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अर्थतंत्र की खबरें: थोक के बाद खुदरा महंगाई दर भी जारी और सर्राफा बाजार में ऑल टाइम हाई पर पहुंचा सोना

मार्च के दौरान खाद्य महंगाई दर धीमी होकर 2.69 प्रतिशत हो गई। यह नवंबर 2021 के बाद का सबसे निचला स्तर है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

भारत में खुदरा महंगाई दर मार्च में घटकर 3.34 प्रतिशत हो गई है। अगस्त 2019 के बाद खुदरा महंगाई का यह सबसे निचला स्तर है। यह जानकारी सांख्यिकी मंत्रालय ने मंगलवार को दी।

मार्च के दौरान खाद्य महंगाई दर धीमी होकर 2.69 प्रतिशत हो गई। यह नवंबर 2021 के बाद का सबसे निचला स्तर है।

मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि मार्च 2025 के दौरान हेडलाइन महंगाई और खाद्य महंगाई में मजबूत गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों, अंडों, दालों, मांस और मछली, अनाज और दूध की कीमतों में गिरावट के कारण है।

मार्च में सालाना आधार पर जिन खाद्य उत्पादों की कीमतों में सबसे ज्यादा गिरावट हुई हैं, उनमें अदरक (-38.11 प्रतिशत), टमाटर (-34.96 प्रतिशत), फूलगोभी (-25.99 प्रतिशत), जीरा (-25.86 प्रतिशत) और लहसुन (-25.22 प्रतिशत) शामिल थे।

सालाना आधार पर हाउसिंग महंगाई दर 3.03 प्रतिशत रही है। फरवरी में यह 2.91 प्रतिशत थी। हाउसिंग इंडेक्स में केवल शहरी क्षेत्र को शामिल किया जाता है।

आंकड़ों के मुताबिक, मार्च में ईंधन और ऊर्जा महंगाई दर 1.48 प्रतिशत रही है। जबकि शिक्षा महंगाई दर 3.98 प्रतिशत रही है।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने पिछले सप्ताह कहा कि देश में खुदरा महंगाई में हाल के महीनों में कमी आ रही है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने 2025-26 के लिए महंगाई के अपने पूर्वानुमान को 4.2 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है।

उन्होंने आगे कहा कि खरीफ की मजबूत आवक के साथ-साथ, इससे खाद्य महंगाई दर में स्थायी नरमी आने की उम्मीद है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट महंगाई के आउटलुक के लिए शुभ संकेत है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए और सामान्य मानसून को मानते हुए, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए खुदरा महंगाई 4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है, जिसमें पहली तिमाही 3.6 प्रतिशत, दूसरी तिमाही 3.9 प्रतिशत, तीसरी तिमाही 3.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही 4.4 प्रतिशत रह सकती है।

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भारतीय शेयर बाजार में तूफानी तेजी, सेंसेक्स 1,578 अंक चढ़कर बंद

भारतीय शेयर बाजार मंगलवार के कारोबारी सत्र में बड़ी तेजी के साथ बंद हुआ। बाजार में चौतफा खरीदारी देखी गई। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 1,578 अंक या 2.10 प्रतिशत बढ़कर 76,734 और निफ्टी 500 अंक या 2.19 प्रतिशत बढ़कर 23,328 पर था।

बाजार में तेजी की वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से रेसिप्रोकल टैरिफ (चीन को छोड़कर) हटाने को माना जा रहा है, जिससे बाजार के सेंटीमेंट में सुधार हुआ है।

लार्जकैप के साथ के मिडकैप और स्मॉलकैप में भी खरीदारी हुई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 1,472 अंक या 2.92 प्रतिशत की बढ़त के साथ 51,974 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 483 अंक या 3.08 प्रतिशत बढ़कर 16,179 पर बंद हुआ।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के सभी सूचकांक हरे निशान में बंद हुए हैं। ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, मेटल, प्राइवेट बैंक और मीडिया सबसे ज्यादा बढ़ने वाले इंडेक्स थे।

रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड में रिसर्च के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, अजीत मिश्रा ने कहा कि शेयर बाजार ने हफ्ते की शुरुआत मजबूत 2 प्रतिशत की तेजी के साथ की है। इस तेजी में सभी सेक्टरों ने योगदान दिया।

उन्होंने आगे कहा कि इस तेजी की वजह टैरिफ को 90 दिनों के लिए टालना और कुछ चुनिंदा उत्पादों को छूट देना है।

सेंसेक्स पैक में इंडसइंड बैंक, एलएंडटी, टाटा मोटर्स, एक्सिस बैंक, अदाणी पोर्ट्स, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचसीएल टेक, एमएंडएम, बजाज फाइनेंस, भारती एयरटेल, टाटा स्टील, मारुति सुजुकी, अल्ट्राटेक सीमेंट और टेक महिंद्रा टॉप गेनर्स थे। केवल आईसीटी और एचयूएल ही लाल निशान में बंद हुए हैं।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 3,302 शेयर हरे निशान में, 785 शेयर लाल निशान में और 169 शेयर बिना किसी बदलाव के साथ बंद हुए हैं।

बाजार की शुरुआत तेजी के साथ हुई थी। सुबह 9:48 पर सेंसेक्स 1,573 अंक या 2.10 प्रतिशत की बढ़त के साथ 76,733 और निफ्टी 482 अंक या 2.12 प्रतिशत की तेजी के साथ 23,311 पर था।

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सोना 96,450 रुपये के सर्वकालिक उच्चस्तर पर, चांदी 2,500 रुपये चढ़ी

राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को सोने की कीमत 50 रुपये बढ़कर 96,450 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी है।

सोमवार को 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 50 रुपये गिरकर 96,400 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।

99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 50 रुपये बढ़कर 96,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया, जबकि इसका पिछला बंद भाव 95,950 रुपये प्रति 10 ग्राम था।

इस बीच, ताजा औद्योगिक मांग के कारण चांदी की कीमत 2,500 रुपये बढ़कर 97,500 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई।

सोमवार को चांदी 500 रुपये की गिरावट के साथ 95,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी।

वैश्विक स्तर पर, हाजिर सोना 13.67 डॉलर या 0.43 प्रतिशत बढ़कर 3,224.60 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया।

अबन्स फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) चिंतन मेहता ने कहा, ‘‘डॉलर के कमजोर होने और अमेरिकी व्यापार नीति को लेकर लगातार अनिश्चितता के कारण सोने की कीमतें अब तक के उच्चतम स्तर के करीब स्थिर बनी हुई हैं।’’

मेहता ने कहा कि बुधवार को अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पावेल की आगामी प्रेस कॉन्फ्रेंस पर निवेशकों का ध्यान रहेगा, क्योंकि निवेशक इस बात के संकेत चाहते हैं कि अगर व्यापार तनाव बढ़ता है या आर्थिक स्थिति कमजोर होती है तो केंद्रीय बैंक क्या प्रतिक्रिया दे सकता है।

एशियाई बाजार में हाजिर चांदी मामूली रूप से गिरकर 32.32 डॉलर प्रति औंस रह गई।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक-जिंस सौमिल गांधी के अनुसार, कारोबारी अब मंगलवार को जारी होने वाले एनवाई एम्पायर स्टेट मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स सहित अमेरिका के वृहद आर्थिक आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं।

इसके अलावा, बाजार सहभागियों को अधिक जानकारी के लिए फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) के सदस्य थॉमस बार्किन और यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ईसीबी) की अध्यक्ष क्रिस्टीन लेगार्ड के संबोधन का भी इंतजार रहेगा।

गांधी ने कहा कि हालांकि, मुख्य ध्यान शुल्क से संबंधित घटनाक्रमों पर बना हुआ है, जो सर्राफा की कीमतों को प्रभावित कर सकता है।

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रुपया 33 पैसे चढ़कर 85.77 प्रति डॉलर पर

शेयर बाजारों में तेज उछाल और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच डॉलर में जारी कमजोरी के कारण मंगलवार को अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपये में लगातार दूसरे सत्र में तेजी रही और यह 33 पैसे चढ़कर 85.77 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर पहुंच गया।

विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, अनुकूल घरेलू मुद्रास्फीति के आंकड़े और अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारत पर अतिरिक्त 26 प्रतिशत शुल्क को नौ जुलाई तक टालने के फैसले से भी रुपये को समर्थन मिला।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में, रुपया दिन के निचले स्तर 85.85 प्रति डॉलर पर खुला और दिन के कारोबार में डॉलर के मुकाबले 85.59 प्रति डॉलर के उच्चतम स्तर को छू गया। सत्र के अंत में रुपया 85.77 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जो पिछले बंद स्तर से 33 पैसे की बढ़त है।

शुक्रवार के सत्र में रुपया 58 पैसे की जोरदार बढ़त के साथ 86.10 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

सोमवार को डॉ. बाबा साहब आंबेडकर जयंती के अवसर पर विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार बंद थे।

मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि कमजोर डॉलर सूचकांक और घरेलू बाजारों में उछाल के कारण रुपये में तेजी आई।

चौधरी ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में रातोंरात गिरावट और सकारात्मक वृहद आर्थिक आंकड़ों ने रुपये को समर्थन दिया। हालांकि, एफआईआई की निकासी ने तेज बढ़त को रोक दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘कच्चे तेल की कीमतों में समग्र कमजोरी भी निचले स्तर पर रुपये को समर्थन दे सकती है। हालांकि, आयातकों द्वारा डॉलर की खरीद और एफआईआई निकासी से तेज बढ़त रुक सकती है। कारोबारी अमेरिका से एम्पायर स्टेट मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स के आंकड़ों से संकेत ले सकते हैं।’’

उन्होंने अनुमान लगाया कि डॉलर-रुपया हाजिर कीमत 85.40 रुपये से 86 रुपये के बीच होगी।

मंगलवार को जारी ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में थोक मुद्रास्फीति मार्च में छह महीने के निचले स्तर 2.05 प्रतिशत पर आ गई, क्योंकि सब्जियों, आलू और अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी आई।

इस बीच, डॉलर सूचकांक 0.02 प्रतिशत की गिरावट के साथ 99.38 पर कारोबार कर रहा था। यह मार्च, 2022 के बाद का इसका सबसे निचला स्तर है।

वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 0.11 प्रतिशत गिरकर अपने चार साल के निचले स्तर 64.81 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। इससे पहले कच्चा तेल अप्रैल, 2021 में इस स्तर पर आया था।

बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,577.63 अंक उछलकर 76,734.89 अंक पर बंद हुआ, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 500 अंक बढ़कर 23,328.55 अंक पर पहुंच गया।

एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। उन्होंने शुक्रवार को शुद्ध रूप से 2,519.03 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे।

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बढ़ते नुकसान और धीमी होती ग्रोथ से स्विगी के शेयर इस साल 38 प्रतिशत लुढ़के

फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स कंपनी स्विगी के शेयर की कीमत में इस साल अब तक 38 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। स्टॉक के कमजोर प्रदर्शन की वजह नुकसान बढ़ना और अधिक प्रतिस्पर्धा के चलते मार्जिन पर दबाव बढ़ना है।

निफ्टी में दो प्रतिशत से अधिक की तेजी के मुकाबले स्विगी का शेयर मंगलवार को 0.45 प्रतिशत की तेजी के साथ 334.5 रुपए पर सपाट बंद हुआ। यह दिखाता है कि शेयर को लेकर बाजार में सेंटीमेंट सकारात्मक नहीं है।

बीते छह महीने में स्विगी के शेयर में 26.64 प्रतिशत की गिरावट हुई है। वहीं, बीते एक महीने में इसका शेयर 6.05 प्रतिशत कमजोर हुआ है।

हालांकि, बीते पांच कारोबारी सत्रों में स्विगी के शेयर में 4.29 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, लेकिन व्यापक रुझान नकारात्मक बना हुआ है।

बैंक ऑफ अमेरिका (बोफा) ने स्विगी को डाउनग्रेड कर 'अंडरपरफॉर्म' की रेटिंग दी है। साथ ही टारगेट प्राइस को 420 रुपए से घटाकर 325 रुपए कर दिया है।

ब्रोकरेज फर्म ने फूड डिलीवरी सेगमेंट में धीमी वृद्धि और क्विक कॉमर्स सेक्टर में बढ़ती प्रतिस्पर्धा को प्रमुख जोखिम बताया।

बोफा ने कहा कि भारी छूट देने वाली नई कंपनियों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा और अधिक मार्केटिंग के कारण निकट भविष्य में स्विगी के मुनाफे पर असर पड़ने की संभावना है।

ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि इस बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा के कारण मार्केटिंग खर्च में इजाफा हो सकता है और प्लेटफॉर्म पर अधिक छूट ऑफर कर सकता है और उपभोक्ताओं के लिए डिलीवरी शुल्क में कमी आ सकती है।

विश्लेषकों का कहना है कि सबसे बड़ी चिंता यह है कि फूड डिलीवरी से होने वाला मुनाफा, जो कभी एक स्थिर स्रोत था, अब क्विक कॉमर्स में होने वाले घाटे को कवर करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

विश्लेषकों ने कहा कि क्विक कॉमर्स कारोबार का ब्रेकइवन तक पहुंचना अभी मुश्किल है।

वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में कंपनी ने 799 करोड़ रुपए का नुकसान दर्ज किया था। इसमें पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले उसका घाटा 39 प्रतिशत बढ़ा है।

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