विष्णु नागर का व्यंग्य: आजकल धमाके पर हो रहे धमाके, ये धमाका सुपर धमाका और फेस्टिवल धमाका 

दिल्ली में एक ही धमाके पर रोक है, जहरीले पटाखों का धमाका! कोर्ट की धमकियों के बाद कम से कम दिल्ली सरकार और पुलिस कागज़ों पर इस मामले में सख्त नजर आ रही है। पटाखे फोड़ने पर 200 रुपये और बेचने और भंडारण पर पांच हजार रुपए जुर्माना है।

फोटो: सोशल मीडिया
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विष्णु नागर

सुपर धमाके और फेस्टिवल धमाके, आपके शहर-कस्बे में भी हो रहे होंगे। दिल्ली तो वैसे भी धमाकिस्तान है, यहां तो बारह महीने धमाके होते रहते हैं। धमाकों के अलावा यहां होता क्या है? दीपावली आ गई है तो आजकल पग-पग पर धमाके हो रहे हैं। इधर से बचो तो उधर और उधर से बचो तो इधर, दाएं से बचो तो बाएं और बाएं से बचो तो दाएं। धमाके ही धमाके। बाजार तो बाजार अख़बार भी इन्हीं धमाकों से धुआं-धुआं हो रहे हैं। अखबार खोलो तो धमाका और नहीं खोलो तो ये डर कि कहीं कुर्सी या सोफे के नीचे अचानक धमाका न हो जाए ! और गूगल महाराज तो धमाका किए बगैर मानते नहीं। और टीवी भी न जाने किन किन-किन धमाकों का जनक और पालनकर्ता है!

बाकी धमाके तो ठीक हैं मगर आजकल अगरबत्ती धमाका भी हो रहा है। ये धमाका सीधे 'गॉड' से आपका संबंध स्थापित कर देता है। स्कूटर धमाका, मोटरसाइकिल धमाका, टीवी धमाका, खाने-पीने की चीजों और दवाओं पर छूट का धमाका। अभी दो दिन पहले पढ़ा कि दिवाली फेस्टिवल धमाका अमेरिका और दुबई तक भी पहुंच चुका है! इधर एक सुपर धमाका यह हुआ है कि भारत के 1132 धनपतियों के पास 830 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति होने की खबर आई है। मतलब डालर में ये मिलेनर हो गए हैं। भूख के मामले में हम नीचे से आगे हैं, अरबपतियों के मामले में ऊपर से आगे हैं। दुनिया का भारत तीसरा बड़ा देश बन चुका है, जहां इतने डालर-मिलेनर हैं! भूखों के मामले में पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल तक हमें शर्मिंदा कर रहे हैं मगर अरबपतियों की संख्या के मामले में इन्हें तो छोड़ो, हम ब्रिटेन, जर्मनी, जापान को भी शर्मिंदा कर रहे हैं! हम सच्चे विश्वगुरु हैं। गुरु भूखा है मगर अपने खास शिष्यों को अरबपति बनते देख खुश है। इधर प्रधानमंत्री जी मंदिर सुपर धमाका कर रहे हैं‌।


इसका अर्थ यह हुआ जहां देखो, वहां धमाके ही धमाके हैं! धमाके निमंत्रण दे रहे हैं कि आइए एक बार धमाकों से चीथड़े-चीथड़े होकर आप भी देखिए! आनंद न आए तो ब्याज समेत पैसे वापस! एक कंपनी पूछ रही है कि क्या आप दिल से त्योहार मनाना चाहते हैं? अगर चाहते हैं तो एक ही तरीका है कि फलां वाला स्कूटर ले आओ। हमने मना कर दिया है।

आजकल कारवाले धमाके नहीं कर रहे हैं क्योंकि खरीददार खुद उनके सिर पर चढ़कर धमाके कर रहे हैं कि दो भाई, जल्दी से दो कार! इन धमाकों के साथ अच्छी बात ये है कि ये कान नहीं फोड़ते, केवल दिमाग फोड़ते हैं और दिमाग का क्या है जी! ज्यादातर लोगों के लिए वैसे भी इसका कोई खास उपयोग नहीं है। आजकल दिमाग का इस्तेमाल करने में घाटा ही घाटा है, न करने में फायदा ही फायदा! इसलिए दिमाग टूटे या फूटे या उड़ जाए, क्या फर्क पड़ता है?

दिल्ली में एक ही धमाके पर रोक है, जहरीले पटाखों का धमाका! कोर्ट की धमकियों के बाद कम से कम दिल्ली सरकार और पुलिस कागज़ों पर इस मामले में सख्त नजर आ रही है। पटाखे फोड़ने पर 200 रुपये और बेचने और भंडारण पर पांच हजार रुपए जुर्माना है। तीन साल तक की जेल भी । अच्छी बात यह है कि न जनता और न पटाखा व्यापारी इन गीदड़ भभकियों से डर रहे हैं। पकड़े गए तो भी डर नहीं ! और ये कितनी सुंदर बात है कि आज लोग पटाखों के मामले में तो कम से कम निर्भय हैं! इधर करीब तीन हजार किलो अवैध पटाखे बरामद होने की खबर आई है मगर कोई इतना मूर्ख नहीं कि इसके बाद यह मान ले कि अब दिल्ली में पटाखे बिल्कुल नहीं मिलेंगे। जेब गरम हो तो उसी तरह मिल जाएंगे, जिस प्रकार गुजरात में शराबबंदी के बावजूद दारू, घर तक चली आती है। आप देखना, दीपावली की रात से तड़के चार बजे तक दिल्ली में पटाखे चलेंगे और जितनी रात गुजरती जाएगी, उतने ये 'अवैध' पटाखे खूब चलेंगे! पुलिस दो-चार, दस-बीस पर कार्रवाई करके दिखा देगी। करवा दिया जी, प्रतिबंध का पालन!


अभी से दिल्लीवासियों को ही नहीं, पड़ोस के फरीदाबादवासियों, उधर मेरठ और हापुड़वासियों को भी प्रदूषण के नाम से डराया जा रहा है! कम से कम दिल्ली वाले इस सबसे डरते नहीं। हम हर साल पराली और पटाखों से होनेवाले प्रदूषण को झेलने में सक्षम हैं। हम त्योहार-प्रिय हैं और प्रदूषण -प्रूफ भी। इस बार प्रगति यह हुई है कि पटाखे फोड़ने से रोकने का प्रयास भी 'हिंदुओं की भावनाओं से खिलवाड़' के दायरे में आ चुका है। 'यूनाइटेड हिंदू फ्रंट' नामक संगठन ने इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना बताया है पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी 'अवमानना' की परवाह से मना कर दिया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी हाथ ऊंचे कर दिए हैं तो अब भाजपा ने स्वर ऊंचे कर दिए हैं। अभी उसकी इतनी हिम्मत तो नहीं हुई कि अदालतों को 'हिंदू विरोधी' कह सके तो केजरीवाल जी को 'हिंदू विरोधी' कह कर काम चला रही है। अब बेचारे केजरीवाल जी तो भाजपा के हिंदूवाद की सबसे सच्चे अनुयायी हैं। बिल्किस बानो केस में उनकी जबान उसी तरह नहीं फूटी, जिस तरह प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और भाजपा की। फिर भी बेचारे केजरीवाल जी पर 'हिंदू विरोधी' होने का आरोप! छि-छि। ऐसी बात दुबारा मत कहना! जो कहेगा, उसे पाप लगेगा, रौरव नरक से कम कुछ नहीं मिलेगा!

 शुभ दीपावली।

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