अर्थतंत्र

सनसनीखेज़ : अमेरिकी साजिश थी नोटबंदी का फैसला

पिछले साल हुई नोटबंदी दरअसल अमेरिकी साजिश थी और इसे पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कहने पर मोदी ने लागू किया। यह सनसनीखेज़ आरोप लगाया है पूर्व केंद्रीय मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने

फोटो : Getty Images
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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सनसनीखेज़ खुलासा किया है। उन्होंने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि नोटबंदी का फैसला अमेरिका के कहने पर किया गया। उन्होंने दावा किया है कि बराक ओबामा जब भारत आए थे तो उन्होंने सरकार को नोटबंदी की सलाह दी था।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और मनमोहन सिंह सरकार में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री रहे पृथ्वीराज चव्हाण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली की कड़े शब्दों में आलोचना करते हुए कहा है कि मोदी का नोटबंदी का फैसला अमेरिकी साजिश का हिस्सा है और इसे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा के कहने पर लिया गया है।

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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी के लिए जो भी तर्क दिए थे, चाहे काले धन की बात हो, आतंकवादियों की कमर तोड़ने की बात हो या जाली नोटों पर रोक लगाने की बात हो, वे सभी तर्क गलत साबित हुए हैं। इन कारणों से चव्हाण के दावे में वजन लगता है। चव्हाण ने नोटबंदी को अमेरिकी साजिश करार देते हुए कहा, '' मोबाइल भुगतान कंपनियां, जिन्हें अमेरिका में भुगतान सेक्टर कहा जाता है, उस पर अमेरिका में कुछ नियम हैं, जिनके तहत उन्हें कमीशन मिलता है। भारत ने इसी नियम की नकल की है।" पृथ्वीराज चव्हाण के अनुसार, इस नियम को अमेरिका में टॉड फ्रैंक एक्ट के रूप में जाना जाता है। इस नियम के लागू होने के बाद अमेरिकी पेमेंट कंपनियों का कमीशन आधा रह गया था और उसके बाद अमेरिका को 10 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। ऐसे में अमेरिका एक नए बाज़ार की तलाश में था और भारत से अच्छा बाज़ार और कहीं नहीं मिल सकता था।

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चव्हाण ने आरोप लगाया कि जब ओबामा भारत के दौरे पर आए थे तो उन्होंने नोटबंदी का सुझाव मोदी सरकार को दिया था। उनका कहना है कि भारत ने अमेरिका के कहने पर ही डिजिटल भुगतान की तरफ कदम बढ़ाये हैं, लेकिन इसके लिए नोटबंदी करने की कोई जरूरत नहीं थी। पृथ्वीराज चव्हाण इस मामले की संसदीय संसदीय से जांच की मांग की है।

साफ है कि पिछले साल 8 नवंबर को 500 और एक हजार के नोटों को बंद करते वक्त नरेंद्र मोदी ने इसे एक क्रांति कहा था। 9 महीने के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने जब आंकड़े जारी किए तो पता चला कि लगभग सारे नोट बैंक में वापस आ गए।

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