विष्णु नागर का व्यंग्य: मेरे प्यारे देशवासियो, मैं आपको अंधेरे में धकेलने के लिए तैयार हूं!

एक बार और मेरा साथ दीजिए बल्कि बार- बार साथ दीजिए। 2047 तक मेरा साथ दीजिए, ‌तब मैं आपको अंधेरे के, पतन के, अत्याचार के, गरीबी, भूख और अकाल के ऐसे दिव्य दर्शन करवाऊंगा। पढ़ें विष्णु नागर का व्यंग्य।

प्रतीकात्मक तस्वीर
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विष्णु नागर

तो मेरे परिवारजनों, आपने अपने इस प्यारे देश को इस बार भी अंधेरे में धकेलने की पूरी तैयारी कर ली है न, मन बना लिया है न? इस बार भी आपका इरादा मजबूत है न? कोई संशय, कोई दुविधा तो नहीं है न? आप विरोधियों के दुष्प्रचार का शिकार मत बनिए। ये रोशनी के पक्षधर हैं, जबकि समय का तकाजा है कि आप गहरे और गहरे अंधेरे में, डूब जाएं, हो सके तो मर कर अमर हो जाएं। आप आज ही गहरे और गहरे अंधेरे में डूबने का दृढ़ संकल्प लें। दृढ़ संकल्प के बगैर कुछ नहीं होता। लुटेरे, लूट नहीं पाते। ठग, ठगी नहीं कर पाते। झूठे दिन-रात, झूठ नहीं बोल पाते। संत वेशधारी नरसंहार नहीं कर पाते। मोदी प्रधानमंत्री नहीं बन पाता।

 हां तो जोर से बोलिए मेरे साथ कि हम भगवान राम और भोलेनाथ की शपथ लेकर कहते हैं कि चाहे जो हो जाए, जो भी बाधा आए, जो भी कीमत चुकाना पड़े मगर हम अंधेरे का, मोदी का साथ नहीं छोड़ेंगे। उजाले की बात करनेवाला सेकुलर माफिया है।हम उसका साथ नहीं देंगे, हम अंधेरे के मसीहा के साथ जाएंगे।जोर से बोलिए।इतना दम लगाकर बोलिए कि पूरी दुनिया सुन ले कि भारत के लोगों को कोई अंधेरे में धकेलने वाला नेता मिल जाए तो विश्वगुरु देश के लोग अंधेरे में धकेले जाने से नहीं डरते।वे कायर नहीं हैं,वे रोशनी के नहीं, वे अंधेरे के सिपहसालार हैं।वे शिवाजी और राणा प्रताप की संतानें हैं। वे घास की रोटी खाकर भी मोदी का साथ देंगे।कायर वे हैं, जो कहते हैं, हम देश को अंधेरे में धकियाए जाने का विरोध करते हैं। जो कहते हैं, आइए हम फिर से प्रकाश की ओर चलें। तमसो मा ज्योतिर्मय कहें, अपना दीप आप बनें। हम ऐसे कायरों का साथ कभी नहीं देंगे। ये बदमाश नहीं चाहते कि आपको अंधेरे का आनंद मिल सके। इनको तो जब देखो तब, प्रकाश चाहिए। कहते हैं, अपने दीप, आप बनो। क्यों बनें, हमारा दीप जब मोदी है, तो हम क्यों अपना दीप बनने का कष्ट स्वयं उठाएं!


इनसे सावधान। ये अंधकार के दुश्मन हैं। आपको ये हमेशा-हमेशा के लिए अंधेरे से  महरूम रखना चाहते हैं। ये देश की संस्कृति और सभ्यता के दुश्मन हैं। इनका बस चले तो ये गरीबी और भुखमरी की हमारी महान परंपरा का गला घोंट दें। इन्हें प्रकाश ही प्रकाश ,उम्मीद ही उम्मीद चाहिए, आशा ही आशा चाहिए, न्याय ही न्याय चाहिए। इन्हें समानता समानता चाहिए। ये असमानता से नफरत करनेवाले लोग हैं। इन्हें अंबानी-अडानी का अरबों के बैंक कर्ज को माफ करने से तकलीफ है। इनकी चिंता है कि दुनिया के भूख पीड़ित देशों भारत का स्थान 125 देशों में 111 वां  है? ये बच्चों में खून की लगातार होती कमी से परेशान हो जानेवाले लोग हैं। ये कहते हैं कि गुजरात के बच्चों में खून की सबसे ज्यादा कमी है। ये गरीबी, बेरोजगारी पर प्रश्न उठाते हैं।ये कोई देश के असली सवाल हैं?असली सवाल है मंदिर, सावन में तेजस्वी यादव मछली क्यों खाता है?

 वोटरो, आपने उजेले का साथ देकर बहुत देख लिया, अब आप गहरे और गहरे अंधेरे का आनंद लूटकर देखिए। कहीं अंत काल में आपको  पछताना न पड़े कि हाय हमें  मोदी ने अंधेरे में डूबने-तड़पने-मरने का इतना सुनहरा अवसर दिया था मगर हम बेवकूफी में रोशनी के लालच में फंस गए। अरे अभी तो आपने दस साल ही अंधेरे का मजा लिया है। पूरा-पूरा आनंद  आपको अभी मिला कहां? अब आप इसके कुछ -कुछ अभ्यस्त होने लगे हैं तो इन्हें इससे ईर्ष्या होने लगी है। यह आपके इस सुख को आपसे छीनना चाहते हैं।ये षड़यंत्रकारी हैं। इनका एक ही उद्देश्य है मोदी को हटाना, उसे नीचा दिखाना। उसके सुख और आनंद को छीनना। आप यह मत होने दीजिए वरना उजाले में सब इतना साफ़-साफ़ दिखने लगेगा कि आपका मोदीप्रेम काफूर हो जाएगा।

एक बार और मेरा साथ दीजिए  बल्कि बार- बार साथ दीजिए। 2047 तक मेरा साथ दीजिए, ‌तब मैं आपको अंधेरे के, पतन के, अत्याचार के, गरीबी, भूख और अकाल के ऐसे दिव्य दर्शन करवाऊंगा, उसकी ऐसी महान गहराइयां दिखाऊंगा कि जो हजार साल पहले हमारे महान पूर्वज भी नहीं देखी थी ।


 सच कहता हूं अंधेरे का अपना आनंद है। संपूर्ण अंधेरे का, संपूर्ण आनंद है। आप इस संपूर्णता के लक्ष्य की प्राप्ति  में मेरा साथ दीजिए। अरे पेट में रोटी नहीं है, रोजगार नहीं है तो क्या हुआ, क्या हमने यह अमूल्य जीवन नौकरी करने, खाने पीने के लिए पाया है? क्या हम इस महान‌ देश के लोग इतने नीच हैं, इतने गये बीते हैं कि मोदी से ऐसी मांग करके उसे परेशान करें, उसे हरायें? क्या हमने सुख से जीने के लिए जन्म लिया है? क्या मोदी रोज 18-18 घंटे इसलिए काम करता है कि देश का एक-एक आदमी आत्मसम्मान से जिए?

मैं आपको मोदी -मंत्र देता हूं कि आप खाली पेट, भूखे पेट, जितनी जोर से मेरी जय बोलेंगे-मोदी- मोदी करेंगे, उतना ही अधिक आपको अपना पेट भरा हुआ लगेगा। तृप्ति का अनुभूति होगी। बोलकर के तो देखिए एक बार और जोर से, और भी जोर से -अंधकार के प्रभु मोदी की जय। अब आपको पेट भर हुआ लग रहा है न? आध्यात्मिक अनुभूति हो रही है न? आप मोदी मं‌त्र का निरंतर जाप कीजिए। माला फेरिये। आपको मनरेगा में सौ दिन काम मिलने की अनूभूति होगी। ये है अंधेरे की ताकत। बोलो अंधकार प्रभु की जय। अनिश्चित भविष्य की जय। भूख की जय। गरीबी की जय। अयोध्या के मंदिर की जय। अन्याय और अत्याचार की जय। ईडी की जय। सीबीआई की जय। मोदी की जय। पांच किलो मुफ्त अनाज की जय। असत्य मेव जयते की जय। जय, जय और जय।

हमारे देश का आदमी प्रकृति से ही आध्यात्मिक है। उसकी प्राथमिकता रोटी नहीं , पौष्टिक आहार नहीं, सिर पर छत नहीं, बच्चों की शिक्षा नहीं। अस्पताल नहीं। ये सब पश्चिमी चोंचले हैं, ये भौतिकता है। ये पाप का मार्ग है। हमारे देश के आदमी का स्कूल, उसका भोजन, उसका स्वास्थ्य सब मंदिर है। वह स्वाभिमानी है, उसे सरकार का दिया रोजगार पसंद नहीं। उसे हर साल दो करोड़ रोजगार नहीं चाहिए। उसे केवल मंदिर और मंदिर और मंदिर चाहिए। उसे ऐसे मंदिर ज्यादा चाहिए, जो मस्जिद को तोड़कर बने हों। उसे नफरत के जबरदस्त डोज चाहिए। उसे बुलडोजर से घर और मकान की बर्बादी चाहिए। ये लोकतंत्र-फोकतंत्र, सब उसके लिए पश्चिमी, आयातित अवधारणाएं हैं। उसे ये सब नहीं चाहिए। उसे हिंदू राष्ट्र चाहिए। हम इस लोकतंत्र को मिटाकर रहेंगे। जो भी उजाले की बात करेगा,उसे जेल  भिजवाएंगे। हम रोशनी के नहीं, अंधेरे के कद्रदान हैं। हमें बेरोजगारी चाहिए, महंगाई चाहिए, मोदी चाहिए। हमें भव्य से भव्य मंदिर चाहिए। हम प्रकाश का क्या करेंगे? बराबरी का क्या करेंगे? हमें अंधेरा चाहिए, घोर अंधकार चाहिए। नमो अंधकारम।

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