विष्णु नागर का व्यंग्य: कहीं गलती न हो जाए!

हिंदू-मुसलमान नहीं करूंगा, यह मेरा 'संकल्प' है, यह कहा था और अगले ही दिन ये अपनी असली औकात पर आ गए। जिसे ये अपना 'संकल्प ' बता रहे थे, वह वहीं टूटकर, बिखर गया।

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विष्णु नागर

 इनको तो 24 घंटे भी नहीं लगे, अबाउट टर्न करने में! बहुत जल्दी पलटी मारी भैया ने और ये ही पलटीमार बाबा,  दुनियाभर की गारंटियां वोटरों को बांटते घूम रहे हैं। ये गारंटी लो और वो गारंटी लो।रुको, साथ में ये गारंटी भी लेते जाओ, सब मुफ्त में! लगता था कि इन्हें गारंटियों से इश्क जैसा कुछ हो सा गया है! कहते हैं कि बुढ़ापे का इश्क बहुत ख़तरनाक होता है, इसलिए समझदार लोग यह काम जवानी में ही कर लिया करते हैं!

बीते मंगलवार को ये भाईसाहब बनारस में गंगा के किनारे इंटरव्यू देते हुए मुसलमानों से अचानक बहुत लाड़ लड़ाने लगे थे। इतना अधिक लाड़ तो कोई अपनी औलादों से भी नहीं लड़ाता। लगता था कि उस दिन जैसे मुसलमानों से लाड़ करने का इन्हें राजनीतिक दौरा सा पड़ गया था। इतनी जल्दी ,इतने अचानक, ये इतने ज्यादा सेकुलर हो गए थे कि मैं अपने छात्र काल में इतनी जल्दी तो बाएं मुड़ से दाएं मुड़ भी नहीं कर पाता था!

 उस दिन ये कह रहे थे कि भाइयों-बहनों, जिस दिन मैं हिन्दू -मुसलमान करूंगा, उस दिन से सार्वजनिक जीवन के योग्य नहीं रहूंगा। इन्होंने इतने बड़े  झूठ को सुपाच्य बनाने के लिए ऊपर से यह सफाई भी दी थी कि ज्यादा बच्चे पैदा करने की बात मैंने मुसलमानों के लिए नहीं, सभी गरीबों के लिए कही थी। और बचपन में तो मुसलमान मेरे पड़ोसी होते थे। ईद के दिन मेरे यहां खाना नहीं बनता था। मुसलमान पड़ोसी खाना भेजते थे। मुहर्रम में हम ताजिये के नीचे से निकलते थे।

और भी कुछ झूठ उस दिन इन्होंने पेले थे। हिंदू-मुसलमान नहीं करूंगा, यह मेरा 'संकल्प' है, यह कहा था और अगले ही दिन  ये अपनी असली औकात पर आ गए। जिसे ये अपना 'संकल्प ' बता रहे थे,cवह वहीं  टूटकर, बिखर गया। इतना मजबूत था इनका ' संकल्प ' कि 24 घंटे भी अपनी बात पर टिक नहीं पाए!

पिछले बुधवार को ये महाराष्ट्र में बोल आए कि कांग्रेस के लिए तो एक ही अल्पसंख्यक है और वो है, उसका अपना वोट बैंक! बात कहीं अस्पष्ट न रह जाए, कहीं कोई झोल  न रह जाए तो साफ कहा कि कांग्रेस चाहती थी कि बजट का 15 प्रतिशत केवल मुसलमानों पर खर्च हो। मैंने मुख्यमंत्री होते हुए इसका विरोध किया। मेरी पार्टी ने इसका विरोध किया, तब जा कर कांग्रेस यह नहीं कर पाई! अरे भैया जी, दो- चार महीने तो अपनी बात पर टिकते! वोट पड़ने तक तो कम से कम टिक जाते! अपनी नहीं, अपने पद की कुछ तो गरिमा रखते! विश्वगुरुत्व के गुरूर का तो ख्याल रखते! उस राम की तो इज़्ज़त तो कुछ रखी होती,जिसे आप अभी जनवरी में ही ऊंगली पकड़कर उन्हें मंदिर तक छोड़ने की कृपा कर चुके हो और जिनके भव्य मंदिर के नाम पर दर- दर वोट मांगते घूम रहे हो! सब टांय- टांय फिस्स हो गया तो क्या हुआ!


डाकुओं का हृदय परिवर्तन जल्दी नहीं हुआ था मगर जब  हो गया था तो फिर परमानेंट हुआ था। उन्होंने दो-चार दिन बाद यह नहीं कहा था कि सारी, हम तो फिर से बीहड़ में लौट रहे हैं!और इधर ये कहते हैं कि भारत का मेरी वजह से दुनियाभर में डंका बज रहा है! इस तरह बज रहा है डंका! हिंदी में एक कहावत है थूक कर चाटना। यह सही है कि थूक कर चाटना हो तो यह काम तुरंत करना पड़ता है वरना थूक को सूखने में देर नहीं लगती मगर जीवन में थूक कर चाटने का उदाहरण प्रस्तुत करनेवाले मनुष्य थूका हुआ चाटने में समय लेते हैं। महीने-दो महीने-छह महीने, साल -दो साल- चार साल का टाइम लेते हैं बल्कि इससे भी ज्यादा समय लेते हैं,तब चाटना शुरू करते हैं। इसके लिए अपने उस थूक को फ्रिजर में रखते हैं कि पता नहीं कब चाटना पड़ जाए!। मौका आ जाता है तो उसे फ्रिजर से निकालते हैं ।उसे सामान्य तापमान पर लाते हैं, तब सबके सामने उसे चाटकर दिखाते हैं और ताली बजवाते हैं! इन्होंने तो थूक कर चाटने वालों को भी मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा! और ये संतान अपने आपको बताते हैं शिवाजी और महाराणा प्रताप की ! कसम लोकतंत्र, संविधान, बाबासाहेब अम्बेडकर की खाते हैं और इनकी कसम और इनके संकल्प का इतना बुरा हाल है! चौबीस घंटे में पलटी मार ली! वाह रे छप्पन इंची पलटीमार बाबा!

इतना बड़ा झूठ ये इतनी आसानी से बोल गए थे कि एक बार तो बेचारा झूठ भी गश खा  गया होगा पर ये जानकर कि अरे ये तो अपने झूठनेन्द्रू जी का झूठ है, मुस्कुरा दिया होगा! भावुकता का नाटक करते हुए मंगलवार को ये कह रहे थे ये कि कहीं मुझसे ग़लती न हो जाए! हां भैया आपसे तो गलती ही होती है, समझ-बूझ कर तो आप कुछ करते ही नहीं! 2002 में गुजरात में करीब दो हजार लोगों की जान ले ली गई थी, तब भी मुख्यमंत्री के नाते आपसे गलती  ही हो गई थी!कुत्ते का पिल्ला गलती से आपकी गाड़ी के नीचे आ गया था और आपको तब इसका बहुत दुख भी हुआ था न दो करोड़ रोजगार हर साल देने की बात भी गलती से आपने कह दी थी! अच्छे दिन लाने की बात भी आपकी गलती ही थी! नोटबंदी की गलती भी आपसे हो गई थी! और जिस दिन हिंदू मुसलमान करूंगा, उस दिन... यह भी आप गलती से कह गए थे न!


इतना बड़ा झूठ ये इतनी आसानी से बोल गए थे कि एक बार तो बेचारा झूठ भी गश खा  गया होगा पर ये जानकर कि अरे ये तो अपने झूठनेन्द्रू जी का झूठ है, मुस्कुरा दिया होगा! भावुकता का नाटक करते हुए मंगलवार को ये कह रहे थे ये कि कहीं मुझसे ग़लती न हो जाए! हां भैया आपसे तो गलती ही होती है, समझ-बूझ कर तो आप कुछ करते ही नहीं! 2002 में गुजरात में करीब दो हजार लोगों की जान ले ली गई थी, तब भी मुख्यमंत्री के नाते आपसे गलती  ही हो गई थी! कुत्ते का पिल्ला गलती से आपकी गाड़ी के नीचे आ गया था और आपको तब इसका बहुत दुख भी हुआ था न दो करोड़ रोजगार हर साल देने की बात भी गलती से आपने कह दी थी! अच्छे दिन लाने की बात भी आपकी गलती ही थी! नोटबंदी की गलती भी आपसे हो गई थी! और जिस दिन हिंदू मुसलमान करूंगा, उस दिन... यह भी आप गलती से कह गए थे न!

 तो सुन लो, भारत की जनता से भी 2014 और 2019 में गलती हो गई थी। वह इस बार  वही ग़लती नहीं करने जा रही! ये गारंटी वाला पलटू राम कहीं फिर से नमूदार न हो जाए, वह सावधान है! अभी तक तो लोगों ने सोचा था कि इसे भी हमारी तरह इसकी मां ने जन्म दिया होगा मगर अब तो इसने उसमें भी शक पैदा कर दिया है कि 'शायद' मेरी मां ने मुझे जन्म दिया हो!

 जबसे यह 'शायद 'लोगों के कान में पड़ा है, तब से पहले से भी ज्यादा वोटर सोचने लगे हैं! जो आदमी इतना बड़ा बन चुका हो कि अपनी मां को भी मां मानने से इन्कार कर दे, जो इतना कृतध्न हो, उससे तो बच कर चलना ही ठीक है। ऐसा नेता तो अचार डालने के काम का भी नहीं ।वोटर को तो चाहिए ऐसा नेता, जो कम से कम मनुष्य तो हो! मां जिसकी, शायद नहीं, उसकी अपनी मां हो! वह मां हो, जो अपनी संतान को नौ महीने तक  अपने गर्भ में पालती है और बाद में भी पल -पल  उसकी चिंता करती है!

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