BSNL-MTNL पर सरकार ने लिया चुनावी फैसला, दोनों के विलय का ऐलान, 50 से ऊपर के कर्मचारियों को दिया जाएगा VRS

केंद्र की मोदी सरकार ने अचानक MTNL-BSNL के विलय का फैसला लेकर उसे उबारने के पैकेज का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने 50 से ऊपर के कर्मचारियों को वीआरएस देने का भी फैसला किया है। इस फैसले से दोनों कंपनियों के कर्मचारी फिलहाल हैरत में हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
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ऐशलिन मैथ्यू

देश की दो सरकारी टेलीकॉम कंपनियों को उबारने और दिल्ली, झारखंड और बिहार के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार के मंत्रिमंडल ने बुधवार को एमटीएनएल-बीएसएनल को उबारने के पेकैज को मंजूरी दे दी। साथ ही ऐलान किया कि इन दोनों कंपनियों का विलय किया जाएगा।

रिवाइवल प्लान के तहत दोनों कंपनियां आपस में मिल जाएंगी, और ऐसा होने तक एमटीएनएल बीएसएनएल के उपक्रम के रूप में काम करेगा। इस बात का ऐलान करते हुए केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार दोनों सरकारी कंपनियों में 29937 करोड़ रुपए डालेगी। प्रसाद ने कहा कि सरकार 15,000 करोड़ का इंतजाम सोवरिन बॉंड के जरिए करेगी। उन्होंने कहा कि, “38,000 करोड़ रुपए का इंतजाम आने वाले चार सालों में धन उगाही से किया जाएगी। इसके अलावा जल्द ही बीएसएनएल और एमटीएनएल को 4जी स्पेक्ट्रम भी दिया जाएगा।”

सरकार के इस ऐलान से दोनों कंपनियों के कर्मचारी आश्चर्यचकित हैं, क्योंकि मंगलवार तक वित्त मंत्रालय ने एमटीएनएल-बीएसएनएल के रिवाइवल का कोई प्रस्ताव नहीं भेजा था। बीएसएनएल कर्मचारियों को लगता है कि सरकार ने इस मामले में बहुस सावधानी से कदम उठाया है।

बीएसएनल इम्पलाइज यूनियन के महासचिव प्रहलाद राय ने बताया कि, “दोनों कंपनियों के विलय की बात सबसे पहले शिवसेना नेता और ट्रेड यूनियन दिग्गज अरविंद सावंत ने सामने रखी थी। वह एमटीएनएल में काम करते थे और शिवेसना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नजदीकी हैं। अरविंद सावंत इस समय भारी उद्योग मंत्री हैं।” अरविंद सावंत ने मुंबई दक्षिण में कांग्रेस के मिलिंद देवड़ा को हराकर लोकसभा चुनाव जीता था।

प्रहलाद राय ने कहा कि, “इस विलय से एमटीएनएल को ज्यादा फायदा होगा, क्योंकि वह सिर्फ दिल्ली और मुंबई में है। एमटीएनएल में कोई खास तकनीक विकास नहीं हुआ गै, जबकि बीएसएनएल में टेक्नालॉजी अपग्रेड होता रहा है। इस बारे में सरकार को ध्यान देना होगा। इसके अलावा एमटीएनएल में वेतनमान बीएसएनएल के मुकाबले ज्यादा है, ऐसे में कर्मचारियों के बीच समानता कैसे स्थापित की जाएगी।” प्रहलाद राय ने बताया कि इसके अलावा एमटीएनएल के कर्मचारियों को बीएसएनएल के मुकाबले जल्दी प्रमोशन मिलता रा है, ऐसे में वरिष्ठता का मुद्दा भी उठेगा।

राय को लगता है कि शायद सरकार करीब 70,000 कर्मचारियों को वीआरएस देगी। उन्होंने कहा, “सरकार ने पहले ही रिटायरमेंट की उम्र 60 से घटाकर 58 कर दी है और पहली मार्च 2020 से यह प्रभावी भी हो जाएगी।”

प्रेस कांफ्रेंस में टेलीकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार दोनों कंपनियों के कर्मचारियों को आकर्षक वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) की पेशकश करेगी। उन्होंने कहा कि 53 वर्ष से ऊपर का कोई भी कर्मचारी अगर वीआरएस लेता है तो उसे वेतन का 125 फीसदी मानदेय दिया जाएगाष साथ पेंशन, ग्रेच्युटी आदि का लाभ 60 वर्ष की उम्र तक मिलेगा।

उधर एमटीएनएल टेलीकॉम एक्जीक्यूटिव एसोसिएशन के महासचिव ए के कौशिख भी सरकार के विलय की घोषणा से हैरान हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि सरकार का यह अच्छा कदम है। उन्होंने कहा कि, “बीएसएनल की मौजूदगी पूरे देश में है, ऐसे में इसका फायदा एमटीएनएल को ज्यादा होगा। एमटीएनएल के कर्मचारी अब बच जाएंगे और उन्हें वेतन समय से मिल जाएगा।”


उधर सरकार को एहसास है कि एमटीएनएल और बीएसएनएल के विलय का विरोध हो सकता है, सरकार ने काफी सावधानी बरती है। अपने बयान में रविशंकर प्रसाद ने कहा, “मोदी सरकार ने बीएसएनएल और एमटीएनएल को काफी खुले दिल से वित्तीय सहायता देने का फैसला किया है। अब मैं दोनों कंपनियों के कर्मचारियों से अपील करूंगा कि वे मेहनत से काम करें और सरकार की इन कंपनियों को मुनाफा कमाने वाला बनाएं।”

गौरतलब है कि 2017 में एक कमेटी बनाई गई थी जिसने दोनों कंपनियों पर अपनी रिपोर्ट और सिफारिशें दी थीं। सिफारिशों में कहा गया था कि दोनों कंपनियों को बचाए रखने के लिए इनका विलय कर देना चाहिए। यह भी कहा गया था कि विलय के बाद दोनों कंपनियां मिलकर निजी क्षेत्र से मुकाबला कर सकेंगी।

लेकिन यह भी तथ्य है कि बीएसएनएल और एमटीएनल दोनों के ही कर्मचारियों को अभी तक सितंबर माह का वेतन नहीं मिला है। बीएसएनलए में 1,63,000 और एमटीएनएल में 22,000 कर्मचारी काम करते हैं।

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