विष्णु नागर का व्यंग्य: I.N.D.I.A ने बजाई बारह! एक चौकीदार और एक फकीर की कहानी

लोकसभा में बोलने के बाद चौकीदार ने फिर फकीर से पूछा कि कैसा रहा,मेरा परफार्मेंस? मेरे लोग तो बहुत तारीफ कर रहे हैं। कह रहे हैं, झंडे गाड़ दिए सर, आपने!बजा दी उनकी! फकीर -यार, तेरे भेजे में आज तक ये बात नहीं आई कि उनका तो मेन बिजनेस है-तेरी तारीफ करना।

फोटो: The Quint
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विष्णु नागर

यह उस दिन का किस्सा है, जिस दिन लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस का जवाब माननीय प्रधानमंत्री जी ने दिया था। उस दिन एक चौकीदार और एक फकीर के बीच दो बार संवाद हुआ। जवाब से पहले और जवाब के बाद। संयोग से उस वार्ता का विवरण मुझे पता चला है। उसके कुछ संपादित अंश यहां प्रस्तुत हैं। आपका थोड़ा लाभ हो जाए तो मेरा नुकसान नहीं है: फकीर यार, इस I.N.D. I .A. ने तो पिछले दो दिन में मेरी बारह बजा दी। अब जल्दी से कोई रास्ता बता। गद्दी खतरे में है।

देख भई, न तो तू कभी चायवाला था, न कभी तू चौकीदार था और न मैं कभी फकीर था। तू भी जाली, मैं भी जाली, चायवाला भी जाली। हम सब जाली। हमारी कंपनी का नाम है-  जाली एंड जाली एंड जाली कंपनी प्राइवेट लिमिटेड'। न तूने कभी जनता के हितों की चौकीदारी की, न मैंने कभी फ़कीरी को जाना और न कभी उसने चाय बेची। तूने अपने स्वार्थों की चौकीदारी की। फकीरी से मेरा कोई लेना-देना नहीं रहा। हमेशा चकाचक रहा, चकाचक खाया। और हम, तुम और चायवाला तो शुरू से चौबीस घंटे खुद को देखकर मगन रहते थे। फोटो खिंचवाते रहते थे, वीडियो बनवाते रहते थे, झूठ का उद्योग करते रहते थे। हमारे पास दूसरों को देखने-सुनने -समझने की फुर्सत कब थी, पसंद कब रहा?तो जनता को कभी न कभी तो हमारी असलियत का पता चलना था और अब चल चुका है। अब हम दस घंटे भी जनता के सामने अपनी उपलब्धियों गिनाएंगे तो कोई फायदा नहीं होनेवाला। हमारे बारह का घंटा उन्होंने बजा दिया है, छुट्टी की घोषणा कर दी है। फिर भी तू मेरे पास आया है तो तुझे निराश नहीं करूंगा। एक मंत्र देता हूं। उन्होंने तेरी बारह बजाए हैं, तो तू उनकी एक बजा दे। वेरी सिम्पल है।


मगर फकीर ,बारह के बाद तो ज्ञानी लोग कहते हैं कि तेरह आते हैं। तुझे कहना चाहिए था कि तू इनकी तेरह बजा मगर तू उलटी बात कर रहा है। तू इनकी एक बजवाना चाहता है।फिर से एक से गिनती शुरू करवाना चाहता है। तेरा हिसाब काफ़ी गड़बड़ है। अरे, बेवकूफ घड़ी में बारह के बाद तेरह नहीं बजते,एक बजते हैं। तू अकल से पैदल है क्या?

अब यार तुझसे क्या छुपा है? पर ये बता, मान लो मैंने उनकी एक बजा दिए, तो डेफिनेट है कि वे मेरे दो बजा देंगे। मैं उनके तीन बजाऊंगा तो वो मेरे चार बजा देंगे! इस तरह ये खेल बहुत लंबा चलेगा। तू तो शार्टकट बता।

तो ऐसा कर चौकीदार, तेरी वो दो बजाएं तो तू उनका तीन का पहाड़ा बजा दे। वेरी सिंपल। यार तू मुझे मरवाने वाली बात कर रहा है। ये तो बहुत मुश्किल है मेरे लिए। अरे हमें तीन का पहाड़ा न स्कूल में आता था, न आज आता है! तीन पंजे पंद्रह के बाद मेरा मामला गोल है। और मान लो, कागज पे लिख के मैं ले गया और तीन का पहाड़ा पढ़ दिया, उनके तीन बजा भी दिए तो वे मेरा चार का पहाड़ा बजा देंगे। और वो चार का पहाड़ा अंग्रेजी में बजाएंगे तो मैं बुरी तरह फंस जाऊंगा। मुझे फोर वन द फोर और एट वन द एट तो आता है मगर फाइव -फाइव द और सिक्स थ्री द नहीं आता। बहुत लफड़ा है रे। अपन को राजनीतिक गणित खूब आता है, उसमें हम सबके बाप हैं मगर पहाड़े वाले गणित में डबल जीरो हैं। महाशून्य हैं। तो ऐसा कर, जिसे तू अपना असली नंबर टू मानता है,उसे आगे कर दे। अरे यार हम और वो, एक जैसे हैं,एक नस्ल के हैं। उसका भी गणित में डब्बा गोल है।उसे भी पहाड़े नहीं आते। तो फिर ऐसा कर I N D I A से कह कि तुम्हें जो बजाना हो, बजा दो। मैं सिद्धांतवादी हूं। मैं तो केवल तुम्हारे बारह बजाऊंगा। बारह से एक सेंटीमीटर न आगे नहीं बढ़ूंगा,न पीछे हटूंगा। खंभे की तरह वहीं खड़ा रहूंगा, राम मंदिर की तरह अड़ा रहूंगा। और बजरंगबली का नाम लेकर मैदान में कूद जा। हनुमान जी रक्षा करेंगे।


लोकसभा में बोलने के बाद चौकीदार ने फिर फकीर से पूछा कि कैसा रहा,मेरा परफार्मेंस? मेरे लोग तो बहुत तारीफ कर रहे हैं। कह रहे हैं, झंडे गाड़ दिए सर, आपने!बजा दी उनकी! फकीर -यार, तेरे भेजे में आज तक ये बात नहीं आई कि उनका तो मेन बिजनेस है-तेरी तारीफ करना। नहीं करेंगे ,तो जाएंगे कहां, उनका धंधा चौपट हो जाएगा पर सच में बताता हूं कि तू ठीक नहीं बोला बल्कि खराब बोला।बोल- बोल के, बोल -बोल के तूने सब गुड़गोबर कर दिया। सबकी जान ले ली मगर तू उनकी बारह तो क्या, ग्यारह भी नहीं बजा पाया। मुझे तो लगता है, तू दस भी नहीं बजा पाया! और उन्होंने हमारी -तुम्हारी सबकी जम के एक से हजार तक बजा दी! और तो और वो हवाई चुंबन देकर भी चला गया! मतलब आ गए हैं हमारे बुरे दिन। तो आ यार, हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं -जय हनुमान .....

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