SIR 2.0: आज से देश के 12 राज्यों में SIR शुरू, 51 करोड़ मतदाता होंगे शामिल, इस दिन आएगी फाइनल वोटर लिस्ट
यह एसआईआर का दूसरा चरण है। इससे पहले बिहार में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जिसकी अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर 2025 को जारी की गई थी। बिहार की मतदाता सूची में लगभग 7.42 करोड़ नाम शामिल हैं।

चुनाव आयोग आज से 9 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) का कार्य शुरू कर रहा है। इन इलाकों में लगभग 51 करोड़ मतदाता हैं। यह प्रक्रिया 7 फरवरी, 2026 को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के साथ पूरी होगी।
आपको बता दें, यह एसआईआर का दूसरा चरण है। इससे पहले बिहार में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जिसकी अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर 2025 को जारी की गई थी। बिहार की मतदाता सूची में लगभग 7.42 करोड़ नाम शामिल हैं।
किन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में होगा एसआईआर
एसआईआर का दूसरा चरण जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आयोजित किया जाएगा उनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, गोवा, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप और पुडुचेरी।
इनमें से तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में वर्ष 2026 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। असम में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन वहां नागरिकता से संबंधित सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही जांच के कारण एसआईआर की घोषणा अलग से की जाएगी।
कार्यक्रम की समय-सीमा
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 27 अक्टूबर को इस चरण की घोषणा की थी।
4 नवंबर से 4 दिसंबर 2025: गणना चरण
9 दिसंबर 2025: प्रारंभिक मतदाता सूची का प्रकाशन
7 फरवरी 2026: अंतिम मतदाता सूची जारी
एसआईआर का उद्देश्य
चुनाव आयोग का कहना है कि इस अभियान का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी योग्य मतदाता छूटे नहीं, और कोई भी अयोग्य व्यक्ति सूची में शामिल न हो। अधिकांश राज्यों में आखिरी बार व्यापक एसआईआर 2002 से 2004 के बीच हुआ था।
इस बार इसका मुख्य उद्देश्य अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें सूची से हटाना है। यह कदम खासकर बांग्लादेश और म्यांमार से आए प्रवासियों के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
बंगाल में विरोध
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मंगलवार को कोलकाता में एसआईआर के विरोध में मार्च करेंगी। दूसरी ओर, तमिलनाडु की सत्तारूढ़ द्रमुक पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस प्रक्रिया को चुनौती दी है।
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