होली पर गोल्ड की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है। एमसीएक्स पर 24 कैरेट गोल्ड के अप्रैल फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स की कीमत गुरुवार को 0.21 प्रतिशत बढ़कर ऑल-टाइम हाई 86,875 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई है।
गोल्ड की कीमतों में तेजी वैश्विक अस्थिरता के कारण बनी हुई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों में अस्पष्टता के चलते वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता बनी हुई है। इस कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड की कीमत बढ़कर 2,945 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई है।
इंडियन बुलियन ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के मुताबिक, भारतीय बाजार में स्पॉट पर 24 कैरेट गोल्ड की कीमत 86,670 रुपये प्रति 10 ग्राम, 22 कैरेट गोल्ड की कीमत 84,590 रुपये प्रति 10 ग्राम, 20 कैरेट गोल्ड की कीमत 77,140 रुपये प्रति 10 ग्राम, 18 कैरेट गोल्ड की कीमत 70,200 रुपये प्रति 10 ग्राम और 14 कैरेट गोल्ड की कीमत 55,900 रुपये प्रति 10 ग्राम थी।
जानकारों का कहना है कि टैरिफ पर अनिश्चितता के कारण लोग सुरक्षित माने जाने वाले गोल्ड में निवेश कर रहे हैं। अमेरिका में महंगाई कम होने से गोल्ड की कीमतों को सोपर्ट मिल रहा है।
आगे कहा कि अमेरिका में महंगाई में कमी आने से ब्याज दर में कटौती को सहारा मिलेगा, जिससे गोल्ड की कीमतों को और अधिक सपोर्ट मिलेगा।
अमेरिका में बुधवार को आए आंकड़ों में महंगाई दर 2.8 प्रतिशत रही है, जिसका 3 प्रतिशत रहने का अनुमान था।
एलकेपी सिक्योरिटीज में कमोडिटी और करेंसी के रिसर्च एनालिस्ट, जतीन त्रिवेदी ने कहा कि अमेरिका के महंगाई के आंकड़े का असर आने वाले कुछ समय में गोल्ड की कीमतों पर दिखेगा। इस डेटा का असर फेड की रेट कट नीति पर भी होगा। ईटीएफ इनफ्लो भी गोल्ड में बुलिश सेंटीमेंट को सपोर्ट कर रहा है।
इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन पर 20 प्रतिशत, मैक्सिको और कनाडा के उत्पादों पर 25 प्रतिशत ट्रैरिफ लगाकर ट्रेड वार की शुरुआत कर दी थी, जिसने वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता को खतरा पैदा कर दिया है।
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स्थानीय शेयर बाजार में बृहस्पतिवार को गिरावट रही और बीएसई सेंसेक्स 200 अंक लुढ़क गया। रियल्टी, आईटी तथा वाहन शेयरों में बिकवाली के कारण सेंसेक्स में लगातार पांचवें दिन गिरावट रही।
तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स शुरुआती बढ़त को बरकरार नहीं रख पाया और 200.85 अंक 0.27 प्रतिशत की गिरावट के साथ 73,828.91 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स में शामिल शेयरों में 22 नुकसान में जबकि आठ लाभ में रहे।
सूचकांक बढ़त के साथ खुला और एक समय 74,401.11 तक चला गया। हालांकि, प्रमुख कंपनियों के शेयरों में चुनिंदा बिकवाली से यह नीचे आया और एक समय 259.17 तक गिर गया था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 73.30 अंक यानी 0.33 प्रतिशत की गिरावट के साथ 22,397.20 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 93.15 अंक तक टूट गया था।
सेंसेक्स में शामिल 30 शेयरों में से जोमैटो, टाटा मोटर्स, इंडसइंड बैंक, एशियन पेंट्स, बजाज फाइनेंस, मारुति सुजुकी इंडिया, अदाणी पोर्ट्स, हिंदुस्तान यूनिलीवर, रिलायंस इंडस्ट्रीज, बजाज फिनसर्व, अल्ट्राटेक सीमेंट और इन्फोसिस प्रमुख रूप से नुकसान में रहे।
दूसरी तरफ, लाभ में रहने वाले शेयरों में भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, टाटा स्टील, एनटीपीसी, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, पावरग्रिड, कोटक महिंद्रा बैंक और सन फार्मास्युटिकल्स शामिल हैं।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘अवकाश के कारण छोटा कारोबारी सप्ताह और अमेरिकी शेयर बाजार में बिकवाली वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव ला रही है। हालांकि, भारत मामूली नकारात्मक रुझान के साथ कुल मिलाकर बेहतर प्रदर्शन के साथ मजबूती से टिका है।’’
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा ने कहा, ‘‘सप्ताह की समाप्ति के दिन, बाजार सीमित दायरे में रहे और थोड़ा नुकसान के साथ बंद हुए। सकारात्मक वैश्विक संकेतों ने शुरुआत में तेजी को बढ़ावा दिया, लेकिन सभी क्षेत्रों के शेयरों में बिकवाली के दबाव से निफ्टी गिरावट के साथ बंद हुआ।’’
एशिया के अन्य बाजारों में जापान का निक्की, चीन का शंघाई कम्पोजिट और दक्षिण कोरिया का कॉस्पी नुकसान में साथ बंद हुआ।
यूरोप के प्रमुख बाजारों में दोपहर के कारोबार में तेजी का रुख रहा। अमेरिकी बाजार बुधवार को बढ़त में रहे थे।
इस बीच, वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.34 प्रतिशत की गिरावट के साथ 70.71 डॉलर प्रति बैरल रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को 1,627.61 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 1,510.35 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे।
बीएसई सेंसेक्स बुधवार को 72.56 अंक नुकसान में रहा था जबकि एनएसई निफ्टी 27.40 अंक फिसला था।
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मजबूत वृहद आर्थिक आंकड़ों और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी के बाद बृहस्पतिवार को रुपया 22 पैसे बढ़कर 87 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर सूचकांक में हाल की कमजोरी ने भी स्थानीय मुद्रा को समर्थन दिया।
उन्होंने कहा कि हालांकि, घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट और विदेशी पूंजी के निरंतर बहिर्गमन ने तीव्र बढ़त को सीमित कर दिया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 87.13 पर खुला और डॉलर के मुकाबले दिन के उच्चस्तर 86.96 तक चला गया। रुपये ने 87.15 के निचले स्तर को भी छुआ और कारोबार के अंत में यह 87 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। यह पिछले बंद स्तर से 22 पैसे की बढ़त है।
बुधवार को पिछले सत्र में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक पैसे की गिरावट के साथ 87.22 पर बंद हुआ था।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि बेहतर वृहद आर्थिक आंकड़ों और कमजोर अमेरिकी डॉलर के कारण रुपये में सुधार हुआ। हालांकि, कमजोर घरेलू बाजारों ने तेज बढ़त को रोक दिया।
चौधरी ने कहा कि कमजोर घरेलू बाजार, व्यापार शुल्क के मुद्दे और एफआईआई की निकासी ने रुपये की बढ़त को सीमित कर दिया।
इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.12 प्रतिशत की बढ़त के साथ 103.70 पर पहुंच गया।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 0.37 प्रतिशत गिरकर 70.69 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।
बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 200.85 अंक के नुकसान के साथ 73,828.91 अंक पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 73.30 अंक की गिरावट के साथ 22,397.20 अंक पर बंद हुआ।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को शुद्ध आधार पर 1,627.61 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
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देश में काराखानों, खुदरा, निर्माण जैसे क्षेत्रों में शारीरिक श्रम से जुड़े काम कर रहे लोगों में महिलाओं की भागीदारी महज 20 प्रतिशत है। इन्हें वेतन विसंगतियों से लेकर स्वच्छता की कमी जैसे कार्यस्थल से जुड़ी कठिन चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है। नौकरी खोजने की सुविधा देने वाला मंच ‘इनडीड’ ने एक सर्वेक्षण में यह कहा है।
यह सर्वेक्षण बड़े और मझोले शहरों (टियर एक और टियर दो) में 14 उद्योगों के 4,000 से अधिक नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच किया गया है।
इससे पता चलता है कि 2024 में 73 प्रतिशत नियोक्ताओं ने ‘ब्लू-कॉलर’ यानी शारीरिक श्रम से जुड़ी भूमिकाओं के लिए महिलाओं को काम पर रखा। जबकि देश भर में महिलाओं की भागीदारी 20 प्रतिशत पर स्थिर रही।
खुदरा, स्वास्थ्य और औषधि, निर्माण और रियल एस्टेट, यात्रा तथा होटल जैसे उद्योग औसतन 30 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी के साथ अग्रणी हैं। वहीं दूरसंचार, बीएफएसआई (बैंक, वित्तीय सेवाएं और बीमा) और सूचना प्रौद्योगिकी/सूचना प्रौद्योगिकी संबंधित क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से कम प्रतिनिधित्व है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘हालांकि, अधिक महिलाएं मुख्य रूप से वित्तीय स्वतंत्रता के लिए ‘ब्लू-कॉलर’ नौकरियों की तलाश कर रही हैं, लेकिन कार्यस्थल की वास्तविकताएं कठोर बनी हुई हैं।’’
सर्वेक्षण में शामिल आधी से अधिक महिलाओं ने काम के लचीले घंटे की कमी को एक बाधा बताया। ‘ब्लू-कॉलर’ नौकरियों में काम के घंटे में लचीलेपन की कमी से महिलाओं के लिए काम और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों को संतुलित करना मुश्किल हो जाता है।
देश में इस तरह के क्षेत्र में वेतन असमानता भी एक महत्वपूर्ण समस्या है। 42 प्रतिशत महिलाओं का मानना है कि उन्हें अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में कम वेतन मिलता है।
इसके अलावा, इन महिलाओं को करियर में उन्नति और पदोन्नति के कम अवसरों का भी सामना करना पड़ता है।
सर्वेक्षण में शामिल हर दूसरी महिला ने कौशल बढ़ाने में रुचि दिखाई, लेकिन सही प्रशिक्षण तक पहुंच एक चुनौती बनी हुई है।
इन चुनौतियों के बावजूद, 78 प्रतिशत नियोक्ता 2025 में अधिक महिलाओं को नियुक्त करने की योजना बना रहे हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में पांच प्रतिशत की वृद्धि है।
हालांकि, नियोक्ताओं का मानना है कि हुनरमंद और उपयुक्त प्रतिभा की कमी और नौकरी छोडने की ऊंची दर प्रमुख बाधाएं हैं। स्वास्थ्य सेवा की बढ़ती लागत भी एक चुनौती है। जबकि महिलाएं बीमा और वेतन सहित चिकित्सा अवकाश को कार्यस्थल की महत्वपूर्ण अपेक्षाओं के रूप में देखती हैं।
इनडीड इंडिया के बिक्री प्रमुख शशि कुमार ने कहा, ‘‘हालांकि, कंपनियां अधिक महिलाओं को नियुक्त करने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन सच्ची प्रगति उन्हें जोड़े रखने की रणनीति, करियर विकास के अवसरों और नीतियों पर निर्भर करती है। इसमें वित्तीय सुरक्षा, काम के घंटे में लचीलापन और स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘नियोक्ताओं को शारीरिक श्रम से जुड़े क्षेत्रों में महिलाओं के लिए कौशल, सही परामर्श और नेतृत्व विकास में निवेश करना चाहिए। आज महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना केवल विविधता की बात नहीं है, बल्कि यह एक आर्थिक आवश्यकता भी है।’’
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