दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (डीडीएलजे) मंगलवार को 25 साल की हो गई। इस मौके पर बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान ने इस ब्लॉकबस्टर के बारे में यह कहकर चौंका दिया कि उन्हें यह रोमांटिक भूमिका निभाने को लेकर खुद पर संदेह था। शाहरुख ने कहा, "मुझे कई लोगों ने कहा था कि मैं हीरो की आम धारणा से अलग था। शायद मैं उतना सुंदर नहीं था, या फिर मैं चॉकलेटी नहीं था जैसा कि रोमांटिक भूमिकाओं के लिए जरूरी माना जाता था। इससे मुझे ऐसा लगा कि मैं शायद रोमांटिक भूमिकाओं के लिए अनुपयुक्त हूं। इसके अलावा मैं महिलाओं को लेकर शर्मीला भी हूं और मुझे नहीं पता था कि मैं ये रोमांटिक बातें कैसे कहूंगा।"
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20 अक्टूबर, 1995 को रिलीज हुई आदित्य चोपड़ा निर्देशित इस फिल्म में एसआरके और काजोल ने अभिनय किया था। यह फिल्म राज (एसआरके) और सिमरन (काजोल) की प्रेम कहानी पर बनी है, जो ब्रिटेन में रहते हैं। इस फिल्म ने ही बॉलीवुड स्क्रीन पर एनआरआई रोमांस के चलन को शुरू किया और इसे हमेशा के लिए हिन्दी सिनेमा का अहम हिस्सा बना दिया।
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इस फिल्म से पहले शाहरुख ने 'डर', 'बाजीगर' और 'अंजाम' जैसी फिल्में की थीं, जिनमें उन्होंने नकारात्मक किरदार निभाए थे। यही वो फिल्म थी, जिसने शाहरुख खान की रोमांटिक हीरो की छवि गढ़ी। वो कहते हैं, "इससे पहले मैं किसी भी प्रकार के रोमांटिक किरदार को निभाने के लिए तैयार नहीं था। इसलिए, जब मुझे इस रोल के लिए आदि और यश (चोपड़ा) जी ने मौका दिया तो मैं उनके साथ काम करने के लिए उत्साहित तो था, लेकिन मुझे नहीं पता था कि मैं ये कैसे कर पाऊंगा। खैर, आज भी मेरे लिए यह फिल्म, उसके गाने बहुत खास हैं। रेडियो चैनल पर जब भी डीडीएलजे का गाना आता है, मैं कभी चैनल नहीं बदलता हूं।"
डीडीएलजे 20 साल से ज्यादा समय तक मुंबई के मराठा मंदिर थिएटर में चली। यह भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे लंबी चलने वाली फिल्म रही।
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