विष्णु नागर का व्यंग्य: एक देश, एक चुनाव भी खेल है
अच्छा तुम ईमानदारी से बताओ कि तुम असल में चाहते हो कि देश एक रहे, हिंदू-मुसलमान एक रहें, सेफ रहें, खुश रहें, सुखी रहें? पढ़ें विष्णु नागर का व्यंग्य।

तुम लोग कुछ भी एक नहीं चाहते मगर एक का खेल जब देखो, तब खेलते रहते हो।
कभी 'एक है तो सेफ है ' का खेल ,खेलते हो।
कभी 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत ' नामक खेल, खेलते हो।
और आजकल तुमने एक देश ,एक चुनाव का खेल चला रखा है।
खेलोगे जरूर हर खेल,चाहे फिर मुंह की खा जाओ।
तुम्हारी किसी बात का एक अर्थ नहीं होता। एक का मतलब भी एक नहीं होता मगर लक्ष्य एक रहता है-वोट-वोट और वोट। सत्ता, सत्ता और सत्ता। हिंदू राष्ट्र, हिंदू राष्ट्र और हिंदू राष्ट्र। मोदी, मोदी और मोदी। झूठ, झूठ और झूठ।
तुम्हारे लिए देश का मतलब भी केवल वोट है, धर्म का अर्थ भी वोट है, एकता का अनुवाद भी वोट है, अंबेडकर की जय भी वोट है। संविधान भी तुम्हारे लिए वोट है। दंगा पहले भी वोट था, अब भी वोट है। गोडसे को याद करने का बहाना है गांधी जी। तुमने सीताराम में से सीता को बाहर किया फिर राम को जयश्री राम किया और फिर जयश्री राम को धमकी का औजार बनाया। मंदिर भी तुम्हारे लिए वोट था, वोट है, वोट रहेगा। लोकतंत्र भी तुम्हारे लिए वोट है। तुम्हारा मुंह से निकलने वाला हर शब्द वोट है। तुम्हारे हाथों की जुंबिश तक वोट है। तुम्हारी आंखों का इशारा तक वोट है। हिंदू वोट तुम्हारी माता है, पिता है, बंधु है, सखा है। वोट के लिए तुम किसी को भी पूज सकते हो, किसी को भी कुएं में धकेल सकते हो। वोट के लिए तुम कितनों की जान भी ले सकते हो और तुमने ऐसा करके दिखाया है!
वोट के लिए ही तुम्हें 'हिंदू एकता' चाहिए। दलित, दलित बना रहे और सवर्ण, सवर्ण मगर वोट के लिए सब हिंदू बन जाएं। वोट के लिए अब तुम्हें हिंदू नहीं पूरा देश एक चाहिए- एक देश, एक वोट। तुम्हें सारे देश के सारे लोगों के पांच साल के लिए एकमुश्त वोट चाहिए, ताकि बार- बार तुम्हें लोगों के सामने वोट की झोली न फैलाना पड़े, झुकना न पड़े। साढ़े चार साल तक लोगों से गोली- बंदूक से निबटा जा सके। उनकी रोजी-रोटी छीनी जा सके। उन्हें नंगा-भूखा रखने पर शोर भले होता रहे पर वोट कहीं और न जाए! लोग लाचार घूमते रहें। बस पांच साल में एक बार हिंदू- मुस्लिम करके उन्हें साध लो और बाकी समय मौज करो और अडानी-अंबानी को मौज कराते रहो। लोग जितने अनसेफ रह, तुम्हारे लिए सेफ हैं। अनसेफ हिंदू तुम्हारे लिए उतना ही सेफ है, जितना अनसेफ मुसलमान!
अच्छा तुम ईमानदारी से बताओ कि तुम असल में चाहते हो कि देश एक रहे, हिंदू-मुसलमान एक रहें, सेफ रहें, खुश रहें, सुखी रहें? तुम्हारा जवाब निश्चित रूप से है नहीं लेकिन चुनाव एक देश में एक साथ, एक दिन होना चाहिए। जब चुनाव आएगा तो बंटेंगे तो कटेंगे शुरू हो जाएगा, एक हैं तो सेफ हैं गाया-बजाया जाएगा। नेहरू जी जगह- जगह प्रकट करवाए जाएंगे और तुम्हारे कामों का ठीकरा तुम उनके नाम फोड़ते रहोगे। छिपकर गांधी जी पर वार करते रहोगे। नेहरू जी को मुसलमान बनाते रहोगे क्योंकि मुसलमान से नफ़रत करना ही तुम्हारे लिए सनातन धर्म है।
अच्छा ये बताओ, आटे-दाल-सब्जी की महंगाई की चक्की में पिसने से कोई बचा है? हिंदू बचा है या मुसलमान? या दोनों अनसेफ हुए हैं? बेरोजगारी से आज कौन सेफ है? क्या हिंदू सेफ है, मुसलमान अनसेफ है? रोजगार के मुद्दे पर हिंदू एक हो जाएं तो क्या देश सेफ हो जाएंगे? गौतम अडानी जिस दिन दो-चार बैंकों पर ताला लगवा देगा तो कौन सेफ हो जाएगा? हिंदू या मुसलमान या दोनों? बताओ प्रदूषण से हर साल होनेवाली पंद्रह लाख मौतों से कौन सेफ है? कोरोना में जब आक्सीजन नहीं मिल रही थी, उससे हिंदू सेफ थे और मुसलमान अनसेफ? गंगा और यमुना का पानी अनसेफ है तो क्या इससे हिंदू सेफ हैं और मुसलमान अनसेफ? तुमने अयोध्या में रामपथ बनाने के लिए हजारों दुकानें, सैकड़ों मकान और करीब 30 मंदिर तोड़े तो कौन अनसेफ हुआ और कौन सेफ? आज मणिपुर में जो हो रहा है, उससे क्या वहां के मैतेई हिंदू सेफ हैं और ईसाई कुकी अनसेफ हैं? हां देश का प्रधानमंत्री देश के लोगों की दुख- तकलीफ़ से जरूर सेफ है! बाकी सब अनसेफ है, चाहे एक देश, एक चुनाव हो या एक भारत, श्रेष्ठ भारत हो। तानाशाह को तानाशाही का पूरा अधिकार देने का यह पूरा खेल है!
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