विष्णु नागर का व्यंग्य: केजरीवाल को भी वही हिंदू प्यारा है, जो मोदी को दुलारा है!
केजरीवाल को भी वही हिंदू प्यारा है, जो मोदी को दुलारा है। केजरीवाल को मुसलमानों से उतनी ही 'मुहब्बत 'है, जितनी मोदी को है। मोदी सीधे- सीधे नफरत का आह्वान कर सकते हैं, केजरीवाल अपना सिर दूसरी ओर घुमा लेते हैं, इसीलिए वह सेकुलर हैं।

इस दुनिया में कैसे -कैसे आशावादी हो चुके हैं! एक शायर हुआ करते थे।नाम था उनका साहिर लुधियानवी। 1959 में उन्होंने एक फिल्म के लिए गाना लिखा था:
तू हिन्दू बनेगा, न मुसलमान बनेगा
इंसान की औलाद है, इंसान बनेगा
साहिर साहब, आप अवाम के शायर थे। आपको उस समय बड़ी-बड़ी उम्मीदें पालने का हक था, सहूलियत थी, आजादी थी। वह समय कुछ और था। अब 2025 आ चुका है। 1959 में जन्मे जिन बच्चों से- आपने न हिंदू और न मुसलमान बनने की उम्मीद की थी, वे अब 65 बरस या इससे थोड़ा कम या कुछ अधिक बूढ़े हो चुके हैं। पता नहीं उनमें से कितने इंसान बन सके हैं मगर इतना तय है कि इनमें से अधिकतर हिन्दू या मुसलमान या ईसाई या सिख बन चुके हैं! वे अपने बच्चों को और शायद उनके भी बच्चों को आज हिन्दू या मुसलमान बना चुके हैं या दिन- रात इस फेर में पड़े हुए हैं। वे इंसान बनने और बनाने की तमाम तकलीफों से मुक्ति पा चुके हैं। बहुत मुश्किल है साहिर साहब, उनसे आज 'अम्न और सुल्ह के अरमान' को जिंदा रखने की उम्मीद रखना और जो आज भी आपकी इन बातों में यकीन रखते हैं, उनका सांस लेना तक अब काफी कठिन हो चुका है! अब तो शान से बुलडोजर चलाए जा रहे हैं। आदमी को कुचलने तक में अब शर्म नहीं रही!
साहिर साहब आज ऐसा वक्त लाया जा चुका है कि कोई आपकी ये पंक्तियां सुनेगा तो हंसेगा ' नफरत जो सिखाए, वो धरम तेरा नहीं है, इंसा को जो रौंदे, वो कदम तेरा नहीं है। 'आज का तो असली धरम ही नफरत सिखाना है और कदम आज बढ़ते ही तभी हैं, जब किसी का घर या दुकान रौंदना हो। वह कोई भी हो सकता है। वह मुसलमान हो सकता है, हिंदू या ईसाई या किसी भी धर्म या जाति का! वह सब्जीवाला, फल-फूलवाला, किराना व्यापारी , साइकिल का पंचर जोड़नेवाला, चने- भूंगड़े बेचनेवाला या कोई और। किसी को इसकी परवाह नहीं है कि यह घर या दुकान कानूनी है और कितनी पुरानी है! अगर किसान दिल्ली की तरफ कदम बढ़ाएं तो सत्ता का एकमात्र धर्म, जाति और राष्ट्रीयता एक ही रह जाती है- उन्हें रौंदना। नेहरू जी के आसमान में उड़ते सफेद कबूतरों की जगह अब बुलडोजरों ने ले ली है !शांति की जगह विध्वंस की पूजा होने लगी है।
साहिर साहब, मजदूर तो आज हैं ही इसलिए कि या तो उन्हें काम की जगह पर रौंदा जाए या वे हक मांगें तो उन्हें सड़क पर रौंद दिया जाए! मणिपुर के लोग तो पौने दो साल से रौंदे ही जा रहे हैं और जो प्रधानमंत्री अमेरिका जाकर प्रवासी भारतीयों के बीच दहाड़ने जाते हैं, उनसे दिल्ली से हवाई जहाज से केवल चार घंटे की दूरी पर मणिपुर नहीं जाया जाता। सवालों का सामना किया नहीं जाता!
दूर कहां जाएं साहिर साहब, आज की हमारी चुनावी दिल्ली को देख लीजिए। जहां आपने और अमृता प्रीतम ने कभी जबरदस्त इश्क फ़रमाया था, वहां आज के नेताओं को इंसान में इंसान की तलाश नहीं है। उन्हें हिंदू और मुसलमान की तलाश है। चुनावी- प्रेम के लिए उन्हें हिंदू चाहिए और नफरत करने के लिए मुसलमान! और आज केवल हिंदू नहीं, ब्रांडेड हिंदू चाहिए। वह मोदी- ब्रांड हिंदू हो या केजरी ब्रांड हिंदू। दोनों ब्रांड के सामान की क्वालिटी एक है, केवल दुकानें दो हैं और दोनों आमने-सामने हैं। एक की दुकान हिंदुत्व खेमे में है, दूसरे की सेकुलर खेमे में!
केजरीवाल और उनकी पार्टी के लोग भी हिन्दू वोट के लिए तमाशे पर तमाशे कर रहे हैं। मंदिर के पुजारियों तथा गुरुद्वारे के ग्रंथियों को हर महीने 18 हजार रुपए मेहनताना देने का वायदा कर रहे हैं और इस पर अपनी पीठ खुद ठोंक रहे हैं कि आज तक यह महान आईडिया हमारे अलावा किसी और को नहीं आया! कोई नेता इस मंदिर तक दौड़ कर जा रहा है तो कोई उस मंदिर तक। सारे केजरीवालों की दौड़ मंदिर तक है। केजरीवाल की जीत के लिए अनेक मंदिरों में प्रार्थनाएं, पूजा -पाठ करवाए जा रहे हैं। मंदिर से ही भावी सरकारी योजना का ऐलान किया जा रहा है। यह राजनीति और समाज नीति है। इसमें इनसान की जगह कहां है?
केजरीवाल को भी वही हिंदू प्यारा है, जो मोदी को दुलारा है। केजरीवाल को मुसलमानों से उतनी ही 'मुहब्बत 'है, जितनी मोदी को है। मोदी सीधे- सीधे नफरत का आह्वान कर सकते हैं, केजरीवाल अपना सिर दूसरी ओर घुमा लेते हैं, इसीलिए वह सेकुलर हैं। बीजेपी दिल्ली दंगे की आग भड़काती है, केजरीवाल इस आग में हाथ सेंकते हैं क्योंकि वह सेकुलर हैं।
कोई किसी से कम नहीं है। साहिर साहब ,दोनों को इंसानों से एक- सी नफ़रत है, दोनों को ब्रांडेड हिंदू चाहिए। किसी में यह हिम्मत नहीं है कि हिंदूओं और मुसलमानों से कह सके कि तुम पहले और बाद में भी सिर्फ इंसान हो, हिंदू या मुसलमान अगर हो तो बाद में हो!
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Published: 05 Jan 2025, 8:00 AM