भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को लेकर जारी बातचीत के दौरान भारत को खासकर कृषि क्षेत्र को लेकर ‘बहुत सतर्क’ रहने और ‘सूझबूझ’ के साथ काम करने की जरूरत है।
रघुराम राजन ने बातचीत में कहा कि विकसित देश कृषि क्षेत्र को काफी सब्सिडी देते हैं और यह हमें ध्यान रखने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर फिलहाल छह-सात प्रतिशत के दायरे में स्थिर हो गई है। हालांकि वैश्विक व्यापारिक अनिश्चितताओं के चलते इसमें थोड़ी गिरावट हो सकती है।
राजन ने कहा, ‘‘कृषि जैसे क्षेत्रों में व्यापार समझौते काफी जटिल हो जाते हैं क्योंकि हर देश अपने उत्पादकों को सब्सिडी देता है। भारत के उत्पादक अपेक्षाकृत छोटे हैं और उन्हें कम सब्सिडी मिलती है। ऐसे में यदि कृषि उत्पादों का निर्बाध आयात होने लगे तो इससे हमारे किसानों को नुकसान हो सकता है।’’
भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) को लेकर इस सप्ताह वाशिंगटन में पांचवें दौर की बातचीत हुई है।
भारत अमेरिकी प्रशासन की तरफ से अप्रैल में घोषित 26 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क को हटाए जाने की मांग कर रहा है। इसके अलावा भारतीय इस्पात एवं एल्युमीनियम पर लगे 50 प्रतिशत और वाहनों पर 25 प्रतिशत शुल्क से राहत देने की मांग रखी गई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौता इंडोनेशिया के साथ हुए समझौते की तर्ज पर ही होगा। इसका मतलब है कि कृषि क्षेत्र में आयात की अनुमति देने एक अहम मुद्दा बनने जा रहा है।
पूर्व आरबीआई गवर्नर ने सुझाव दिया कि विकसित देशों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा देकर दुग्ध उत्पादों जैसे क्षेत्रों में मूल्यवर्धन को बढ़ाया जा सकता है, जिससे देश के दुग्ध उत्पादकों को फायदा होगा।
राजन ने कहा, ‘‘इसके बजाय हमें यह नहीं कहना चाहिए कि हम अन्य देशों से अधिक दूध के आयात का स्वागत करते हैं, बल्कि हमें समझदारी से रणनीति बनानी चाहिए।’’
इस समय शिकागो बूथ (शिकागो विश्विद्यालय) में वित्त के प्रोफेसर राजन ने कहा, "इस सबके लिए बहुत सतर्क रहने और बहुत सूझबूझ के साथ बात करने की जरूरत है। मुझे उम्मीद है कि हमारी सरकार के अधिकारी इसी काम में लगे हुए हैं।"
दरअसल भारत ने कृषि और डेयरी उत्पादों को आयात रियायत दिए जाने की अमेरिकी मांग पर अपना रुख कड़ा किया हुआ है। भारत ने अब तक किसी भी व्यापार समझौते में अपने साझेदार को इन क्षेत्रों में शुल्क रियायतें नहीं दी हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत को अमेरिका की ओर से लगाए गए अतिरिक्त शुल्कों के मुकाबले कुछ अधिक अवसर भी मिल सकते हैं। यदि अमेरिका द्वारा चीन या अन्य एशियाई देशों पर शुल्क भारत से ज्यादा हैं, तो कुछ विनिर्माण गतिविधियां भारत का रुख कर सकती हैं।
राजन ने कहा कि भारत ने कुछ क्षेत्रों में संरक्षणवादी रवैया अपनाया है, लेकिन उन क्षेत्रों में उचित प्रतिस्पर्धा लाने और शुल्कों में कटौती से अर्थव्यवस्था को लाभ मिल सकता है।
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तिमाही नतीजों की घोषणा की सुस्त शुरुआत के बीच विदेशी पूंजी की निकासी और बैंकों के शेयरों में बिकवाली होने से शुक्रवार को शेयर बाजार लगातार दूसरे दिन गिरावट के साथ बंद हुए। सेंसेक्स 501 अंक टूट गया जबकि निफ्टी 25,000 के स्तर से नीचे आ गया।
बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स 501.51 अंक यानी 0.61 प्रतिशत गिरकर 81,757.73 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 651.11 अंक गिरकर 81,608.13 अंक के निचले स्तर तक आ गया था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों वाला मानक सूचकांक निफ्टी भी 143.05 अंक यानी 0.57 प्रतिशत गिरकर एक महीने के निचले स्तर 24,968.40 अंक पर बंद हुआ।
विश्लेषकों ने कहा कि एक्सिस बैंक के तिमाही नतीजे बाजार की उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहने से निवेशकों ने बैंक शेयरों को लेकर सतर्क रुख अपना लिया है।
सेंसेक्स के समूह में शामिल कंपनियों में से एक्सिस बैंक के शेयर में सबसे अधिक 5.24 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। जून तिमाही में बैंक का एकीकृत शुद्ध लाभ तीन प्रतिशत घटकर 6,243.72 करोड़ रुपये रहा।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख देवर्ष वकील ने कहा कि एक्सिस बैंक के नवीनतम वित्तीय परिणाम बाजार की उम्मीदों से कम रहे।
इसके अलावा एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और भारतीय स्टेट बैंक के शेयर भी गिरावट के साथ बंद हुए।
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, भारती एयरटेल, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, टाइटन और इटर्नल के शेयर भी गिरावट के साथ बंद हुए।
हालांकि, बजाज फाइनेंस, टाटा स्टील, आईसीआईसीआई बैंक, एचसीएल टेक और इन्फोसिस के शेयर लाभ में रहे।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बृहस्पतिवार को 3,694.31 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की बिकवाली की।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "वित्त एवं सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के शुरुआती नतीजे निराशाजनक रहने से व्यापक स्तर पर बिकवाली देखने को मिली। प्रमुख कंपनियों के ऊंचे मूल्यांकन के साथ एफआईआई की शॉर्ट पोजीशन लेने से निवेशकों के मन में सतर्कता की धारणा बनी है।"
नायर ने कहा कि रूस के साथ भारत के कारोबारी रिश्तों पर नए शुल्कों की पश्चिमी देशों की धमकी ने भी असर डाला है। हालांकि मध्यम से लंबी अवधि के लिए घरेलू परिदृश्य उम्मीदें जगाता है।
छोटी कंपनियों के बीएसई स्मालकैपू सूचकांक में 0.64 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि मझोली कंपनियों के मिडकैप सूचकांक में 0.62 प्रतिशत की गिरावट रही।
क्षेत्रवार सूचकांकों में पूंजीगत उत्पाद खंड में 1.50 प्रतिशत, बैंकिंग खंड में 1.33 प्रतिशत और औद्योगिक खंड में 1.08 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली।
साप्ताहिक आधार पर बीएसई सेंसेक्स कुल 742.74 अंक यानी 0.90 प्रतिशत के नुकसान में रहा जबकि एनएसई निफ्टी में 181.45 अंक यानी 0.72 प्रतिशत की सुस्ती रही।
एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी और जापान का निक्की सूचकांक गिरावट के साथ बंद हुए, जबकि चीन का शंघाई कंपोजिट और हांगकांग का हैंग सेंग बढ़त में रहे।
यूरोपीय बाजार बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे। अमेरिकी बाजारों में बृहस्पतिवार को बढ़त दर्ज की गई थी। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.92 प्रतिशत बढ़कर 70.16 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
बीएसई सेंसेक्स बृहस्पतिवार को 375.24 अंक गिरकर 82,259.24 अंक और एनएसई निफ्टी 100.60 अंक की गिरावट के साथ 25,111.45 अंक पर बंद हुआ था।
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वैश्विक ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपनी अक्टूबर की मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) की बैठक में रेपो रेट में 25 आधार अंकों (बीपीएस) की एक और कटौती कर सकता है। इसकी वजह महंगाई में गिरावट आना है।
हालांकि, मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि केंद्रीय बैंक अपनी आगामी अगस्त की एमपीसी की बैठक में ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखेगा, लेकिन कहा है कि महंगाई में अपेक्षा से अधिक नरमी के कारण अगस्त में ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ गई है।
अपनी ताजा रिसर्च रिपोर्ट में मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) महंगाई इस वर्ष फरवरी से लगातार 4 प्रतिशत से नीचे रही है।
कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली छमाही के लिए, महंगाई औसतन केवल 3.2 प्रतिशत रही, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 5 प्रतिशत थी।
खुदरा महंगाई दर जून में सालाना आधार पर गिरकर 2.1 प्रतिशत पर आ गई, जो फरवरी 2019 के बाद से सबसे कम है। वहीं, थोक महंगाई दर भी हल्के अपस्फीति क्षेत्र में प्रवेश कर गई है।
वैश्विक ब्रोकरेज फर्म ने रिपोर्ट में कहा, महंगाई में गिरावट और आर्थिक विकास के आंकड़ों से मिले-जुले संकेतों के कारण मौद्रिक नीति में ढील को लेकर नए सिरे से चर्चा शुरू हो गई है।
मॉर्गन स्टेनली को अगस्त की बैठक में ब्याज दरों में कोई बदलाव न होने की उम्मीद है, लेकिन उसका मानना है कि आरबीआई कोई और कदम उठाने से पहले विकास के रुझानों के और आंकड़ों का इंतजार कर सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, निकट भविष्य में महंगाई में बड़ी कमी आई है और अगले वर्ष के लिए महंगाई का अनुमान स्थिर बना हुआ है। इस कारण केंद्रीय बैंक अक्टूबर में रेपो रेट में एक और कटौती कर सकता है।
रिपोर्ट में बताया गया कि खाद्य महंगाई दर अब अपस्फीतिकारी क्षेत्र में प्रवेश कर गई है, जो समग्र मूल्य वृद्धि में प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक थी।
जून में खाद्य कीमतों में 1.1 प्रतिशत की गिरावट आई, जो फरवरी 2019 के बाद पहली गिरावट है। यह मुख्य रूप से पिछले वर्ष के उच्च आधार, मजबूत फसल उत्पादन और बेहतर मौसम की स्थिति के कारण है।
रिपोर्ट के अनुसार, नीतिगत मोर्चे पर, सरकार ने गेहूं और दालों जैसी आवश्यक वस्तुओं पर स्टॉक सीमा लगाकर, खुले बाजार में गेहूं बेचकर और भारत ब्रांड के माध्यम से सब्सिडी वाली सब्जियाँ और दालें उपलब्ध कराकर खाद्य कीमतों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को रुपया शुरुआती बढ़त गंवाकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले चार पैसे की गिरावट के साथ 86.16 (अस्थायी) पर बंद हुआ। विदेशी पूंजी निकासी, वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और घरेलू शेयर बाजारों में भारी गिरावट के बीच रुपये की विनिमय दर में गिरावट आई।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, हालांकि प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के कमजोर रुख ने स्थानीय मुद्रा में भारी गिरावट पर अंकुश लगाया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 85.99 पर मजबूती के साथ खुला और 85.97-86.23 के दायरे में कारोबार करने के बाद 86.16 (अस्थायी) पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से चार पैसे कम है।
रुपया बृहस्पतिवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 20 पैसे की गिरावट के साथ 86.12 पर बंद हुआ था।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, “विदेशी निवेशक बिकवाल बन गए। डॉलर की भारी लिवाली से रुपया नीचे आया। इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गिरावट की गति को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाया।”
उन्होंने कहा, “हमारा अनुमान है कि अमेरिका के साथ समझौता होने तक रुपया कमजोर रहेगा और अगर ऐसा नहीं होता है, तो रुपया 87 के स्तर तक पहुंच सकता है। सोमवार को हमारा अनुमान है कि रुपया 85.90-86.40 के दायरे में कारोबार करेगा।”
विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते के लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत जारी है। यह टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के एक दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका, भारत के साथ व्यापार समझौते के ‘बहुत करीब’ है।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 1.17 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 70.33 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.36 प्रतिशत की गिरावट के साथ 98.38 पर आ गया।
घरेलू शेयर बाजारों में, सेंसेक्स 501.51 अंक गिरकर 81,757.73 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 143.05 अंक गिरकर 24,968.40 पर बंद हुआ।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बृहस्पतिवार को शुद्ध आधार पर 3,694.31 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
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सोना-चांदी की कीमतों में आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को बढ़त दर्ज की गई। 24 कैरेट के सोने की कीमतों में 750 रुपए से ज्यादा का इजाफा हुआ है। वहीं, चांदी की कीमत एक बार फिर 1,12,000 रुपए के पार हो गई है।
इससे पहले लगातार तीन दिनों से कीमती धातुओं की कीमत में गिरावट देखी जा रही थी।
इंडिया बुलियन ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) द्वारा शाम को जारी की गई कीमतों के मुताबिक, 24 कैरेट के सोने की कीमत 790 रुपए बढ़कर 98,243 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गई है, जो कि बीते गुरुवार को 97,453 रुपए प्रति 10 ग्राम दर्ज की गई थी।
22 कैरेट के 10 ग्राम सोने की कीमत बढ़कर 89,991 रुपए हो गई है, जो कि पहले 89,267 रुपए प्रति 10 ग्राम थी। वहीं, 18 कैरेट के 10 ग्राम सोने का दाम बढ़कर 73,682 रुपए हो गया है, जो कि पहले 73,090 रुपए प्रति 10 ग्राम था।
आईबीजेए की ओर से सोने और चांदी की कीमतों को दिन में दो बार सुबह और शाम अपडेट किया जाता है।
सोने के साथ चांदी की कीमत में भी इजाफा देखने को मिला। चांदी की कीमत 1,12,700 रुपए प्रति किलो हो गई है, जो कि पहले 1,11,000 रुपए प्रति किलो थी। चांदी की कीमत में 1700 रुपए की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इससे पहले चांदी ने बीते सोमवार को अपना ऑल टाइम हाई 1,13,867 छुआ था।
वायदा बाजार में भी सोने और चांदी की कीमत में तेजी दर्ज की जा रही है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोने के 5 अगस्त 2025 के कॉन्ट्रैक्ट की कीमत 0.57 प्रतिशत बढ़कर 98,030 रुपए और चांदी के 5 सितंबर 2025 के कॉन्ट्रैक्ट की कीमत 0.94 प्रतिशत बढ़कर 1,13,387 रुपए थी।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने और चांदी की कीमत में तेजी देखी जा रही है। कॉमैक्स पर सोना करीब 0.46 प्रतिशत बढ़कर 3,360.80 डॉलर प्रति औंस और चांदी 1.09 प्रतिशत बढ़कर 38.72 डॉलर प्रति औंस पर थी।
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