अटॉर्नी जनरल और सीएजी को तलब कर सकती है। इससे सरकार और विपक्ष के बीच टकराव बढ़ने के आसार बन गए हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
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उमाकांत लखेड़ा

केंद्र में मोदी शासन आने के बाद लोकतांत्रिक संस्थाओं के साथ ऐसे-ऐसे अजूबे हो रहे हैं जिनकी मिसाल स्वतंत्र भारत के इतिहास में कहीं नहीं मिलती। यह खुलासा होने के बाद कि केंद्र सरकार ने राफेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट गुमराह करने के लिए गलत जानकारी दी, संसद की लोकलेखा समिति ने महाधिवक्ता यानी अटॉर्नी जनरल और सीएजी को तलब कर सकती है।

पीएसी के इस कदम से पूरे मामले में नया मोड़ आ गया है। सुप्रीम कोर्ट के शुक्रवार के आदेश पर कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों के कड़े प्रतिरोध के बाद संकेत मिल रहे हैं कि संसद की लोक लेखा समिति केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल के खिलाफ लोकसभा में महाअभियोग चलाने का प्रस्ताव पेश कर दे।

संसदीय मामलों के विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि पीएसी के इस कदम से सरकार के साथ ही सुप्रीम कोर्ट से भी तनातनी बढ़ सकती है और अगर ऐसा हुआ तो सर्वोच्च अदालत के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई भी मुश्किल में फंस सकते हैं। इस संकट को भांपते हुए केंद्र ने कोर्ट के आदेश के कुछ बिंदुओं में संशोधन करने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दायर कर मामले से पल्ला झाड़ने की कवायद शुरु कर दी है।

सरकार ने शनिवार सुबह ही सुप्रीम कोर्ट पहुंचकर कहा कि उसने बंद लिफाफे में जो बिंदु कोर्ट को सौंपे थे, उनकी व्याख्या कोर्ट ने अपने आदेश में गलत की है। यहां रोचक यह है कि सरकार को इसकी सुध तब आयी जब राहुल गांधी ने शुक्रवार शाम प्रेस कांफ्रेंस में मोदी सरकार पर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया।

अब चूंकि सुप्रीम कोर्ट क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों के लिए दो सप्ताह के लिए बंद है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के सामने यही विकल्प है कि या तो वह अपने आदेश में रविवार या सोमवार तक सुधार करे या फिर 2 जनवरी तक का इंतजार करे। हालांकि सूत्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट से ऐसे भी संकेत मिल रहे हैं कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई अपनी पीठ के बाकी दोनों जजों से मिलकर अपने पूर्व आदेश में संशोधन करवा सकते हैं।

सरकार पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के उस आरोप का खंडन कर चुकी है जिसमें कहा गया था कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह कहकर झूठ बोला है कि राफेल सौदे की कीमतों के बारे में सीएजी ने पीएसी को जानकारी दे दी थी।

संसदीय नियमों के अनुसार पीएसी अध्यक्ष का पद विपक्ष के पास होता है। इस समय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पीएसी के अध्यक्ष हैं। अटॉर्नी जनरल को तलब किए जाने के बाद पीएसी के तीखे रुख के संकेत साफ हैं। इसके बाद नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानी सीएजी पर भी इस बात का दबाव बढ़ गया है कि वह 59,000 करोड़ रूपए के राफेल सौदे की रिपोर्ट जनवरी तक मोदी सरकार के अंतिम संसद सत्र तक पीएसी को सौंपे।

पीएसी, संसद द्वारा बनाई गई वह कमेटी होती है जो केंद्र सरकार के व्यय और खर्चों पर निगरानी रखती है। वहीं, सीएजी की जिम्मेदारी होती है कि सरकार के खर्चों-व्ययों की गहराई से जांच पड़ताल की रिपोर्ट तैयार करे और इस बारे में पीएसी को हर मुमकिन सहयोग करे।

इस पूरे मामले पर लोकसभा के एक पूर्व महासचिव का कहना है कि पीएसी भी चूंकि संयुक्त संसदीय समिति की तर्ज पर ही स्थायी संसदीय समिति होती है, ऐसी सूरत में राफेल सौदे की जांच को पीएसी ने अपने हाथ में लिया तो संसद के भीतर-बाहर सरकार और विपक्ष में सियासी टकराव चरम पर पहुंच सकता है।

दरअसल राफेल मामले में दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश के पैराग्राफ 25 में लिखा कि, "विमान की कीमत की जानकारी हालांकि सीएजी के साथ साझा की गई और सीएजी रिपोर्ट की जांच पीएसी ने की। रिपोर्ट का केवल संपादित हिस्सा ही संसद में पेश किया गया और यह सार्वजनिक है।"

इस मुद्दे पर शनिवार को लोक लेखा समिति यानी पीएसी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि वह महान्यायवादी यानी अटॉर्नी जनरल और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी सीएजी को तलब करने का दबाव बनाएंगे और उनसे पूछेंगे कि कब सीएजी की रिपोर्ट पेश की गई और कब पीएसी ने उसकी जांच की।

सरकार और विपक्ष में नीतिगत मामलों पर संसद में टकराव में हालांकि कुछ भी नया नहीं हैं, लेकिन संसदीय इतिहास में पहली बार सरकार की गलत बयानी के छींटे किसी संसदीय समिति और सीएजी तक पड़े हैं। सरकार व विपक्ष में पहले ही कई मामलों को लेकर संसद के शीतकालीन सत्र में टकराव और बढ़ सकता है।

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Published: 16 Dec 2018, 7:00 AM