लोकप्रियता के निरंकुश दंभ में ट्रंप की हरकत अमेरिका और लोकतंत्र के लिए बड़े खतरे का संकेत
डोनाल्ड ट्रंप के भाषण के बाद जिस तरह वाशिंगटन डीसी में बवाल हुआ, लोग कैपिटल बिल्डिंग पर जैसे कब्जा करने को उतारू हुए, उसे अमेरिकी इतिहास का एक काला दिन ही कहा जा सकता है।
लोकप्रियता का दंभ जब सिर पर ऐसा चढ़ जाए कि सोचने-समझने की ताकत कुंद हो जाए तो क्या होता है? वही होता है जो अमेरिका में हो रहा है। चुनावी लड़ाई में हार चुके डोनाल्ड ट्रंप के भाषण के बाद जिस तरह वाशिंगटन डीसी में बवाल हुआ, लोग कैपिटल बिल्डिंग पर जैसे कब्जा करने को उतारू हुए, उसे अमेरिकी इतिहास का एक काला दिन ही कहा जा सकता है। इलेक्टोरल कॉलेज की 306 सीटों को जीतकर बहुमत के 270 के आंकड़े को बड़े आराम से पार कर जाने वाले जो बिडेन को सत्ता सौंपने में ट्रंप ने जिस तरह आखिरी वक्त में बेसिर-पैर तरीके से रोड़े अटकाने की कोशिश की, वह दुनिया में लोकतंत्र के लिए खतरा ही है।
अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए हुए मतदान के 65 दिन बाद, 7 जनवरी को सुबह 3.32 बजे अमेरिका की थकाऊ चुनाव प्रक्रिया अंततः संपन्न हो गई। देश के दो विधान मंडलों– प्रतिनिधि सभा और सीनेट की संयुक्त बैठक जिसे संयुक्त रूप से कांग्रेस के रूप में जाना जाता है– ने अमेरिका के अगले राष्ट्रपति के रूप में डेमोक्रेट जोसेफ बिडेन के नाम पर मुहर लगा दी। निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कट्टर समर्थकों की आपत्तियों के बावजूद कांग्रेस ने यह फैसला किया। ट्रंप के समर्थकों ने बिना किसी आधार एरिजोना और पेंसिल्वेनिया राज्यों के परिणामों पर आपत्ति जताई थी।
लेकिन जब वाशिंगटन डीसी की कैपिटल बिल्डिंग में कांग्रेस अगले राष्ट्रपति के तौर पर जो बिडेन के नाम को मंजूरी देने की औपचारिकताओं को पूरा करने में जुटी थी, बाहर ट्रंप समर्थकों ने हंगामा काट रखा था। हजारों लोगों ने इमारत पर धावा बोल दिया और लोगों को रोकने में पुलिस को गोलियां चलानी पड़ीं जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। कई लोग घायल हुए हैं।
अपनी पराजय के बाद से ही ट्रंप अपने धुर दक्षिणपंथी समर्थकों को उकसा रहे थे कि 6 जनवरी, नए राष्ट्रपति के प्रमाणन के दिन, वे वाशिंगटन डीसी में जुटें। अंततः जब वह दिन आया, ट्रंप ने इन लोगों को संबोधित किया। व्हाइट हाउस में अपने दफ्तर के पास ही एक पार्क में 70 मिनट के अपने भाषण में ट्रंप ने कहा, “कमजोरी के साथ आप कभी भी अपने देश को ले नहीं पाएंगे।” उसके बाद तो ट्रंप समर्थक देशद्रोह- जैसी हरकत पर उतर आए जिसके लिए निश्चित तौर पर उन्हें ट्रंप ने ही उकसाया था।
ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी से सांसद लिज़ चेनी ने फॉक्स न्यूज टीवी चैनल से बातचीत के दौरान बड़े ही स्पष्ट शब्दों में कहा, “राष्ट्रपति ने भीड़ को उकसाया। राष्ट्रपति ने भीड़ को संबोधित किया। उन्होंने चिनगारी भड़काई।”
इस बीच, अमेरिका के कई समाचार संगठनों ने दावा किया कि ट्रंप के कैबिनेट सहयोगियों ने उन्हें सत्ता से बेदखल करने के विकल्प पर भी काफी सोच-विचार किया। अमेरिकी संविधान के 25वें संशोधन के खंड-चार के प्रावधानों के मुताबिक, सीनेट का पदेन अध्यक्ष होने के नाते उप-राष्ट्रपति माइक पेंस और ट्रंप के 24 कैबिनेट सदस्यों में से 13 को सीनेट तथा प्रतिनिधि सभा को लिखकर देना पड़ता कि राष्ट्रपति अपने कार्यालय को संभालने तथा अपने कर्तव्यों का निर्वाह करने में असमर्थ हैं। उसके बाद उपराष्ट्रपति पेंस तत्काल ही कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाल लेते।
लेकिन अमेरिका में किसी राष्ट्रपति से सत्ता लेने की यह व्यवस्था स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों की संभावनाओं के मद्देनजर बनाई गई थी, यानी अगर कभी किसी कारणवश अमेरिका का राष्ट्रपति शारीरिक रूप से इस हालत में पहुंच जाए कि उसके लिए अपने कर्तव्यों का निर्वाह मुश्किल हो जाए तो बिना किसी परेशानी एक तय व्यवस्था के तहत सत्ता का हस्तांतरण हो पाए। ऐसी स्थिति में अगर ट्रंप को सत्ता से इस रास्ते बेदखल करने की कोशिश होती तो ट्रंप के शारीरिक रूप से स्वस्थ होने का सवाल उठता और तब यह तर्क दिया जा सकता था कि ट्रंप का मानसिक स्वास्थ्य शासन करने के काबिल नहीं। लेकिन उस स्थिति में भी तीन सप्ताह के भीतर दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से ऐसी स्थिति की पुष्टि की जरूरत पड़ती जो इतना आसान भी नहीं था। संभवतः इसी कारण इस विकल्प को अंततः छोड़ दिया गया।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ट्रंप के खिलाफ मुकदमा चलाने की संभावना भी खत्म हो गई है। कैपिटल बिल्डिंग में घुसने और उपद्रव मचाने के आरोप में पुलिस ने आरंभिक तौर पर कम-से-कम 52 लोगों को गिरफ्ता र किया है। कैपिटल बिल्डिंग परिसर में गैरकानूनी तरीके से प्रवेश और वहां हिंसा भड़काने के कहीं संगीन जुर्म के आरोप में तमाम लोगों पर मुकदमा चलेगा। संभवतः कई को लंबे समय की जेल की सजा भी झेलनी पड़े । ऐसी स्थिति में सारे हंगामे और हिंसा के लिए जो व्यक्ति जिम्मेदार था और जिसके कारण कांग्रेस का कामकाज घंटों तक नहीं हो सका, उसे कानून के ऊपर कैसे माना जा सकता है? अगर इस मामले में ट्रंप को किसी तरह की कोई छूट मिलती है तो यह लोकतंत्र और कानून के शासन का मखौल ही होगा।
जब कैपिटल बिल्डिंग के बाहर हिंसा और अफरा-तफरी का मंजर था और इसके तमाम वीडियो वायरल हो रहे थे, अमेरिका के अगले राष्ट्रपति के तौर पर चुने गए जो बिडेन ने वीडियो-कास्ट में कहाः “यह असहमति नहीं, अव्यवस्था है। अराजकता है। यह देशद्रोह-जैसा है।” रिपब्लिकन सीनेटर और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रह चुके मिट रोमनी ने इस “खतरनाक खेल” में ट्रं प का साथ देने वाले साथी सांसदों से कहा कि उन्हें “हमेशा ही हमारे लोकतंत्र के खिलाफ एक अभूतपूर्व हमले में शामिल माना जाएगा।”
पेंस की ही तरह प्रभावशाली रिपब्लिकन सीनेटर मिच मैककोनेल ने भी ट्रंप का खुलकर विरोध किया। उन्होंने ऐलान किया कि उन्हें इस तरह ठगों के झुंड, भीड़ तंत्र और धमकियों की बदौलत बाहर नहीं किया जा सकता। जो बिडेन 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने वाले हैं।
जब कैपिटल बिल्डिंग के बाहर हिंसा और अफरा-तफरी का मंजर था और इसके तमाम वीडियो वायरल हो रहे थे, अमेरिका के अगले राष्ट्रपति के तौर पर चुने गए जो बिडेन ने वीडियो-कास्ट में कहाः “यह असहमति नहीं, अव्यवस्था है। अराजकता है। यह देशद्रोह-जैसा है।” रिपब्लिकन सीनेटर और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रह चुके मिट रोमनी ने इस “खतरनाक खेल” में ट्रं प का साथ देने वाले साथी सांसदों से कहा कि उन्हें “हमेशा ही हमारे लोकतंत्र के खिलाफ एक अभूतपूर्व हमले में शामिल माना जाएगा।”
पेंस की ही तरह प्रभावशाली रिपब्लिकन सीनेटर मिच मैककोनेल ने भी ट्रंप का खुलकर विरोध किया। उन्होंने ऐलान किया कि उन्हें इस तरह ठगों के झुंड, भीड़ तंत्र और धमकियों की बदौलत बाहर नहीं किया जा सकता। जो बिडेन 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने वाले हैं।
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