विष्णु नागर का व्यंग्यः पीएम को हुई खाँँसी तो सारा राष्ट्र खाँँस-खाँस कर परेशान, राष्ट्रीय आपदा घोषित

खाँँसी हमें आपको - होती तो कोई बात नहीं, घरेलू नुस्खों से हम उसे ठीक कर लेते मगर बाप रे हुई थी प्रधानमंत्री को! लोकतंत्र में उसकी इतनी हिम्मत बढ़ चुकी थी तो उसे राष्ट्रीय आपदा तो घोषित होना ही था।

फोटो: सोशल मीडिया
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विष्णु नागर

खाँँसी हमें आपको - होती तो कोई बात नहीं, घरेलू नुस्खों से हम उसे ठीक कर लेते मगर बाप रे हुई थी प्रधानमंत्री को! लोकतंत्र में उसकी इतनी हिम्मत बढ़ चुकी थी तो उसे राष्ट्रीय आपदा तो घोषित होना ही था। उस दिन गोदी चैनलों पर दिनभर और रातभर मनहूसियत छाई रही। कहा गया: ' राष्ट्र ने आजादी के बाद कई गंभीर संकट झेले हैं मगर संकट की ऐसी घड़ी पिछले सात दशकों से भी अधिक समय में पहली बार ही आई है। आज राष्ट्र खाँँस-खाँस कर परेशान है, तो हम जैसे स्वस्थ लोग खामोश नहीं बैठे सकते। हमें भी राष्ट्र का साथ देना होगा, हमें भी राष्ट्रवादी खाँसी खाँसकर राष्ट्र के प्रति अपनी निष्ठा का प्रदर्शन करना होगा। प्रधानमंत्री के कंधे से कंधा मिलाना होगा।

यह समय आरोपों-प्रत्यारोपों का नहीं है। यह समय कोरोना या चीन का सवाल उठाने का नहीं है। यह समय उनके लिए प्रार्थना करने का है। यह समय उनके लिए बलि-बलि जाने का है। यह समय.....एक ने तो कहा कि संकट की इस घड़ी में सच्चा राष्ट्रप्रेमी वही होगा, जो वातावरण से आक्सीजन खींचकर कार्बनडाई आक्साइड नहीं छोड़ेगा। गाय का आदर्श सामने रखकर आक्सीजन लेकर आक्सीजन छोड़ेगा। गाय को अपना आक्सीजन- गुरु बनाएगा। आज बहुत से राष्ट्रविरोधी आक्सीजन लेकर वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड प्रवाहित करने का षड़यंत्र कर रहे हैं। इसे अब देश बर्दाश्त नहीं करेगा। अगर इस समय मेरे सामने माइक नहीं होता,हाथ में पिस्तौल होती तो मैं ऐसे सभी लोगों को ठाँय- ठाँय कर देता। आज वातावरण से आक्सीजन खींचकर कार्बनडाई ऑक्साइड छोड़नेवाली विध्वंसकारी शक्तियों को चिह्नित करने की आवश्यकता है।


वैसे सच्चाई यह थी कि माननीय प्रधानमंत्री जी को सिर्फ दस मिनट खाँँसी चली थी। इस बीच प्रधानमंत्री के आवास पर स्थित दस डॉक्टरों के होते हुए भी ठीक दस मिनट में उस पर काबू पा लिया गया था लेकिन संकट राष्ट्रीय था। इसके इतनी जल्दी समाधान की घोषणा करना देशहित के विरुद्ध होता। ठीक होने के बाद भी उसे ठीक मानना जन भावनाओं से खिलवाड़ करना होता।

बहरहाल 24 घंटे तक हर दस मिनट के बाद प्रसारण रोक कर गोदी चैनलों पर राष्ट्रीय खाँँसी पर अपडेट जारी होते रहे। एंकर स्वयं खाँस कर बताते रहे कि आदर्श राष्ट्रवादी खाँसी का कौनसा स्वरूप प्रधानमंत्री कार्यालय ने एप्रूव किया है। स्वस्थ लोग देश और प्रधानमंत्री के समर्थन में अपना राष्ट्रप्रेम दर्शाने के लिए इसे अपनाएँ । राष्ट्रद्रोही खाँसी का शिकार न बनें।

अगले दिन सुबह नौ बजे बुलेटिन जारी हुआ कि प्रधानमंत्री जी की खाँँसी अभी -अभी ठीक हो चुकी है। राष्ट्र पर छाये संकट के बादल छँट चुके हैं। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक ,अटक से लेकर कटक तक प्रसन्नता की लहर दौड़ जाना चाहिए। पूरा देश प्रधानमंत्री जी के प्रति आभारी है कि उनके अथक प्रयासों से राष्ट्र को इतनी जल्दी खाँसी जैसी विकट समस्या का उचित और कारगर समाधान प्राप्त हुआ है। उनकी इस उपलब्धि की चर्चा दुनियाभर में होने लगी है। अमेरिकी न्यूज चैनलों पर यही ब्रेकिंग न्यूज है। विश्व के तमाम नेताओं के शुभकामना संदेश आने लगे हैं। सबने एक स्वर से उनकी इस महान सफलता की भूरी-भूरी प्रशंसा की है।लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड इसे खाँसी पर रिकार्ड समय में सफलता के रूप में दर्ज करने की घोषणा की है।


सरकार ने एक जाँच आयोग राष्ट्रीय खाँसी के कारणों एवं निवारण पर अपनी रिपोर्ट देने के लिए गठित किया है। स्वयं प्रधानमंत्री ने सुबह ग्यारह बजे राष्ट्र के नाम संदेश प्रसारित कर देश को चिंतामुक्त किया। उन्होंने कहा कि ईश्वर की कृपा से मेरी खाँँसी ठीक हो चुकी है। अगर यह ठीक न होती तो इसके राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय प्रभाव विश्व के लिए कितने खतरनाक हो सकते थे,यह सोच कर ही दिल बैठ जाता है। मैं देश की 130 करोड़ जनता को धन्यवाद देता हूँ कि उसने स्थिति की गंभीरता को समझा और मेरे हाथ मजबूत किए। इसे राष्ट्रीय आपदा मानकर प्रार्थना ,यज्ञ-हवन सब किए।लेकिन देश की जनता यह भी देख रही है कि कुछ दल राष्ट्रीय खाँसी पर देशवासियों को बाँटकर,वोट बैंंक पालिटिक्स कर रहे हैं। जनता उनको क्षमा नहीं करेगी और मैं भी उन्हें मन से कभी माफ नहीं कर पाऊँगा। आप जानते हैं कि इस ब्रह्मास्त्र का उपयोग मैंने पहले सिर्फ एक बार किया है और उसके परिणाम कितने संगीन निकले थे,यह आपको ज्ञात है!जय भारत,जय आत्मनिर्भर इंडिया।

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