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अर्थतंत्र की खबरें: PNB खाताधारकों के लिए खुशखबरी और इन्फोसिस को 32,400 करोड़ की राहत

पंजाब नेशनल बैंक ने आपकी ईएमआई (आसान मासिक किस्त) को अधिक सस्ती बनाया। रेपो दर में कटौती (6.00 प्रतिशत से - 5.50 प्रतिशत) के बाद, पंजाब नेशनल बैंक ने नौ जून, 2025 से प्रभावी, 0.50 प्रतिशत से आरएलएलआर (रेपो संबद्ध ब्याज दर) को कम कर दिया है।”

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

 भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के शुक्रवार को रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की बड़ी कटौती के कुछ घंटे बाद सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने ऋण दर में 0.50 प्रतिशत की कमी की घोषणा की। इससे बैंक के मौजूदा और नए उधारकर्ताओं को राहत मिलेगी।

अन्य बैंकों को भी जल्द ही इसी तरह की घोषणा करने की उम्मीद है।

पीएनबी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, “हमारे मूल्यवान ग्राहकों के लिए बहुत अच्छी खबर है। पंजाब नेशनल बैंक ने आपकी ईएमआई (आसान मासिक किस्त) को अधिक सस्ती बनाया। रेपो दर में कटौती (6.00 प्रतिशत से - 5.50 प्रतिशत) के बाद, पंजाब नेशनल बैंक ने नौ जून, 2025 से प्रभावी, 0.50 प्रतिशत से आरएलएलआर (रेपो संबद्ध ब्याज दर) को कम कर दिया है।”

प्रमुख रेपो संबद्ध बेंचमार्क ब्याज दर (आरबीएलआर) में कमी के साथ, बैंक का आवास कर्ज 7.45 प्रतिशत से शुरू होगा, जबकि वाहन ऋण 7.8 प्रतिशत प्रति वर्ष से शुरू होगा।

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इन्फोसिस को राहत: डीजीजीआई ने 32,400 करोड़ रुपये का पूर्व-कारण बताओ नोटिस बंद किया

जीएसटी आसूचना महानिदेशक ने वित्त वर्ष 2018-19 से 2021-22 के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनी इन्फोसिस के खिलाफ कारण बताओ नोटिस की पूर्व कार्यवाही बंद कर दी है। इस मामले में 32,403 करोड़ रुपये की जीएसटी राशि शामिल है।

भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि डीजीजीआई से सूचना प्राप्त होने के साथ ही, ‘यह मामला बंद हो गया है।’

कंपनी ने शुक्रवार को कहा, “जीएसटी पर 31 जुलाई, 2024; एक अगस्त, 2024 और तीन अगस्त, 2024 को हमारी पिछली सूचनाओं के क्रम में, यह सूचित करना है कि कंपनी को आज जीएसटी आसूचना महानिदेशक (डीजीजीआई) से एक संचार प्राप्त हुआ है, जिसमें वित्त वर्ष 2018-19 से 2021-22 के लिए पूर्व-कारण बताओ नोटिस कार्यवाही को बंद कर दिया गया है।”

इन्फोसिस ने कहा कि उसे ‘रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म’ के तहत आईजीएसटी (एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर) का भुगतान न करने के मुद्दे पर जुलाई, 2017 से मार्च, 2022 की अवधि के लिए डीजीजीआई द्वारा जारी पूर्व-कारण बताओ नोटिस प्राप्त हुआ है और उसका जवाब दे दिया गया है।

इन्फोसिस ने कहा, “इस अवधि के लिए पूर्व-कारण बताओ नोटिस के अनुसार, जीएसटी राशि 32,403 करोड़ रुपये थी। कंपनी को तीन अगस्त, 2024 को डीजीजीआई से एक संदेश मिला था, जिसमें वित्त वर्ष 2017-2018 के लिए पूर्व-कारण बताओ नोटिस कार्यवाही बंद कर दी गई थी। डीजीजीआई से आज के संचार की प्राप्ति के साथ, यह मामला बंद हो गया है।”

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दिल्ली सरकार ने स्थानीय निकायों को 900 करोड़ रुपये से अधिक जारी किए

दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को विकास कार्यों के लिए शहरी स्थानीय निकायों को 900 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि जारी की।

एक बयान के अनुसार दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को 820 करोड़ रुपये जारी किए हैं और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को मुफ्त पेयजल योजना के तहत 146 करोड़ रुपये मिले हैं।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा, ''इस भीषण गर्मी में, दिल्ली के प्रत्येक नागरिक के लिए स्वच्छ और पर्याप्त पेयजल सुनिश्चित करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। पानी कुछ लोगों का विशेषाधिकार नहीं है, यह प्रत्येक नागरिक का मूल अधिकार है। यह सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है कि प्रत्येक घर को सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध हो।''

गुप्ता ने कहा कि यह सब्सिडी केवल मुफ्त पानी देने के लिए नहीं है, बल्कि पूरे शहर में निर्बाध और गुणवत्तापूर्ण पानी की आपूर्ति करने के लिए डीजेबी जैसी संस्थाओं को मजबूत करने के लिए में भी है।

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सेबी ने इंडसइंड बैंक के आदेश में किया संशोधन, चल रही जांच के बीच शीर्ष अधिकारियों के नाम किए घोषित

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इंडसइंड बैंक लिमिटेड के खिलाफ अपने अंतरिम आदेश में एक शुद्धिपत्र जारी किया है, जिसमें बैंक के आंतरिक लेन-देन में शामिल दस्तावेजों की प्रकृति को स्पष्ट करने के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ को प्रतिस्थापित किया गया है।

बाजार नियामक ने कहा कि उसके पहले के आदेश में प्रयुक्त शब्द ‘बोर्ड नोट’ को अब ‘एंगेजमेंट नोट’ के रूप में पढ़ा जाएगा।

यह सुधार ऐसे समय में किया गया है जब सेबी निजी क्षेत्र के ऋणदाता बैंक में अकाउंटिंग अनियमितताओं की जांच कर रही है।

इससे पहले, नियामक ने उल्लेख किया था कि वैश्विक परामर्श फर्म केपीएमजी को इंडसइंड बैंक द्वारा फरवरी 2024 में ‘बोर्ड नोट’ के आधार पर नियुक्त किया गया था।

हालांकि, अब यह स्पष्ट हो गया है कि केपीएमजी की नियुक्ति वास्तव में एक 'एंगेजमेंट नोट' पर आधारित थी, जो एक ऐसा कम प्रभावशाली औपचारिक दस्तावेज है जिसका उपयोग आमतौर पर बाहरी सलाहकारों को कार्य सौंपने के लिए किया जाता है।

सेबी की जांच से पता चला है कि इंडसइंड बैंक के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी ने जनवरी 2024 में कहा था कि पहले से पहचानी गई विसंगतियों के वित्तीय प्रभाव का आकलन करने के लिए एक सलाहकार को काम पर रखा जा रहा है।

केपीएमजी ने बाद में इन मुद्दों से जुड़े 2,093 करोड़ रुपये के वित्तीय नुकसान की सूचना दी।

सेबी ने पाया कि बैंक ने 10 मार्च, 2025 तक इन निष्कर्षों का स्टॉक एक्सचेंजों को खुलासा नहीं किया, न ही 4 मार्च, 2025 तक जानकारी को अप्रकाशित मूल्य-संवेदनशील डेटा के रूप में चिह्नित किया।

केपीएमजी ने कथित तौर पर विशिष्ट लेखांकन प्रविष्टियों सहित संख्याओं को सत्यापित करने के लिए बैंक अधिकारियों के साथ आगे की चर्चा की।

अपने अंतरिम आदेश में, सेबी ने मामले में उनकी कथित भूमिकाओं के लिए चार वरिष्ठ अधिकारियों को नामित किया: अरुण खुराना, पूर्व कार्यकारी निदेशक और डिप्टी सीईओ; सुशांत सौरव, ट्रेजरी संचालन के प्रमुख; रोहन जथन्ना, जीएमजी संचालन के प्रमुख; और अनिल मार्को राव, उपभोक्ता बैंकिंग संचालन के लिए मुख्य प्रशासनिक अधिकारी।

इन व्यक्तियों को अगली सूचना तक किसी भी रूप में प्रतिभूतियों को खरीदने, बेचने या उनमें सौदा करने से रोक दिया गया है।

इस बीच, शुक्रवार को आरबीआई के डिप्टी गवर्नर जे स्वामीनाथन ने कहा कि इंडसइंड बैंक की स्थिति स्थिर हो रही है और ‘सब कुछ कमोबेश पटरी पर है।’

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने भी टिप्पणी की कि बैंक ने अपने लेखा मानकों को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और कुल मिलाकर अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।

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