खांसी की आवाज से ही कोरोना संक्रमितों की हो जाएगी पहचान, ऐसी डिवाइस बना रहे देश के वैज्ञानिक, जानें कैसे करेगा काम

कोरोना वायरस से बचने के लिए लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे उपाय किए गए हैं। ज्यादा से ज्यादा लोगों का टेस्ट किया जा रहा है ताकि लोग संक्रमितों का पता लगाया जा सके और दूसरे लोग उनके संपर्क में न आएं। फिलहाल कई तरीके से टेस्ट किए जा रहे हैं। एंटीबॉडी टेस्ट कर रहे हैं। पीसीआर टेस्ट कर रहे हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कोरोना वायरस से बचने के लिए लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे उपाय किए गए हैं। ज्यादा से ज्यादा लोगों का टेस्ट किया जा रहा है ताकि लोग संक्रमितों का पता लगाया जा सके और दूसरे लोग उनके संपर्क में न आएं। फिलहाल कई तरीके से टेस्ट किए जा रहे हैं। एंटीबॉडी टेस्ट कर रहे हैं। पीसीआर टेस्ट कर रहे हैं। लेकिन इसमें एक बड़ा खतरा ये भी है कि इन जांचों के दौरान चिकित्साकर्मी भी संक्रमित हो जा रहे हैं। लेकिन हमारे देश के वैज्ञानिक इसके समाधान में लगे हुए हैं।

बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) के वैज्ञानिक सांस और खांसी से पैदा होने वाली आवाज की तरंगों से कोरोना को जांचने के लिए एक डिवाइस बना रही है। फिलहाल इस पर काम चल रहा है और इस इस डिवाइस को मंजूरी मिलने के बाद इससे कोरोना मरीजों की जांच की जाएगी। इस उपकरण की मदद से जांच करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को संक्रमण का खतरा कम होगा। इससे बड़ा फायदा यह होगा कि हमारा मेडिकल स्टाफ खतरे में नहीं आएगा।


यही नहीं इससे होने वाली जांच के नतीजे भी जल्द सामने आ सकते हैं। IISC के वैज्ञानिक ध्वनि विज्ञान की मदद से कोरोना वायरस कोविड-19 बीमारी के संक्रमण का बायोमार्कर पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। वैज्ञानिक जांच के लिए इस बायोमार्कर की मात्रा निर्धारित करना है। जैसे ही बायोमार्कर तय हो जाएगा। यह पता चल सकेगा कि बीमार आदमी की सांर और खांसी की आवाज सामान्य और सेहतमंद व्यक्ति से कितनी अलग है।

बता दें कि देश में कोरोना के संक्रमण के मामले बेहद तेजी से बढ़ रहे हैं। अब तक यह आंकड़ा 12,500 को पार कर चुका है। ऐसे में वैज्ञानिकों की कोशिश इसकी की सरल, किफायती और तेजी से जांच हो पाए इसके लिए डिवाइस बनाने की है। गौरतलब है कि इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों में सांस संबंधी समस्याएं शामिल हैं।

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Published: 16 Apr 2020, 4:30 PM