दुनिया की दिग्गज इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) विनिर्माता टेस्ला अगले हफ्ते मुंबई के बांद्रा कुर्ला परिसर में अपना पहला ‘एक्सपीरियंस सेंटर’ खोलेगी। कंपनी इसके उद्घाटन के साथ भारतीय बाजार में औपचारिक रूप से प्रवेश करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
जाने-माने उद्योगपति एलन मस्क के नेतृत्व वाली इस कंपनी ने 15 जुलाई को होने वाले उद्घाटन समारोह को ‘भारत में टेस्ला की शुरुआत’ के रूप में पेश करते हुए चुनिंदा आमंत्रण भेजे हैं।
इस बारे में फिलहाल टेस्ला से टिप्पणी नहीं मिल पायी है।
उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, ऑस्टिन स्थित कंपनी ने अपने चीन स्थित संयंत्र से कारों की पहली खेप ‘मॉडल वाई’ रियर-व्हील ड्राइव एसयूवी पहले ही बाजार में उतार दी है।
टेस्ला इंडिया ने पिछले महीने मुंबई के लोढ़ा लॉजिस्टिक पार्क में 24,565 वर्ग फुट के गोदाम क्षेत्र को पांच साल की अवधि के लिए पट्टे पर लिया था।
केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने जून में कहा था कि इलेक्ट्रिक कार विनिर्माता कंपनी भारत में कारों के विनिर्माण में रुचि नहीं रखती, बल्कि देश में शोरूम स्थापित करने की इच्छुक है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अगर टेस्ला भारत के शुल्क से बचने के लिए भारत में कारखाना लगाती है, तो यह अमेरिका के लिए ‘अनुचित’ होगा।
टेस्ला के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एलन मस्क ने पिछले साल अप्रैल में कहा था कि कंपनी के भारी दायित्वों के कारण उनकी भारत यात्रा में देरी हुई है।
इलेक्ट्रिक कार विनिर्माता कंपनी शुरुआती शुल्क रियायत की मांग कर रही थी जिससे उसे 40,000 डॉलर से कम कीमत वाली कारों के लिए 70 प्रतिशत और अधिक मूल्य वाली कारों के लिए 100 प्रतिशत सीमा शुल्क की भरपाई करने की अनुमति मिल सके।
हालांकि, वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इसी वर्ष कहा था कि भारत अपनी नीतियों को टेस्ला के अनुरूप नहीं बनाएगा। उन्होंने कहा था कि इस संबंध में कानून और शुल्क नियम, दुनिया भर के सभी ईवी विनिर्माताओं को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में आधार स्थापित करने के लिए आकर्षित करने को तैयार किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार एक जीवंत ईवी परिवेश की आवश्यकता को समझती है, क्योंकि बैटरी चालित वाहनों के अधिक उपयोग से कार्बन उत्सर्जन के साथ तेल आयात बिल में भी कमी आएगी।
टेस्ला ऐसे समय में भारतीय बाजार में प्रवेश कर रही है जब उसे यूरोप और चीन में बिक्री में कमी का सामना करना पड़ रहा है।
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राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत शुक्रवार को 700 रुपये बढ़कर 99,370 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। वैश्विक व्यापार तनाव बढ़ने से निवेशकों में चिंता के बीच सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की मांग बढ़ने से इसकी कीमत में तेजी आई है।
अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना बृहस्पतिवार को 98,670 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।
वहीं 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 600 रुपये बढ़कर 98,800 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) पर पहुंच गया। पिछले बाजार बंद के समय यह 98,200 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।
इसके अलावा, शुक्रवार को चांदी की कीमत भी 1,500 रुपये बढ़कर 1,05,500 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) हो गईं। बृहस्पतिवार को चांदी 1,04,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘बढ़ती व्यापार चिंताओं ने आम तौर पर स्थिर अमेरिकी डॉलर के संतुलित रुख को बिगाड़ दिया, जिससे शुक्रवार को सोने की कीमतों में तेजी आई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हाल में शुल्क संबंधी चेतावनियों के कारण वैश्विक जोखिम धारणा में कमी आई। इससे वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई।’’
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक अगस्त से कनाडा से आयातित वस्तुओं पर 35 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की है और अन्य व्यापारिक साझेदारों पर 15 से 20 प्रतिशत शुल्क लगाने की योजना का संकेत दिया है।
गांधी ने कहा कि शुल्क संबंधी अनिश्चितता इस सप्ताह फिर से सामने आई है और यह सुरक्षित निवेश वाली कीमती धातुओं की ओर निवेश को बढ़ावा देने वाला एक प्रमुख कारक है।
बाजार के दृष्टिकोण के बारे में, उन्होंने कहा कि टैरिफ संबंधी आगे की गतिविधियां निकट भविष्य में कीमती धातुओं की कीमतों की दिशा को प्रभावित करेंगी।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में, हाजिर सोना 24.63 डॉलर या 0.74 प्रतिशत बढ़कर 3,348.67 डॉलर प्रति औंस हो गया।
विदेशी बाजारों में हाजिर चांदी भी 1.64 प्रतिशत बढ़कर 37.61 डॉलर प्रति औंस हो गई।
जिंस बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, निवेशक मंगलवार को जारी होने वाले जून के अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आंकड़ों का इंतजार करेंगे, जो सर्राफा कीमतों की दिशा के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक होगा।
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मिले-जुले वैश्विक रुझानों के बीच सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), वाहन और बिजली शेयरों में भारी बिकवाली के कारण शुक्रवार को घरेलू शेयर बाजार लगातार तीसरे दिन गिरावट के साथ बंद हुआ। सेंसेक्स 690 अंक लुढ़क गया जबकि निफ्टी में 205 अंकों की गिरावट आई।
विश्लेषकों के मुताबिक, वैश्विक बाजारों में मिले-जुले रुख के बीच अमेरिकी शुल्क को लेकर जुड़ी अनिश्चितताओं ने भी निवेशकों की धारणा पर असर डाला।
बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स 689.81 अंक यानी 0.83 प्रतिशत गिरकर 82,500.47 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 748.03 अंक टूटकर 82,442.25 पर आ गया था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों वाला मानक सूचकांक निफ्टी भी 205.40 अंक यानी 0.81 प्रतिशत गिरकर 25,149.85 अंक पर बंद हुआ।
साप्ताहिक आधार पर बीएसई सेंसेक्स में 932.42 अंक यानी 1.11 प्रतिशत की गिरावट देखी गई जबकि एनएसई निफ्टी में 311.15 अंक यानी 1.22 प्रतिशत की नरमी रही।
सेंसेक्स के समूह में शामिल कंपनियों में से टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) का शेयर जून तिमाही के नतीजे आने के बाद 3.46 प्रतिशत नुकसान में रहा।
देश की सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी टीसीएस ने जून तिमाही में शुद्ध लाभ छह प्रतिशत बढ़कर 12,760 करोड़ रुपये हो जाने की सूचना दी है। तिमाही के दौरान रुपये में राजस्व 1.3 प्रतिशत बढ़कर 63,437 करोड़ रुपये हो गया।
इसके अलावा महिंद्रा एंड महिंद्रा, भारती एयरटेल, टाटा मोटर्स, टाइटन, एचसीएल टेक, बजाज फाइनेंस, रिलायंस इंडस्ट्रीज, ट्रेंट, इन्फोसिस और एचडीएफसी बैंक के शेयर भी गिरावट के साथ बंद हुए।
दूसरी तरफ, लाभ में रहने वाले शेयरों मे हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) के शेयरों में 4.61 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। इसके अलावा एक्सिस बैंक, एनटीपीसी, इटर्नल (पूर्व में जोमैटो) और भारतीय स्टेट बैंक शामिल हैं।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लि. के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "जून तिमाही के नतीजों की घोषणा की धीमी शुरुआत और अमेरिका द्वारा कनाडा पर 35 प्रतिशत शुल्क लगाने की चेतावनी से घरेलू बाजार में गिरावट दर्ज की गई।"
नायर ने कहा, "आईटी कंपनियों को ऑर्डर मिलने और नए निवेश में देरी के कारण आईटी सूचकांक का प्रदर्शन कमजोर रहा। इसका असर वित्त वर्ष 2025-26 के आय अनुमानों पर पड़ सकता है।"
छोटी कंपनियों से संबंधित बीएसई स्मालकैप सूचकांक में 0.70 प्रतिशत की गिरावट रही जबकि मझोली कंपनियों से जुड़ा मिडकैप सूचकांक 0.65 प्रतिशत नुकसान में रहा।
क्षेत्रवार सूचकांकों में प्रौद्योगिकी खंड में सर्वाधिक 1.85 प्रतिशत की गिरावट देखी गई जबकि आईटी खंड में 1.65 प्रतिशत, वाहन खंड में 1.72 प्रतिशत और तेल एवं गैस खंड में 1.28 प्रतिशत की गिरावट रही।
बीएसई पर सूचीबद्ध 2,450 शेयर गिरावट के साथ बंद हुए जबकि 1,557 शेयर बढ़त के साथ बंद हुए। वहीं 158 अन्य कंपनियों के शेयर अपरिवर्तित रहे।
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) प्रशांत तापसे ने कहा, "यूरोपीय बाजार के कमजोर संकेतों ने कारोबारी धारणा पर असर डाला। टीसीएस के साथ तिमाही नतीजों की कमजोर शुरुआत ने निवेशकों को सुस्त वैश्विक मांग को लेकर आगाह किया जिससे भारी बिकवाली हुई।"
एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी और जापान का निक्की गिरावट के साथ बंद हुए जबकि चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंग सेंग बढ़त के साथ बंद हुए।
यूरोप के प्रमुख बाजारों में दोपहर कारोबार में गिरावट का रुख था। बृहस्पतिवार को अमेरिकी बाजार सकारात्मक दायरे में बंद हुए थे।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.31 प्रतिशत बढ़कर 68.85 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बृहस्पतिवार को 221.06 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध खरीदारी की।
सेंसेक्स बृहस्पतिवार को 345.80 अंक गिरकर 83,190.28 अंक और निफ्टी 120.85 अंक गिरकर 25,355.25 अंक पर बंद हुआ था।
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अंतर बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया सात पैसे टूटकर 85.77 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। कमजोर घरेलू बाजार और व्यापार शुल्क अनिश्चितता के बीच रुपये की विनिमय दर में गिरावट आई।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कनाडाई वस्तुओं पर 35 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा से वैश्विक बाजार की धारणा प्रभावित हुई।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 85.76 पर खुला और कारोबार के दौरान 85.91 के निचले स्तर पर पहुंच गया। अंत में रुपया 85.77 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से सात पैसे की गिरावट है।
बृहस्पतिवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया शुरुआती बढ़त गंवाकर तीन पैसे की बढ़त के साथ 85.70 पर बंद हुआ था।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, “हमारा अनुमान है कि व्यापार युद्ध के चलते वैश्विक धारणाओं पर असर पड़ने के कारण रुपया कमजोर होगा। व्यापार शुल्कों को लेकर अनिश्चितता और डॉलर सूचकांक में तेजी से भी रुपये पर दबाव पड़ सकता है। हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में कमजोर रुख निचले स्तरों पर रुपये को सहारा दे सकती है।”
चौधरी ने कहा कि डॉलर-रुपये का हाजिर मूल्य 85.55 से 86.25 के बीच रहने की संभावना है।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि रुपये में उतार-चढ़ाव रहा लेकिन सीमित दायरे में कारोबार हुआ। इसका कारण बाजार प्रतिभागी अमेरिका-भारत अंतरिम व्यापार समझौते पर स्पष्टता की प्रतीक्षा में सतर्क रुख अपना रहे हैं।
इस बीच, वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 0.34 प्रतिशत बढ़कर 68.87 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.13 प्रतिशत की बढ़त के साथ 97.77 पर आ गया।
स्थानीय शेयर बाजार में, बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 689.81 अंक की गिरावट के साथ 82,500.47 अंक पर आ गया। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 205.40 अंक फिसलकर 25,149.85 अंक पर बंद हुआ।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में बृहस्पतिवार को शुद्ध लिवाल रहे और उन्होंने शुद्ध रूप से 221.06 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
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