लोहिया के कथन 'सड़कें खामोश हो जाएं तो संसद आवारा...' को याद, राहुल गांधी की तारीफ, INDIA ब्लॉक के VP उम्मीदवार ने क्या कहा?

राम मनोहर लोहिया के कथन, 'अगर सड़क खामोश हो जाए, तो संसद आवारा हो जाएगी' को याद करते हुए न्यायमूर्ति रेड्डी ने कहा कि राहुल गांधी जी सड़कों को खामोश नहीं रहने देते। एक के बाद एक चुनौतियों का सामना करना उनकी यात्रा का हिस्सा बन गया है।

फोटो: @INCIndia
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नवजीवन डेस्क

इंडिया गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बी सुदर्शन रेड्डी ने समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया के चर्चित और मशहूर कथन 'अगर सड़कें खामोश हो जाएं, तो संसद आवारा हो जाएगी' को याद किया है।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी ने समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया के इस कथन को उस समय याद किया जब वह बुधवार को सदन के सेंट्रल हॉल में इंडिया गठबंधन के नेताओं से मिल रहे थे और चर्चा कर रहे थे। इस दौरान बी सुदर्शन रेड्डी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी सड़क को खामोश नहीं होने देते हैं और सरकारों को फैसले लेने पर मजबूर करते हैं।

बी सुदर्शन रेड्डी ने क्या कहा?

बी सुदर्शन रेड्डी ने कहा, "मैं थोड़ा घबराया हुआ हूं, थोड़ा उत्साहित भी हूं और रोमांचित भी। मेरी खुशी की कोई सीमा नहीं है। मैं आप सभी को, आपमें से हर एक को, जब आप विभिन्न मुद्दों से निपट रहे हैं, ध्यानपूर्वक सुनता हूं। मैं आपमें से अधिकांश को, शायद सभी को, फॉलो करता हूं ताकि यह जान सकूं कि देश में क्या हो रहा है।"

राम मनोहर लोहिया के कथन, 'अगर सड़कें खामोश हो जाएं, तो संसद आवारा हो जाएगी' को याद करते हुए न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी ने कहा, "राहुल गांधी जी सड़कों को खामोश नहीं रहने देते। एक के बाद एक चुनौतियों का सामना करना उनकी यात्रा का हिस्सा बन गया है।"

उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ने कहा कि राहुल गांधी जातिगत गणना का मुद्दा उठाते रहे हैं। रेड्डी ने कहा, “उन्होंने (राहुल गांधी ने) तेलंगाना सरकार को इसे (जातिगत गणना को) व्यवस्थित तरीके से करने के लिए सफलतापूर्वक राजी कर लिया। जब यह काम पूरा हो गया और मैं रिपोर्ट पेश कर रहा था, तो मैंने कहा कि यह केंद्र के लिए एक चुनौती होगी। और अंततः केंद्र जातिगत गणना कराने के लिए सहमत हो गया।"


राहुल गांधी ने क्या कहा?

इस मौके पर राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी जो नए विधेयक प्रस्तावित कर रही है, उस पर काफी शोरगुल हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम मध्ययुगीन काल में वापस जा रहे हैं, जब राजा अपनी इच्छा से किसी को भी हटा सकता था। अगर सरकार (भाजपा) को किसी का चेहरा पसंद नहीं आता है, तो वह ईडी से उसे गिरफ्तार करने के लिए कह सकती है, और लोकतांत्रिक रूप से चुने गए व्यक्ति को 30 दिनों के भीतर (पद से) हटाया जा सकता है।’’

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने दावा किया कि हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव ‘‘चुराने’’ के बाद भाजपा बिहार के चुनाव भी ‘‘चुराने’’ में सफल हो जाएगी, लेकिन जनता अब समझ चुकी है और ऐसा नहीं होने देगी।

खड़गे ने की बी सुदर्शन रेड्डी की तारीफ

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “हम विपक्षी दल, न्यायमूर्ति रेड्डी के समर्थन में एकजुट हैं। हमें विश्वास है कि उनकी बुद्धिमत्ता, निष्ठा और समर्पण हमारे राष्ट्र को न्याय और एकता पर आधारित भविष्य की ओर प्रेरित और निर्देशित करेंगे।”

खड़गे ने सभी सांसदों से न्यायमूर्ति रेड्डी की उम्मीदवारी का समर्थन करने की अपील करते हुए कहा, ‘‘हम संसद के प्रत्येक सदस्य से आग्रह करते हैं कि वे हमारे लोकतंत्र को जीवंत और लचीला बनाने वाले मूल्यों की रक्षा और संरक्षण के इस ऐतिहासिक प्रयास में हमारा साथ दें।’’

उन्होंने कहा कि संसद सत्तारूढ़ पार्टी की विचारधारा को आगे बढ़ाने का साधन बनकर रह गई है, तथा कई महत्वपूर्ण विधेयक शोरगुल के बीच और बिना उचित विचार-विमर्श के पारित कर दिए गए हैं।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इस तरह के कदम निष्पक्ष और प्रभावी विधायी मंच के रूप में संसद की भूमिका को कमजोर करते हैं, जनता के विश्वास को कम करते हैं, तथा न्यायसंगत चर्चा की कीमत पर सत्ता पक्ष को लाभ पहुंचाते हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘संसद में इन अतिक्रमण का प्रतिरोध करने और इनके विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई करने के लिए, देश को उपराष्ट्रपति के रूप में न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी जैसे अनुकरणीय निष्पक्ष न्यायाधीश की आवश्यकता है। उनका नामांकन भारत को परिभाषित करने वाले लोकतांत्रिक आदर्शों की रक्षा और उन्हें बनाए रखने के हमारे सामूहिक संकल्प का प्रतिनिधित्व करता है।’’

उन्होंने यह भी कहा कि न्यायमूर्ति रेड्डी का जीवन और कार्य भारतीय संविधान की भावना, निष्पक्षता, करुणा और प्रत्येक नागरिक के सशक्तीकरण के प्रति प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करता है।

खड़गे ने कहा, ‘‘ये सिद्धांत उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में उनके नेतृत्व का मार्गदर्शन करेंगे, तथा यह सुनिश्चित करेंगे कि सदन लोकतांत्रिक संवाद के एक सच्चे गढ़ के रूप में कार्य करे।’’


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