अयोध्या मामले पर सुनवाई के बीच सुब्रमण्यम स्वामी बोले- सुप्रीम कोर्ट का जो भी हो फैसला, सरकार के पास है ब्रह्मास्त्र

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में जारी है। इस बीच बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला दें, सरकार के पास है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई तीसरे दिन भी जारी है। इस बीच बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला दें, सरकार के पास संविधान के अनुच्छेद 300A के तहत राष्ट्रीयकरण का ब्रह्मास्त्र है। जीतने वाले को मुआवजा दिया जा सकता है, लेकिन जमीन नहीं। अयोध्या की कुल 67.703 एकड़ भूमि में से 0.313 एकड़ क्षेत्र ही विवादित है और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट में रामलला विराजमान के वकील के परासरण दलील दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जन्मस्थान की सटीक जगह नहीं है, लेकिन इसका मतलब आसपास के इलाकों से भी हो सकता है। पूरा क्षेत्र ही जन्मस्थान है। हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष विवादित क्षेत्र को जन्मस्थान कहते हैं।

उन्होंने आगे दलील देते हुए कहा कि राम का जन्मस्थान का मतलब है कि एक ऐसा स्थान जहां सभी की आस्था और विश्वास है। वहीं जस्टिस अशोक भूषण ने परासरन से सवाल पूछा कि क्या एक जन्मस्थान एक न्यायिक व्यक्ति हो सकता है? हम एक मूर्ति एक न्यायिक व्यक्ति होने के बारे में समझते हैं, लेकिन एक जन्मस्थान पर कानून क्या है?


इससे पहले सुनवाई के दूसरे दिन निर्मोही अखाड़ा की ओर से वरिष्ठ वकील सुशील जैन ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच के समक्ष अपना पक्ष रखा था। सुनवाई के दौरान जजों ने निर्मोही अखाड़ा से पूछा था कि क्या आपके पास इस बात को कोई सबूत हैं जिससे आप साबित कर सके कि रामजन्मभूमि की जमीन पर आपका कब्जा है। इसके जवाब में निर्मोही अखाड़ा ने कहा 1982 में डकैती के बाद से उनके कागजात खो चुके हैं। इसके बाद जजों ने निर्मोही अखाड़ा से कोई और सबूत पेश करने को कहा।

वहीं रामलला की तरफ से दलील रखते हुए वकील परासरण ने कहा था कि इस मामले के साथ देश के हिंदुओं की भावनाएं जुड़ी हैं। लोग रामजन्मभूमि को भगवान राम का जन्मस्थान मानते हैं। पुराण और ऐतिहासिक दस्तावेज में इस बात के सबूत भी हैं। परासरण ने कोर्ट में कहा था कि ब्रिटिश राज में भी जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस जगह का बंटवारा किया था, तो मस्जिद की जगह राम जन्मस्थान का मंदिर माना था। उन्होंने इस दौरान वाल्मिकी की रामायण का उदाहरण भी पेश किया था।

बता दें कि मध्यस्थता पैनल द्वारा मामले का समाधान नहीं निकलने के बाद कोर्ट मंगलवार से सुनवाई कर रहा है। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। इस संवैधानिक पीठ में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर भी शामिल हैं। नियमित सुनवाई तब तक चलेगी, जब तक कोई नतीजा नहीं निकल जाता।

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Published: 08 Aug 2019, 2:08 PM