'हम भारत के लोग फिर जीतेंगे': संविधान दिवस पर कांग्रेस ने किया नागरिकों से लोकतंत्र बचाने का आह्वान

आज संविधान दिवस है। 73 साल पहले यानी 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने देश के संविधान को अंगीकृत यानी अडॉप्ट किया था। इस मौके पर कांग्रेस ने देश के नागरिकों का आह्वान किया है कि संविधान और देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए निडर होकर संघर्ष करना होगा।

सांकेतिक तस्वीर
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संविधान दिवस पर देश को बधाई दी है। उन्होंने एक्स पर लिखा है कि, “हमारा संविधान लोकतंत्र का जीवनसूत्र है।” उन्होंने आगे कहा है कि 74वें संविधान दिवस पर हम उन संविधान निर्माताओं को नमन करते हैं जिन्होंने देश के हर नागरिक को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकार दिए। उन्होंने कहा है कि आज संविधान की मूल भावना को विभिन्न चुनौतियों से दोचार होना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा है कि, “मौजूदा सत्ता स्वतंत्रता के उन सभी आयामों को रौंद रह है जो संविधान में बताए गए हैं। असहमति को अपराध माना जा रहा है, संस्थाओं को पंगु बनाकर उन्हें सत्ता का प्यादा बनाकर तानाशाही व्यवस्था स्थापित की जा रही है और सामाजिक बदलाव के नाम पर नफरत बांटी जा रही है।”

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि, “बीजेपी-आरएसएस द्वारा सरकारी मशीनरी के प्रत्येक अंग का दुरुपयोग कर व्यवस्थित और तीव्र तरीके से संविधान पर हमला किया जा रहा है।”

उन्होंने कहा है कि एक राष्ट्र के तौर पर हम सामाजिक न्याय और सौहार्द से वंचित होते जा रहे हैं और समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों को खत्म किया जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि अब समय आ गया है कि विभाजनकारी और नफरत की राजनीति के खिलाफ खड़ा हो जाया जाए। खड़गे ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी इस लड़ाई को सामने आकर लड़ रही है।

खड़गे ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का जिक्र करते हुए कहा है कि इस यात्रा से देश में शांति, एकता, विविधता, सौहार्द और करुणा का संदेश प्रसारित हुआ है। उन्होंने कहा है कि ऐसी यात्रा और अधिक राज्यों और समाज के और अधिक वर्गों के बीच जारी रहेगी।
उन्होंने आम नागरिकों का आह्वान किया है कि वे संविधान पर हो रहे हमलों का विरोध करें और संवैधानिक मूल्यों को खत्म किए जाने पर सत्ता से सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि जिस तरह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी, उसी तरह आज हमें बिना भय के अपने लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ना होगा और हम इस लड़ाई को जीतने में सक्षम हैं।

आज का संविधान दिवस हमारे पुरखों से प्रेरित होने का है।

पंडित जवाहर लाल नेहरू, बाबा साहब बी आर आंबेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाज, डा राजेंद्र प्रसाद, के एम मुंशी, सरोजनी नायडू, अलादी कृष्णास्वामी अय्यर, राजकुमारी अमृत कौर और तमाम अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने का दिन है।

हम, भारत के लोग, जीतेंगे....


कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी याद दिलाया है कि भले ही प्रधानमंत्री और उनके समर्थक संविधान से संबद्धता का दिखावा करें, लेकिन यह सिर्फ छलावा है।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि संविधान के साथ प्रतिबद्धता को लेकर तीन बिंदुओं पर बीजेपी और मोदी समर्थकों का दिखावा सामने आता है। उन्होंने सिलसिलेवार बताया है कि,

आरएसएस ने संविधान निर्माण में कोई भी या किसी भी किस्म का योगदान नहीं दिया है और दरअसल संघ ने तो संविधान का विरोध किया था।

प्रधानमंत्री मोदी की जय-जयकार करने वाले बहुत से लोग खुलकर संविधान को दोबारा लिखे जाने की वकालत करते रहे हैं

प्रधानमंत्री ने देश की सभी संवैधानिक संस्थाओ की स्वतंत्रता और पेशेवर स्वायत्ता लगभग खत्म कर दी है और संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को पक्षपात के लिए उकसाया है

जयराम रमेश ने आगे लिखा है कि, “इस बारे में बहुत सी किताबें लिखी गई है कि हमारा संविधान किस प्रकार अस्तित्व में आया। इस क्रम में ग्रैनविले ऑस्टिन और बी शिव राव की किताबों को अधिकृत काम माना जाता है। इसी तरह अरविंद एलंगोवन द्वारा रचित बंगाल नरसिंग राउ का बौद्धिक जीवन कथा हमारे संविधान निर्माण की प्रक्रिया में योगदान देने वाले तमाम हीरो की कहानी है।”

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