'हम जब भी अडानी पर सवाल उठाते हैं, मोदी जी नया ‘distraction’ ले आते हैं, 'इंडिया बनाम भारत भी ऐसा ही मुद्दा'

राहुल गांधी ने कहा है कि 'रोचक बात है कि जब अडानी का मुद्दा उठाया जाता है वे भ्रम का नया पैंतरा ले आते हैं, इंडिया बनाम भारत भी ऐसा ही मुद्दा है।'

ब्रुसेल्स प्रेस क्लब में राहुल गांधी की प्रेस कांफ्रेंस (फोटो - प्रेस कांफ्रेंस का वीडियो ग्रैब)
ब्रुसेल्स प्रेस क्लब में राहुल गांधी की प्रेस कांफ्रेंस (फोटो - प्रेस कांफ्रेंस का वीडियो ग्रैब)
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इंडिया बनाम भारत के मुद्दे पर कहा है कि दरअसल यह सरकार का ‘पैनिक रिएक्शन है।’ उन्होंन कहा कि उन्हें इंडिया और भारत दोनों नाम पसंद हैं क्योंकि दोनों ही नाम देश के संविधान का हिस्सा हैं। राहुल गांधी ने कहा कि, ‘इंडिया, दैट इज भारत...’ से मुझे कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि, “मेरा मानना है कि सरकार का यह पैनिक रिएक्शन है। सरकार में डर बैठ गया है। वे लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। हमने, विपक्ष ने अपने गठबंधन का नाम इंडिया रखा है, जो एक बहुत शानदार नाम है क्योंकि यह नाम उसी का प्रतिनिधित्व करता है जो हमारी सोच है, विचारधारा है। हम खुद को देश की आवाज मानते हैं, लेकिन जाहिर है कि इससे प्रधानमंत्री परेशान हो गए हैं, और इस हद तक परेशान हुए हैं कि देश का नाम ही बदल देना चाहते हैं, जो बेहद बुतुकी बात है, लेकिन अब है तो है....”

राहुल गांधी ने खासतौर पर कहा, “यह बड़ी रोचक बात है कि जब भी हम एक मुद्दा (अडानी का मुद्दा) और क्रोनी कैपिटलिज़्म का मुद्दा उठाते हैं, प्रधानमंत्री किसी न किसी नाटकीयता के साथ सामने आते हैं, भ्रमित करने का नया पैंतरा चलते हैं। यह मजेदार है कि अडानी पर मेरे प्रेस कांफ्रेंस करने के फौरन बाद ध्यान भटकाने का काम शुरु कर दिया गया।”

राहुल गांधी यूरोप के दौरे पर हैं और उन्हें पहले चरण में ब्रुसेल्स में यूरोपीय संसद के सदस्यों के साथ राउंड टेबिल कान्फ्रेंस की थी। इसी कांफ्रेंस के संबंध में उन्होंने प्रेस वार्ता के दौरान यह बात कहीं।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने यूरोपीय संसद के सदस्यों के साथ "लोकतांत्रिक संस्थानों पर हमले" और भारत के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि यूरोपीय सांसदों ने इस पर गहरी चिंता जताई है क्योंकि उन्हें लगता है कि यह "भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं को दबाने का प्रयास" है।

दिल्ली में भारत की मेजबानी में जी-20 शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर राहुल गांधी का बयान महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वह इसलिए क्योंकि उन्होंने खुद इस बात को कहा है कि उन्होंने यूरोपीय सांसदों के साथ भारत के हालात पर चर्चा की। वैसे हाल के महीनों में राहुल गांधी की विदेश यात्राओं के दौरान उनके विमर्श के केंद्र में आमतौर पर भारत में लोकतंत्र पर हमले, विपक्ष की आवाज दबाने के प्रयास और संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जे आदि रहे हैं।


उनके इन बयानों को लेकर बीजेपी और मोदी सरकार के मंत्री उन पर हमला बोलते रहे हैं और आरोप लगाते रहे हैं कि राहुल गांधी विदेश में जाकर भारत की साख खराब कर रहे हैं। इतना ही नहीं इसी साल इस तरह के मुद्दे पर बीजेपी ने राहुल गांधी से माफी तक की मांग कर दी थी।

लेकिन इस बार राहुल गांधी ने विदेश की धरती पर हुई शुक्रवार की प्रेस कांफ्रेंस में बहुत से मुद्दे स्पष्ट कर दिए। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संसद के सदस्यों के साथ उनकी भारत के बारे में चर्चा हुई, लेकिन साथ ही कहा कि, “भारत में लोकतंत्र की लड़ाई हमारी अपनी लड़ाई है और हम भारत में लोकतंत्र बचाने के लिए लड़ते रहेंगे। यह हमारी जिम्मेदारी है और हमें पता है इससे कैसे निपटना है। हम सुनिश्चित करेंगे कि संवैधानिक संस्थानों और स्वतंत्रता पर जारी हमले बंद हों। विपक्ष इस बात निश्चित ही रोकेगा।”

प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी से सवाल पूछा गया कि यूरोपीय संसद के सदस्यों ने क्या कहा, इस पर राहुल गांधी का जवाब था कि “भारत और यूरोप के संबंधों, वैश्विक स्तर पर बदलते हालात आदि पर चर्चा की।” राहुल गांधी ने कहा कि, “हमने उन्हें एक तरह का एहसास दिलाया है कि भारत में इस समय किस तरह की चुनौतियां हैं, इनमें आर्थिक चुनौतियां है, लोकतांत्रिक संस्थानो और अन्य चुनौतियां हैं।”

लेकिन राहुल गांधी ने दिल्ली में हो रहे जी-20 शिखर सम्मेलन को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंन कहा कि “यह काफी अहम बैठक है और अच्छी बात है कि इस बार इसकी मेजबानी भारत कर रहा है।“  राहुल गांधी इसी संदर्भ में जी-20 डिनर में राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को आमंत्रित न किए जाने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा, “यह एक तरह का संकेत है। यह संकेत है कि वे देश की 60 फीसदी आबादी के नेता की अहमियत नहीं समझते हैं, और यह ऐसा संकेत है जिसके बारे में लोगों को सोचना चाहिए। आखिर उन्हें ऐसा करने की जरूरत क्यों है? और ऐसा करने के पीछे क्या सोच होगी?”


राहुल गांधी से इस प्रेस कांफ्रेंस में रूस-यूक्रेन युद्ध के बारे में और भारत-रूस संबंधों को लेकर सवाल पूछे गए। राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर भारत के रुख को ही सामने रखा। उन्होंने कहा, “विपक्ष मोटे तौर पर भारत के रुख का समर्थन करता है। रूस के साथ हमारे संबंध हैं, और मैं समझता हूं कि विपक्ष का भी इस पर सरकार से अलग रूख नहीं है।”

उन्होंने अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों के मुद्दे पर भी बात की। राहुल गांधी ने कहा कि यह तबके हमले और भेदभाव का शिकार हैं। उन्होंने चीन के विषय में कहा कि विश्व चीन के उत्पादन मॉडल का जवाब पेश करना होगा।

राहुल गांधी की पूरी प्रेस कांफ्रेंस नीचे दिए लिंक में देख सकते हैं:

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