भागवत के बयान पर संघ ने सफाई में फिर किया सेना का अपमान, कहा,  ‘स्वंय सेवक ज्यादा क्षमतावान’

सेना काअपमान करने वाले मोहन भागवत के बयान पर संघ ने सफाई तो दी है, लेकिन वही बातें दोहराई हैं जो भागवत ने कही थी। संघ की सफाई से आभास होता है कि वह स्वंय सेवकों को सेना से ज्यादा क्षमतावान मानता है।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

मोहन भागवत के बयान पर चौतरफा निंदा और आलोचना होने के बाद राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने सोमवार को स्पष्टीकरण जारी किया। संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि, “सरसंघचालक मोहन भागवत जी के मुजफ्फपुर (बिहार) में दिए वक्तव्य को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है। भागवत जी ने कहा था कि परिस्थिति आने पर तथा संविधान द्वारा मान्य होने पर भारतीय सेना द्वारा सामान्य समाज को तैयार करने के लिए 6 महीने का समय लगेगा, तो संघ स्वयंसेवकों को भारतीय सेना 3 दिन में तैयार कर सकेगी, कारण स्वयंसेवकों को अनुशासन का अभ्यास रहता है। यह सेना के साथ तुलना नहीं थी पर सामान्य समाज और स्वयंसेवकों के बीच में थी। दोनों को भारतीय सेना को ही तैयार करना होगा।”

संघ की वेबसाइट पर प्रकाशित और संघ के अधिकारिक ट्विटर हैंडल से पोस्ट किए गए इस बयान में एक मोहन भागवत के बयान की वीडियो क्लिप भी दी गई है। इस वीडियो में मोहन भागवत साफ कहते नजर आ रहे हैं कि, “हम मिलिट्री संगठन नहीं हैं, पारिवारिक संगठन हैं। लेकिन हमारा डिसिप्लिन (अनुशासन) मिलिट्री जैसा है। अगर देश को कभी जरूरत पड़े और संविधान-कानून इजाजत दे तो सेना को तैयार करने में 6 महीने लगेगा, लेकिन स्वंय सेवकों को 3 दिन का समय लगेगा।”

यानी आरएसएस ने एक बार फिर सेना का अपमान किया है। रविवार के मोहन भागवत के बयान और सोमवार को संघ की तरफ से आए स्पष्टीकरण से साफ है कि इस हिंदुत्ववादी कट्टरपंथी संगठन को आंतकवादियों से लड़ते सैनिकों और अर्धसैनिक बलों की कोई परवाह नहीं है और इसके लिए इसके स्वंय सेवक ही सबकुछ हैं। संघ ने मोहन भागवत की बात दोहराकर यह भी साफ कर दिया है कि नरेंद्र मोदी शासनकाल में आरएसएस स्वंय को सर्वशक्तिमान और सर्वश्रेष्ठ मानता है। उसके लिए सैनिकों का बलिदान, बेहद कठिन परिस्थितियों में देश की रक्षा के कोई अर्थ नहीं हैं।

अच्छा होता अगर संघ ने अपने स्पष्टीकरण में कहा होता कि भागवत ने वह बात नहीं कही, और अगर इससे कोई और अर्थ निकाला गया है तो क्षमा करें। संघ को देश से और सैनिकों से माफी मांगनी चाहिए थी, लेकिन स्पष्टीकरण में जो कुछ कहा गया है उससे सिर्फ और सिर्फ अहंकार ही झलकता है।

भागवत के इस अपमानजनक और विवादित बयान की चौतरफा निंदा हो रही है, लेकिन देश की सत्तारूढ़ पार्टी और प्रधानसेवक खामोश हैं। इस मुद्दे पर अभी तक कोई बयान नहीं आया है। अलबत्ता, साइबर आर्मी को जरूर इस बयान के पक्ष और समर्थन में उतारा गया है। यहां तक कि भागवत के हिंदी में दिए बयान का अंग्रेजी में तोड़-मरोड़कर अनुवाद पेश किया जा रहा है, ताकि लोगों को भ्रमित किया जा सके।

लेकिन, आरएसएस और इसके मुखिया भागवत का बयान कितना अपमानजनक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आमतौर पर बीजेपी और संघ का समर्थन करने वाले भी सकते में हैं।

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