वीडियो: राफेल सौदे में ओलांद का इंटरव्यू लेने वाले एडिटर ने दोहराया, भारत ने ही दिया था अनिल अंबानी का नाम

एक वीडियो इंटरव्यू में फ्रांस के न्यूज पोर्टल मीडिया पार्ट के एडिटर एडवी प्लेनेल ने कहा है कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट में राफेल सौदे को लेकर जो बातें कही हैं, वह बिल्कुल सच हैं। उन्होंने फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वां ओलांद के इंटरव्यू में हुए सवाल-जवाब भी दोहराए।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वां ओलांद को इंटरव्यू करने वाले पोर्टल मीडियापार्ट के एडिटर-इन-चीफ एडवी प्लेनेल ने दोहराया है कि उन्होंने जो खबर लिखी है, वह पूरी तरह सही है। ब्रूट इंडिया को दिए एक वीडियो इंटरव्यू में एडवी प्लेनेल ने फ्रांस्वां का वह बयान फिर से पढ़कर सुनाया जिसमें फ्रांस्वां ने कहा था कि भारत सरकार ने राफेल सौदे में अंबानी को पार्टनर बनाने के लिए उन्हें जो मध्यस्थ दिया, उसकी बात मानने के अलावा उनके पास कोई विकल्प ही नहीं था।

इस वीडियो में देखिए मीडियापार्ट के एडिटर-इन-चीफ का पूरा इंटरव्यू:

वीडियो में एडवी प्लेनेल कह रहे हैं कि, “जब उनसे इस बारे में पूछा गया कि इस सौदे में अनिल अंबानी की रिलायंस कैसे आई, तो उनका जवाब था, हमारे पास कोई विकल्प नहीं था।” एडवी जोर देकर कहते हैं कि, “यही मुख्य वाक्य है, कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं था। हमारे पास उस विषय में कहने के लिए कोई शब्द तक नहीं था।”

भारत सरकार के बयानों में है विरोधाभास

एडवी आगे बताते हैं कि ओलांद ने कहा, “भारत सरकार ने इस सर्विस प्रोवाइडर का का नाम दिया और दसॉल्ट ने अंबानी के साथ बातचीत की। हमारे पास कोई विकल्प ही नहीं था। हमने उसी मध्यस्थ को लिया जिसे हमारे लिए भारत सरकार ने चुना गया था।” एडवी कहते हैं कि इसी वाक्य में विरोधाभास है।

उन्होंने कहा कि, “हमने नोटिस किया कि फ्रांस्वां जो कह रहे हैं, वह तो भारत सरकार के बयान से बिल्कुल उलट है।” उन्होंने बताया कि, “भारत सरकार तो कहती रही है कि अंबानी को सौदे में शामिल करने का फैसला फ्रांस ने किया, और फ्रांस कहता है कि, नहीं, अंबानी को सौदे में भारत सरकार लेकर आई।” एडवी ने सवाल उठाया कि भारत सरकार कहती है कि, “नहीं, अंबानी के मामले में हितों का कोई टकराव नहीं था। क्यों? क्योंकि इस सौदे में अंबानी और रिलायंस समूह भारत सरकार द्वारा शामिल किए गए।”

ओलांद ने कहा, ‘हमारे पास विकल्प ही नहीं था’

उन्होंने ब्रूट इंडिया से कहा, “यह आपके लिए स्कैंडल हो सकता है, क्योंकि पिछले कई महीनों से तो आप भारत सरकार से यही सुनते रहे कि इस मामले में हमारा कोई लेना-देना नहीं है। यह एक प्राइवेट मामला है, रिलायंस समूह क्या है।“ एडवी कहते हैं, ”ओह नो, मिस्टर ओलांद कहते हैं कि हमारे पास विकल्प नहीं था।”

हथियारों के बाजार में जबरदस्त भ्रष्टाचार, बेशुमार पैसा

इसके बाद एडवी प्लेनेल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हथियारों के सौदों में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हैं। उनका कहना है कि, “सभी बड़े हथियार बाजारों में जबरदस्त भ्रष्टाचार है। पूरी दुनिया में फैला हुआ है। यह एक बेहद खराब, दुखद और गंदा बाजार है। इसमें बहुत पैसा है, बहुत ज्यादा।” एडवी बताते हैं कि उन्होंने कई दूसरे देशों के बीच हुए हथियार सौदों में भ्रष्टाचार के मामले उजागर किए हैं।

भारत में मीडिया की आज़ादी का संकट

एडवी ने बताया कि, “फ्रांस्वां ओलांद एक लेफ्टिस्ट राष्ट्रपति थे। उनके कार्यकाल में हुए बड़े-बड़े भ्रष्टाचारों का खुलासा मीडियापार्ट ने किया है।” एडवी ने भारत में प्रेस और मीडिया की स्वतंत्रता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि, ”भारत में तो प्रेस की आजादी संकट में है, लेकिन हम स्वतंत्र हैं। इसीलिए हमने मीडियापार्ट शुरु किया है।”

कांग्रेस ने बढ़ा दी हमलों की रफ्तार, अपना बचाव नहीं कर पा रही मोदी सरकार

राफेल सौदे को लेकर शुक्रवार को हुए नए खुलासे के बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमलों की रफ्तार बढ़ा दी है। शुक्रवार से लेकर शनिवार देर रात तक कांग्रेस ने हर मंच से मोदी सरकार पर राफेल सौदे को लेकर हमला बोला।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि, “फ्रांस के राष्ट्रपति भारत के प्रधानमंत्री को चोर कह रहे हैं, ऐसे में उन्हें सफाई देनी चाहिए।”

इस प्रेस कांफ्रेंस के फौरन बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस वार्ता की और कांग्रेस अध्यक्ष पर प्रधानमंत्री के बारे में अपशब्दों के प्रयोग का आरोप लगाया। उन्होंने बयान दिया कि राफेल सौदे में यूपीए शासन के दौरान मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के साथ समझौता हुआ था। रविशंकर प्रसाद के इस बयान को कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला सफेद झूठ करार दिया।

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