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सुरक्षा से जुड़े 2 लाख से ज्यादा पद खाली, क्यों न पटरी से उतरे रेल?

रेलवे की सुरक्षा का जिम्मेदार कौन है, सुरेश प्रभु जी?

मंगलवार सुबह दुर्घटनाग्रस्त हुई दूंरतो एक्सप्रेस
मंगलवार सुबह दुर्घटनाग्रस्त हुई दूंरतो एक्सप्रेस 

रेल में सफर करने से अब लोग डरने लगे हैं। जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वह इस खौफनाक हालत का बयान करने के लिए काफी हैं। एक के बाद एक ट्रेन हादसे हो रहे हैं और इन हादसों की वजहों को दूर करने के लिए रेल मंत्रालय कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। इस समय रेलवे में 2 लाख 50 हजार पद खाली पड़े हैं, जिनमें से करीब 2 लाख सीधे तौर पर सुरक्षा संबंधी पद हैं। ट्रैकमैन, टेक्नीशियन, स्टेशन मास्टर, लोको पायलट, गैंगमैन आदि सुरक्षा संबंधी कर्मियों की भारी कमी के बीच ट्रेनें चल रही हैं। इनमें से करीब 70 हजार पद तो सिर्फ ट्रैक मेन्टेनेंस करने वालों के हैं।

ऐसा नहीं है कि अचानक एक-दो साल में रेलवे का हाल इतना खराब हुआ है। पिछले एक दशक में स्थिति बद से बदतर होती रही है। लेकिन वर्तमान रेल मंत्री सुरेश प्रभु बुनियादी समस्याओं को पूरी तरह से नजरंदाज करके रेलवे को हवाई जहाज और बुलेट ट्रेन के रास्ते पर दौड़ाने का सब्जबाग दिखाने में लगे हुए हैं, जबकि उधर ट्रेन पटरी से उतरती जा रही है और रेलकर्मियों की कमी की वजह से रेलवे का परिचालन बड़े पैमाने पर प्रभावित हो रहा है।

Published: 29 Aug 2017, 3:42 PM IST

भारतीय रेलवे में 69 डिविजन हैं। हर डिविजन में कर्मचारियों की भीषण कमी है। अकेले अगर हम उत्तर रेलवे के लखनऊ डिविजन की बात करें तो यहां लंबे समय से 214 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक को बदले जाने का काम बाकी है। खराब होने के बावजूद इस ट्रैक को अभी तक बदला नहीं गया है। करीब 87 किलोमीटर ट्रैक रिन्यूअल होना है। इस तरह का हाल हर जगह और तकरीबन हर डिविजन में हैं।

Published: 29 Aug 2017, 3:42 PM IST

इस बारे में ऑल इंडियन रेलवे मेन्स फेडरेशन के शिव गोपाल मिश्रा ने नवजीवन को बताया कि उन्होंने 24 मई 2017 को रेल मंत्री सुरेश प्रभू को पत्र लिखकर बताया था कि रेलवे में ट्रेनों का पटरी से उतरना रुक नहीं सकता, क्योंकि पटरियों की हालत बहुत खराब है। उन्होंने कहा :

Published: 29 Aug 2017, 3:42 PM IST

रेलवे इस समय संसाधन और स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। कैसे रेलवे चल रही है, ये हम रेलवे वाले ही जानते हैं। कोई दुर्घटना होती है तो छोटे कर्मचारी को जिम्मेदार माना जाता है, उस पर गाज गिरती है, जबकि नीति ही गड़बड़ है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को जवाब देना चाहिए।

ऑल इंडियन रेलवे मेन्स फेडरेशन रेलवे की सबसे बड़ी यूनियन है, जिसके 10 लाख से अधिक रेलवे कर्मचारी सदस्य हैं।

Published: 29 Aug 2017, 3:42 PM IST

एक के बाद एक हो रहे हादसों की कड़ी रेलवे के निजीकरण की प्रक्रिया से भी जुड़ती है। लंबे समय से रेल को सरकारी सेवाओं की तरह निरर्थक साबित करने की कोशिश हो रही है। रेलवे बोर्ड के पूर्व मेम्बर इंजीनियरिंग राकेश चोपड़ा इस तरह के संकटों के प्रति आगाह करते हैं। रेलवे यूनियन नेता एसजी मिश्रा का कहना है कि दरअसल रेलवे को तबाह करके इसके निजीकरण के लिए सुरेश प्रभु जमीन तैयार कर रहे हैं।

बहरहाल, कब चेतेंगे सुरेश प्रभू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ये किसी को पता नहीं तब तक वाकई प्रभु भरोसे ही सफर कर रहे हैं करोड़ों रेल यात्री।

Published: 29 Aug 2017, 3:42 PM IST

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Published: 29 Aug 2017, 3:42 PM IST

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