इंटरव्यू पार्ट 2: उद्धव ठाकरे का BJP पर हमला, बोले- लाश पर रखे मक्खन बेचने वाले राजनीति करने के लायक नहीं

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैं उनकी तरफ क्या कहते हैं उसे, करुणा भरी नजर से देखता हूं। क्योंकि जिन्हें लाश पर रखे मक्खन बेचने की जरूरत पड़ती है, वे राजनीति करने के लायक नहीं हैं। दुर्भाग्य से एक युवक की जान चली गई। उस गई हुई जान पर आप राजनीति करते हो?

फोटो: Getty Images
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विनय कुमार

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने महाविकास आघाड़ी की सरकार की वर्षपूर्ति के दिन ‘सामना’ को साक्षात्कार दिया। इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर जमकर हमला बोला। इस दौरान कई सवालों का जवाब बेबाकी से दिया।

उद्धव जी, पिछले वर्ष भर महाराष्ट्र और देश में तीन मुद्दे छाए रहे… उस पर चर्चा भी खूब हुई… उसमें पहला सुशांत सिंह राजपूत का मामला खूब गूंजा। उसके लिए सीबीआई को हम पर लादा गया… और बिहार चुनाव के बाद वह मामला ही शांत हो गया। इसकी तरफ आप वैâसे देखते हैं?


मैं उनकी तरफ क्या कहते हैं उसे, करुणा भरी नजर से देखता हूं। क्योंकि जिन्हें लाश पर रखे मक्खन बेचने की जरूरत पड़ती है, वे राजनीति करने के लायक नहीं हैं। दुर्भाग्य से एक युवक की जान चली गई। उस गई हुई जान पर आप राजनीति करते हो? कितने निचले स्तर पर जाते हो? यह विकृति से भी गंदी राजनीति है। जिसे हम मर्द कहते हैं, वो मर्द की तरह लड़ता है। दुर्भाग्य से एक जान चली गई, उस गई हुई जान पर आप राजनीति करते हो? उस पर अलाव जलाकर आप अपनी रोटियां सेंकते हो? यह आपकी लायकी है… यह आपकी औकात है?

दूसरा मुद्दा मतलब जो एक अभिनेत्री है…
उसे छोड़ दीजिए, उस पर मुझे कुछ नहीं बोलना है, उस पर बोलने के लिए मेरे पास समय भी नहीं है।

उस अभिनेत्री द्वारा मुंबई की बदनामी की गई…
यह मुंबईकरों का अपमान है और उसके द्वारा वर्णित ऐसी मुंबई पर आप भगवा लहरानेवाले हैं? वो भी शुद्ध, छोड़िए।

तीसरा महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि इसको लेकर ऐसा चिल्लाया जा रहा है कि महाराष्ट्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पाबंदी लाद दी गई है।
बाप रे!

हमले हुए…
बाप रे!

महाराष्ट्र में आपातकाल जैसी स्थिति है। एक टीवी एंकर के कारण ये सभी समस्याएं पैदा हुईं…
पुण्य प्रसून वाजपेयी भी पत्रकार थे। फिलहाल वे कहां हैं?

उनकी भी स्वतंत्रता पर हमला कर उन्हें बाहर निकाला गया, ऐसा मुझे लगता है…
बीच में ऐसी बहुत बड़ी सूची आई थी, उसका पहले अंदाजा लगाएंगे हम… उसके पीछे मशीनरी लगाओ और वे लोग कहां गए… कहां गए वो लोग? उन सबके पीछे सीबीआई लगाओ… इन पत्रकारों पर क्यों हमले हुए… उनकी नौकरियां किसने छीनी? उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर… और वे हमले किसने किए? और उसका आपने क्या-क्या किया? वैâसे किया? उनके पीछे सीबीआई लगाओ।

एक मराठी उद्योगपति की संदिग्ध मौत हो गई और उसकी जांच करना यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला वैâसे हो सकता है?
ये दुखदायी है। महाराष्ट्र में मराठी माणुस को खड़ा ही नहीं होना चाहिए क्या? उद्योग-व्यापार नहीं करना चाहिए क्या? बाहरी आएंगे, उसे फंसाएंगे, उसके सीने पर नाचेंगे और इन दुष्कृत्यों के कारण यदि किसी ने आत्महत्या कर ली… और आत्महत्या करते समय उसने जो सुसाइड नोट लिखा, उसमें जिनका नाम है, उनकी जांच न करना… उसे दबा देना… और फिर बाहर निकाली गई तो उसकी तरफ से बोलनेवालों के पीछे आप ईडी लगा देते हो… मतलब मराठी माणुस को महाराष्ट्र में गाड़ कर उसके ऊपर आप नाचोगे? और वह हम खुली आंखों से सहन करेंगे? यह नहीं होगा।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का यह जो तरीका है, वो आप मानते हैं क्या?
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरूर है। होनी भी चाहिए, लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मतलब मैं फिर एक बार कहता हूं… लगातार शायद मेरे बोलने में वो विकृत-विकृत शब्द आएगा। उस तरह की स्वतंत्रता न हो।

कारण आपके ऊपर भी हमले हुए। आपके परिवार पर भी इस तरह के हमले हुए…
इसीलिए मैंने कहा न… जिन-जिनको परिवार है… जिन-जिनको बाल-बच्चे हैं… वे आईने में देखें कि आपको भी बाल-बच्चे हैं, परिवार है। ऐसा वक्त कल आप पर भी लाने का वक्त हम पर न लाएं। क्योंकि आप भी दूध के धुले नहीं हो। यदि पीछे लग गए तो… उस विकृत स्तर तक मुझे जाना नहीं है। महाराष्ट्र है, राजनीति करो। ठीक है, आप विचारों से हराओ… विचार समाप्त हो जाते हैं तब विकृति आती है। ये विचार खत्म होने के लक्षण हैं।

फिलहाल ऐसा कई बार दिखता है… सच कहें तो देश में एक दुर्लभ अवस्था है कि एक बहुमत की सरकार के काम करते समय राज भवन में समानांतर सरकार चल रही है…
जाने दो, करने दो… करने दो उन्हें मजा।

एक समान धागा इसमें ऐसा है कि राज्यपाल और भारतीय जनता पार्टी दोनों का एक ही आरोप आप पर लगता है, वह मतलब आपने हिंदुत्व छोड़ दिया क्या?
हिंदुत्व छो़ड़ दिया, वो क्या धोती है? हिंदुत्व छोड़ दिया मतलब क्या? ये धोती नहीं है… हिंदुत्व अंगों में, धमनियों में होना पड़ता है। धमनियों में भीनी हुई बात ऐसे नहीं छोड़ सकते हैं।

मंदिर खोलने के निमित्त यह सवाल प्रारंभ में आया। आपने अब मंदिर खोल दिए हैं परंतु मंदिर खोलना और हिंदुत्व इनका कोई संबंध है क्या?

मैं शिवसेना प्रमुख का और मेरे दादा जी के हिंदुत्व को मानता हूं। शिवसेनाप्रमुख कहते थे कि मुझे मंदिर में घंटा बजानेवाला हिंदू नहीं चाहिए… मुझे आतंकियों को खदेड़नेवाला हिंदू चाहिए… और ऐसा उन्होंने वर्ष 12-13 में करके दिखाया। बाबरी गिराई गई, मैं कहूंगा उसका भी श्रेय लेने की किसी में हिम्मत नहीं थी, वह शिवसेनाप्रमुख ने दिखाई। पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद भी राम मंदिर बनाने की आप में हिम्मत नहीं थी। यह कोर्ट के पैâसले के बाद वहां हो रहा है… राम मंदिर का श्रेय किसी भी राजनीतिक दल को नहीं लेना चाहिए क्योंकि वह न्यायालय द्वारा दिया गया पैâसला है। सरकार द्वारा रखा गया नहीं। फिर हिंदुत्व मतलब क्या? हिंदुत्व मतलब सिर्फ पूजा-अर्चना करना और घंटा बजाना है क्या? इससे कोरोना नहीं जाता, यह सिद्ध हो गया है। बेवजह किसी भी धर्म की आड़ में आप राजनीति मत करो… हमें हिंदुत्व सिखाने के पचड़े में मत पड़ो। पहला इस देश में भगवा का स्वराज्य छत्रपति शिवाजी महाराज ने ही स्थापित किया इसलिए कम-से-कम महाराष्ट्र की मिट्टी को तो हिंदुत्व… और वह भी तुम्हारे दलालों का हिंदुत्व सिखाने के पचड़े में मत पड़ो।

लव जिहाद का एक नया विषय सामने आया है…
लव जिहाद राजनीति में क्यों न हो?

होना ही चाहिए… ये चल रहा है कुछ जगहों पर…
लव जिहाद राजनीति में क्यों न हो? लव जिहाद की राजनीति का मामला अलग… लेकिन लव जिहाद मतलब क्या? मुस्लिम युवक हिंदू युवती से शादी करे इस बात का उनका विरोध है। फिर तुम्हारी महबूबा मुफ्ती के साथ युति वैâसे चली? नीतीश कुमार के साथ वैâसे चली? चंद्राबाबू के साथ वैâसे चली? जो-जो युतियां तुमने कीं… उनमें भिन्न विचारों की पार्टियों के साथ तुम्हारी युति होती है ये लव जिहाद नहीं?

गोधरा दंगे के बाद रामविलास पासवान ने मोदी पर आरोप लगाकर केंद्रीय मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया था…

उन्हें तुम सिर पर रखकर नाचे। ये राजनीतिक लव जिहाद नहीं है? और उपयोग करके छोड़ देना… मतलब तलाक किया ही न तुमने राजनीति में भी!

लेकिन महाराष्ट्र में लव जिहाद है क्या? क्योंकि लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाओ, ऐसी बीजेपी की मांग है। क्योंकि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश…

हम ‘यस सर’ करके कानून बनाएंगे लेकिन ऐसा करते समय जैसा कि मैंने कई बार कहा है, आज फिर से कहता हूं। पहले गोवंश हत्या बंदी का कानून बनाओ। कश्मीर से कन्याकुमारी तक… अब कश्मीर से सारे प्रतिबंध हटा लिए हैं न तुमने… गोवा में करो गोवंश हत्या बंदी, वहां तुम्हारी सरकार है। दूसरी जगह पर करो… तुम्हारे ईशान्य के राज्य हैं वहां करो गोवंश हत्या बंदी… क्यों नहीं करते? केरल या जहां-जहां आज ऐसी बातें चल रही हैं वहां चुनाव का मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ा जाता है… और फिर वहां के लोगों ने वोट दिया तो कानून बनाना… लेकिन अपना हित देखते हुए… ये हित वाला हिंदुत्व हमने नहीं किया… जो शिवसेनाप्रमुख ने कहा जनता के हित की बात हो वो कर… फिर वो हमारे लिए असुविधाजनक हो तब भी जनता के लिए कर! राजनीति के लिए तुम हिंदुत्व मत लो।

बढ़े हुए बिजली के बिल पर माहौल गरमा रहा है…
गरमा नहीं रहा है… तुमसे कह रहा हूं… मुख्यत: ‘बढ़ा हुआ’ जो शब्द है वो बढ़ा हुआ है क्या? इस विषय पर मंत्रिमंडल में चर्चा होती है… सच में मीटर के कारण कुछ बिल बढ़े हैं क्या? क्यों दो-तीन महीनों का बिल एक साथ आया? इसलिए वो बिल बढ़ा है। कई जगहों पर जहां-जहां से शिकायतें आईं, वहां-वहां उन बिजली विभागों के लोग जाकर मीटर चेक करके आए और चेक करने के बाद बहुत सारे लोगों की शंका का समाधान हो गया। फिर भी मैंने उस मामले को छोड़ा नहीं है। मंत्रिमंडल ने छोड़ा नहीं है। क्या किया जा सकता है… क्या करना चाहिए… इस पर हमारा विचार चल रहा है। लेकिन एक बात बताता हूं जो कुछ लोग उधेड़बुन कर रहे हैं… क्योंकि उनमें अब कोई ताकत नहीं बची है… उनसे मुझे एक-दो सवाल पूछने हैं कि वैश्विक बाजार में क्रूड ऑइल का भाव आज कितना है? प्रति लीटर… कल मैंने जानकारी निकलवाई। आज भी लगभग ये प्रति लीटर 20 रुपए है… और हमारे यहां 88 रुपए है… क्यों कम नहीं करते? क्यों तुम उसके नाम पर आंदोलन नहीं करते? गैस का भाव बढ़ गया था पिछले दिनों… गैस की सब्सिडी भी ले ली… लेकिन क्रूड ऑइल का भाव कम होने के बावजूद हमारे देश में पेट्रोल-डीजल का भाव क्यों चढ़ा हुआ है? बाकी वैश्विक अर्थव्यवस्था आदि पर मुझे कुछ नहीं कहना… लेकिन २०१४ के पहले तुम्हारा एक मुद्दा था कि डॉलर कितना चढ़ेगा… तब मुझे लगता है ५९ रुपए था… अब कितना हुआ है डॉलर का भाव? क्या व्यवस्था की तुमने? हम पर हावी होने के पहले, कम-से-कम बाहर निकलने के पहले आईने में अपना मुंह तो देखो… लेकिन क्या हुआ है आजकल खुद का मुंह आईने में देखने के बाद भी चिल्लाते हैं, भ्रष्टाचार हुआ… भ्रष्टाचार हुआ… सब अवाक हो जाते हैं। अरे, क्या बात करते हो… खुद का ही मुंह आईने में दिख रहा है और कह रहे हो भ्रष्टाचार हुआ। वो कहता है… ऐसी बात नहीं है। आईने में भ्रष्टाचार हुआ (हंसते हुए)। मतलब गलतफहमी न होने पाए।

दो प्रमुख दल आपके साथ सरकार में काम कर रहे हैं… और यह जो तीन दल हैं सरकार में… यह चमत्कार है। विभिन्न विचारों के तीन दल हैं, जिसे हम समन्वय मानते हैं। समन्वय के सिवा सरकार नहीं चलती। आघाड़ी की सरकार चलाना यह बड़ी कसरत है। आपको ऐसा लगता है कि सही मायने में यह कसरत है…

मुझे कुछ कहना है इसलिए मैं यह नहीं कह रहा हूं…परंतु मुझे यह नहीं लगता कि यह कसरत है। कारण कुछ भी हो परंतु तीनों दल आपस में मिल गए है। अजीत दादा है, बालासाहेब थोरात हैं, अशोक राव हैं किस-किसका नाम लूं? नितिन राव हैं, जितेंद्र हैं, वडेट्टीवार है, हसन मुश्रीफ़ हैं, नवाब भाई हैं…ऐसा लग रहा है कि सबका नाम लूं लेकिन कितने लोगों का नाम लूं… सभी मेरे साथ प्रेम, अपनत्व और आदर से व्यवहार करते हैं…और मुख्यमंत्री महोदय जो कहें वो, ऐसी उनकी भूमिका होती है। मुझे आश्चर्य होता है कि कई बार मुझे वैâबिनेट में…और यही सभी लोग…कल तक एक-दूसरे के विरोध में थे…लेकिन आज जिस प्रकार अपनत्व से व्यवहार कर रहे हैं…आदर से कर रहे हैं।

मतलब कैबिनेट के परफॉर्मेंस से आप खुश हैं?
बिल्कुल हैं। सभी लोग समझ के साथ अच्छा व्यवहार कर रहे हैं और सब अच्छे से चल रहा है।

शरद पवार देश और राज्य के एक प्रमुख नेता हैं…
हां, अब उनका ८०वां वर्ष पूर्ण हो रहा है।

उन्हें प्रदीर्घ काल का अनुभव है। सरकार में उनका मार्गदर्शन है। उनके विषय में भाजपा नेता कहते हैं कि वे अत्यंत कम दर्जे के नेता हैं। उनकी औकात नहीं, वे जन नेता नहीं…
जाने दीजिए… ऐसी प्रतिक्रिया देनेवाले लोगों के बारे में मुझे कोई आवश्यकता नजर नहीं आ रही। उन्हें कोई भी सिरीयसली नहीं लेता। ऐसे लोग हैं जो सुनते नहीं हैं।

फिर क्यों जा नहीं रहे?
इसी वजह से मैं स्वयं पर थोड़ा बंधन डाल रहा हूं…क्यों मैं आपसे कहता हूं कि यह मत करो, वह मत करो…और मैं घूमता तो यह योग्य नहीं है, मैं कहीं भी जाऊं तो पूरा तामझाम होगा, भीड़ होगी….अब धीरे-धीरे सब कुछ खोल दिया गया है। कोरोना आने के पूर्व मेरा महाराष्ट्र का दौरा शुरू ही था। कोकण में गया था, विदर्भ में तो अधिवेशन भी हो चुका है। उत्तर महाराष्ट्र भी घूम चुका हूं। सभी जगह में घूम ही रहा था। यह मेरे लिए कोई नया नहीं है। अगर मैं घूमा नहीं होता तो शिवसेना बढ़ती नहीं।

मातोश्री पूजनीय है, महत्व है और प्रतिष्ठा है। वर्षा बंगला का अनुभव कैसा है?
ये पूर्वजों के पुण्यों का प्रताप है। ‘वर्षा’ जो है वह महाराष्ट्र के अधिकृत मुख्यमंत्री का निवासस्थान है.. अनेक लोगों का स्वप्न देखते-देखते अधूरा रह जाता है… और मैं मनपूर्वक कहता हूं कि मैं वहां तक वैâसे पहुंचा वह आज भी प्रश्न चिन्ह है। परंतु वर्षा इस वास्तु में अपनत्व व नजदीकी का वातावरण है। अनेक बार वास्तु ही हमसे कुछ समय पर बात करती है…और उसी वास्तु का आशीर्वाद इस सरकार को मिला है। वास्तु का आशीर्वाद जरूरी होता है…नहीं तो कोई भी गया और वास्तु का अनादर करता है तो वास्तू देवता को भी अच्छा नहीं लगता। इसलिए यह जो वैभव है उसे मैंने नम्रता से स्वीकार कर उस वैभव का इस्तेमाल महाराष्ट्र के उपयोग में वैâसे लाया जाए, वही करता हूं और मैं दिन भर ‘वर्षा’ बंगले के मेरे कार्यालय रहता हूं। अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर बैठक होती है…अनेक लोगों से वहां मैं मुलाकात करता हूं। वीडियो कांफ्रेंसिंग होती है। उन घूमनेवाले लोगों को यह समझ नहीं आता लेकिन मैं एक जगह बैठकर अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लेता हूं और वहां बैठकर मैं एकाग्रता से निर्णय ले पाता हूं।

मतलब आपके लिए लॉकडाउन कब का उठ गया है…
मेरे पास जनता की जो भी शिकायत या अपेक्षा निवेदन के माध्यम से आती है, उसे मैं तत्काल दूर करता हूं।

राज्य की जनता को आज के दिन आप क्या संदेश देंगे?
मैं यही संदेश दूंगा कि अभी थोड़ा समय कठिन है…तय है। जिस जिद, धैर्य और विश्वास से आप उसका सामना कर रहे हैं और विशेष रूप से इस मंत्रिमंडल पर आपका जो आशीर्वाद है, प्रेम है उसे वैसे ही बनाये रखें…जब-जब मैं उनसे फेसबुक लाइव के माध्यम से संवाद साधता हूं, तब-तब मुझे प्रतिक्रियाएं आती हैं कि जैसे कोई हमारा अपने घर की बात कर रहा है ऐसा लगता है। यह रिश्ता इसी तरह कायम बनाए रखें। कारण मुख्यमंत्री का पद आता-जाता है…लेकिन जो यह संबंध है, जो प्रेम है यह सभी के भाग्य में नहीं होता। लेकिन मैं इस प्रेम का भूखा हूं। यह जो रिश्ता है और जो…. उसे सदैव इसी प्रकार कायम रखें और आपके आशीर्वाद, विश्वास के जोर पर तुम्हारे मन का महाराष्ट्र बनाने का अंतिम क्षणों तक प्रयत्न करे बिना मैं चुप नहीं बैठूंगा।

(सामना से साभार के साथ)

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