श्रद्धा हत्याकांड: आरोपी आफताब का पोस्ट नार्को टेस्ट खत्म, खुलेंगे कई और बड़े राज?

हालांकि नार्को टेस्ट में उसके कबूलनामे को अदालत में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था, फिर भी यह साबित हुआ कि जांचकर्ता सही दिशा में आगे बढ़ रहे थे।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

दिल्ली के महरौली इलाके में अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वाल्कर की जघन्य हत्या का आरोपी आफताब अमीन पूनावाला का पोस्ट-नार्को टेस्ट शुक्रवार को संपन्न हो गया। एफएसएल अधिकारियों ने तिहाड़ जेल के अंदर उसका परीक्षण किया।

सूत्रों के मुताबिक सुबह करीब 11.30 बजे फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी, रोहिणी की टीम पोस्ट नार्को टेस्ट के लिए तिहाड़ जेल पहुंची थी।

एफएसएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "आफताब के पोस्ट-नार्को विश्लेषण सत्र के लिए चार सदस्यीय टीम जांच अधिकारी के साथ शुक्रवार को तिहाड़ जेल नंबर-4 पहुंची थी।"
सूत्रों ने कहा, "परीक्षण 12 बजे के आसपास शुरू हुआ। उससे फिर से इसी तरह के सवाल पूछे गए और उसके जवाब पिछले नार्को विश्लेषण सत्र के सवालों से मेल खाएंगे।"


इस बीच, पुलिस वैन पर तलवारों से लैस लोगों द्वारा हमला किए जाने के बाद जेल अधिकारियों ने उसके बैरक की सुरक्षा भी बढ़ा दी है।

हालांकि नार्को टेस्ट में उसके कबूलनामे को अदालत में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था, फिर भी यह साबित हुआ कि जांचकर्ता सही दिशा में आगे बढ़ रहे थे।

यहां यह उल्लेख करना प्रासंगिक है कि पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट दोनों के निष्कर्ष अदालत में स्वीकार्य नहीं हैं। ये परीक्षण केवल दिल्ली पुलिस को सबूत इकट्ठा करने में मदद करेंगे और इस तरह दोषी के खिलाफ मुकदमा चलाने की संभावना बढ़ जाएगी।

नार्को टेस्ट में क्या बोला आफताब

खबरों की माने तो नार्को टेस्ट के दौरान आफताब से जब पूछा गया कि श्रद्धा का फोन कहां है तो आफताब ने जवाब दिया कि श्रद्धा का फोन उसने कहीं फेंक दिया था। आफताब ने ये कुबूल किया कि उसने गुस्से में आकर श्रद्धा की हत्या की थी।नार्को टेस्ट में आफताब ने श्रद्धा के शव के टुकड़े करने के लिए आरी के इस्तेमाल की बात को कुबूल की है।


गौरतलब है कि श्रद्धा और आफताब 2018 में डेटिंग ऐप 'बंबल' के जरिए मिले थे। वह इस साल 8 मई को दिल्ली आए थे और 15 मई को छतरपुर इलाके में शिफ्ट हो गए थे। आफताब ने श्रद्धा की हत्या की और उसके 35 टुकड़े किए और 18 दिनों तक उसके शरीर के अंगों को विभिन्न स्थानों पर फेंकता रहा।

वह कथित तौर पर अमेरिकी क्राइम शो 'डेक्सटर' से प्रेरित था, जो एक ऐसे व्यक्ति की कहानी कहता है, जो दोहरी जिंदगी जीता है।

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