गुरुग्राम के सेक्टर-37 में मौजूद सिग्नेचर ग्लोबल पार्क के निवासियों ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शुक्रवार को बिल्डर की मनमानी के खिलाफ प्रदर्शन किया। निवासियों का कहना है कि फ्लैट की बिक्री के समय बिल्डर की ओर से 24 मीटर रोड से कनेक्टिविटी से लेकर अच्छी कंस्ट्रक्शन क्वालिटी एवं बेहतर मेंटेनेंस का वादा किया गया था, लेकिन कोई वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ है।
सिग्नेचर ग्लोबल पार्क के निवासियों का आरोप है कि बिल्डर ने करोड़ों रुपए लेकर भी कोई सुविधा नहीं दी है और उन्हें अपने आशियाने में जाने के लिए भी रास्ता नहीं दिया गया है।
निवासियों ने बताया कि बिल्डर ने 24 मीटर रोड से कनेक्टिविटी का वादा किया था, लेकिन 1300 निवासियों के पास अपने घर तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है। बच्चों को स्कूल से आने-जाने में भी दिक्कत होती है।
सिग्नेचर ग्लोबल पार्क में निवासी मोनिका ने मीडिया से बातचीत करते हुए कि यहां मेंटेनेंस की कोई सुविधा नहीं है। रोड से कनेक्टिविटी से लेकर महिलाओं की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है।
सिग्नेचर ग्लोबल पार्क में जे-56 में थर्ड फ्लोर पर रहने वाले आशुतोष ओझा ने बताया कि यहां कनेक्टिविटी एक बड़ी समस्या है, ओला-उबर आदि नहीं आती है। ऐसे में अगर किसी को कोई इमरजेंसी आ जाए, तो यहां से निकलना काफी मुश्किल है।
वहीं, एक अन्य निवासी ने कहा कि हमने सिग्नेचर ग्लोबल से प्लैट एक बड़ा ब्रांड समझ कर लिया था, लेकिन यहां कंस्ट्रक्शन क्वालिटी किसी स्थानीय बिल्डर से भी खराब है। मैंने यहां मेंटेनेंस के एडवांस में एक लाख रुपए दिए हैं, लेकिन शनिवार को मैंने किसी काम के लिए मेंटेनेंस को कॉल किया था। उन्होंने जवाब दिया कि सैलरी न मिलने के बाद कारण स्ट्राइक पर हैं।
निवासियों ने कहा कि वे बिल्डर की मनमानी के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करेंगे। साथ ही कहा कि प्रशासन से मांग की है कि वह बिल्डर के खिलाफ कार्रवाई करे और उन्हें उनके अधिकार दिलाए।
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फूड डिलीवरी दिग्गज स्विगी ने फूड डिलीवरी ऑर्डर के लिए अपने प्लेटफॉर्म शुल्क में एक बार फिर 2 रुपए की बढ़ोतरी की है। त्योहारों के मौसम में ग्राहकों के लेन-देन में वृद्धि का हवाला देते हुए कंपनी ने त्योहारों की मांग का लाभ उठाने के लिए शुल्क 12 रुपए से बढ़ाकर 14 रुपए कर दिया है।
फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म लगातार शुल्क बढ़ा रहा है। स्विगी का शुल्क अप्रैल 2023 में 2 रुपए से बढ़कर जुलाई 2024 में 6 रुपए और अक्टूबर 2024 में 10 रुपए हो गया। 14 रुपए का वर्तमान शुल्क, केवल दो वर्षों में 600 प्रतिशत की आश्चर्यजनक वृद्धि है।
स्विगी प्रतिदिन 20 लाख से अधिक ऑर्डर प्रोसेस करता है और वर्तमान प्लेटफॉर्म शुल्क स्तरों पर, इससे प्रतिदिन करोड़ों रुपए की अतिरिक्त आय होती है। कंपनी ने अभी तक बढ़े हुए प्लेटफॉर्म शुल्क पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
स्विगी ने जून तिमाही में सालाना आधार पर 1,197 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा दर्ज किया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि (वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही) में हुए 611 करोड़ रुपए के घाटे से लगभग दोगुना है।
तिमाही आधार पर, बेंगलुरु स्थित इस कंपनी ने अपनी स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, पिछली तिमाही (वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही) में 1,081 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा दर्ज किया। यह बढ़ता घाटा मुख्य रूप से इसके क्विक कॉमर्स डिवीजन, इंस्टामार्ट के कारण हुआ, जहां वित्तीय दबाव तेजी से बढ़ा।
ज़ोमैटो और स्विगी ने पहले भी उच्च मांग वाले दिनों में उच्च प्लेटफ़ॉर्म शुल्क का परीक्षण किया है। यदि ऑर्डर की मात्रा अप्रभावित रही, तो उन्होंने नए शुल्क ढांचे को बनाए रखा।
जोमैटो ने दो साल से कम समय में पांच बार शुल्क वृद्धि भी लागू की है, जो 400 प्रतिशत की वृद्धि है।
कई सर्वेक्षणों के अनुसार, स्विगी-ज़ोमैटो के कारण, 35 प्रतिशत तक कमीशन दरें लागू होने के कारण, रेस्टोरेंट मालिकों को मेनू की कीमतें बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे ऑनलाइन ऑर्डर करना रेस्टोरेंट में खाने की तुलना में 50 प्रतिशत से भी ज्यादा महंगा हो गया है।
उपभोक्ताओं के लिए कई बार शुल्क बढ़ाने के बावजूद, कर्मचारियों की स्थिति में सुधार न कर पाने के लिए कंपनियों की लगातार आलोचना हो रही है।
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भारत ने अमेरिका से तेल की खरीदारी बढ़ा दी है। देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने अक्टूबर डिलीवरी के लिए अगस्त में लगभग 20 लाख बैरल तेल का ऑर्डर दिया है।
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने अक्टूबर डिलीवरी के लिए अगस्त में अमेरिकी कच्चे तेल का एक और खेप खरीदी है।
सिंगापुर से रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भारतीय निर्यात पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की धमकी के बाद, यह सौदा अक्टूबर डिलीवरी के लिए लगभग 20 लाख बैरल अमेरिकी तेल की खरीदारी की सीरीज का हिस्सा है।
इस बीच, भारत ने इराक में भू-राजनीतिक तनाव के कारण तेल की खरीदारी की जगह जून और जुलाई में दिए गए ऑर्डर के तहत अगस्त में प्रतिदिन 20 लाख बैरल रूसी तेल भी खरीदा। केप्लर के अनुसार, रूसी आयात में यह वृद्धि इराक और सऊदी अरब की वजह से हुई है।
आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि इस साल जनवरी से जून तक अमेरिका से भारत के तेल और गैस आयात में 51 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। देश का अमेरिका से लिक्विफाइड नेचुरल गैस (एलएनजी) आयात वित्त वर्ष 2023-24 के 1.41 अरब डॉलर से लगभग दोगुना होकर वित्त वर्ष 2024-25 में 2.46 अरब डॉलर हो गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी में आश्वासन दिया था कि भारत अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने में मदद के लिए अमेरिका से ऊर्जा आयात को 2024 के 15 अरब डॉलर से बढ़ाकर 2025 में 25 अरब डॉलर कर देगा। इसके बाद सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय तेल और गैस कंपनियों ने अमेरिकी कंपनियों से और अधिक दीर्घकालिक ऊर्जा खरीद के लिए बातचीत शुरू की। नई दिल्ली ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह रूसी तेल पर निर्भरता कम करने के लिए अपने ऊर्जा आयात के स्रोतों में विविधता ला रहा है।
भारत ने बताया है कि वह रूसी तेल खरीद रहा है क्योंकि जी-7 देशों द्वारा लगाई गई मूल्य सीमा से कम कीमत पर ऐसी खरीद पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। वास्तव में, ऐसी खरीद की अनुमति देना अमेरिकी नीति का हिस्सा था क्योंकि बाजार में अधिक तेल होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी नहीं होगी। इसके अलावा, कम कीमतों पर खरीदारी ने रूस की कमाई को सीमित करने में भी मदद की।
इस बीच, नई दिल्ली ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत और अमेरिका के बीच एक बेहद महत्वपूर्ण रणनीतिक संबंध है जो व्यापार से कहीं आगे जाता है।
सरकार ने कहा है कि भारत-अमेरिका संबंध बहुस्तरीय हैं और व्यापार इस "बेहद महत्वपूर्ण संबंध" का "केवल एक पहलू" है जो भू-राजनीतिक और रणनीतिक पहलुओं पर भी आधारित है।
सरकार ने विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति को यह भी सूचित किया है कि भारत-अमेरिका वार्ता के छठे दौर की योजना में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता हो सकता है।
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि रूस से तेल खरीदने पर भारत पर लगाए गए शुल्क ने मास्को के वाशिंगटन के साथ बैठक करने के लिए तैयार किया। उन्होंने कहा कि अगर रूस ऐसा नहीं करता तो वह अपने ''दूसरे सबसे बड़े ग्राहक'' को खो सकता था।
ट्रंप की यह टिप्पणी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शुक्रवार को अलास्का के एंकोरेज में होने वाली उनकी बैठक से पहले आई है।
उन्होंने बृहस्पतिवार को फॉक्स न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ''मुझे लगता है कि हर चीज का असर होता है।''
ट्रंप ने दावा कि जब उन्होंने भारत से कहा कि ''हम आपसे शुल्क लेंगे, क्योंकि आप रूस से तेल खरीद रहे हैं'' तो इस स्थिति में ''उन्हें (भारत) रूस से तेल खरीदना बंद करना पड़ा।''
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ''फिर उन्होंने (रूस ने) फोन किया, और मिलना चाहा। हम देखेंगे कि इस मुलाकात से क्या होता है। लेकिन निश्चित रूप से जब आप अपना दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक खो देते हैं, और शायद आप अपना पहला सबसे बड़ा ग्राहक भी खो सकते हैं, तो मुझे लगता है कि इसकी भी एक भूमिका होगी।''
ट्रंप ने कहा, ''भारत दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक था, और चीन के काफी करीब पहुंच रहा था। चीन रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है।''
भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने अमेरिकी राष्ट्रपति की शुल्क धमकी के बाद रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया है और पूरी तरह से आर्थिक कारणों से खरीद जारी है।
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