निजी क्षेत्र के देश के दूसरे सबसे बड़े ऋणदाता आईसीआईसीआई बैंक ने शनिवार को वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही के लिए मजबूत वित्तीय नतीजों की घोषणा की। उसका शुद्ध लाभ सालाना आधार पर 18 प्रतिशत बढ़कर 12,630 करोड़ रुपए हो गया है।
बैंक ने शनिवार को शेयर बाजार को बताया कि ब्याज से प्राप्त उसकी शुद्ध आय (एनआईआई) भी तिमाही के दौरान 11 प्रतिशत बढ़कर 21,193 करोड़ रुपए पर पहुंच गई।
पूरे वित्त वर्ष में आईसीआईसीआई बैंक ने कर बाद लाभ (पीएटी) में 15.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और यह 47,227 करोड़ रुपए रहा।
अपनी आय के साथ-साथ, बैंक ने 11 रुपये प्रति शेयर के लाभांश की भी घोषणा की है, जो इसकी आगामी वार्षिक आम बैठक में अनुमोदन के अधीन है। बैंक के प्रत्येक शेयर का अंकित मूल्य दो रुपए है।
आईसीआईसीआई बैंक ने एसेट क्वालिटी में भी सुधार दर्ज किया। इस साल 31 मार्च तक इसका सकल नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) अनुपात 1.67 प्रतिशत पर आ गया, जबकि पिछली तिमाही के अंत में यह 1.96 प्रतिशत और एक साल पहले 2.16 प्रतिशत था।
इसी तरह, शुद्ध एनपीए अनुपात 0.39 प्रतिशत पर आ गया, जबकि पिछली तिमाही और पिछले साल की समान अवधि में यह 0.42 प्रतिशत था।
पूर्ण रूप से, एनपीए 24,166.18 करोड़ रुपए पर आ गया, जबकि पिछली तिमाही में यह 27,745.33 करोड़ रुपए और एक साल पहले 27,961.68 करोड़ रुपए था।
बैंक की फाइलिंग के अनुसार, तिमाही के दौरान, उसने 2,118 करोड़ रुपए के ऋण माफ किए और 2,786 करोड़ रुपये के ऋण बेचे।
कर को छोड़कर प्रोविजन वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में बढ़कर 891 करोड़ रुपए हो गए, जबकि एक साल पहले यह 718 करोड़ रुपए और तीसरी तिमाही में 1,227 करोड़ रुपए था।
मार्च 2025 के अंत में एनपीए के लिए बैंक का प्रोविजन कवरेज अनुपात 76.2 प्रतिशत रहा।
आईसीआईसीआई बैंक की कुल जमाराशि 31 मार्च तक सालाना आधार पर 14 प्रतिशत बढ़कर 16.11 लाख करोड़ रुपए हो गई। तिमाही आधार पर जमाराशि में 5.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
जनवरी-मार्च अवधि के दौरान बैंक की औसत जमाराशि सालाना आधार पर 11.4 प्रतिशत और पिछली तिमाही से 1.9 प्रतिशत बढ़कर 14.87 लाख करोड़ रुपए हो गई।
औसत चालू खाता जमाराशि सालाना आधार पर 9.6 प्रतिशत बढ़ी, जबकि औसत बचत खाता जमाराशि में 10.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
चौथी तिमाही के नतीजों से पहले आईसीआईसीआई बैंक का शेयर गुरुवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर 3.73 प्रतिशत की बढ़त के साथ 1,407 रुपए पर बंद हुआ।
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शुल्क युद्ध के बीच भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि केंद्रीय बैंक तेजी से बदल रही वैश्विक परिस्थितियों पर लगातार नजर रखेगा और अपनी नीतिगत कार्रवाई में 'सक्रिय और तत्पर' बना रहेगा।
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों ने उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया है।
साथ ही मल्होत्रा ने आगाह किया कि अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजार ''अस्थिर वैश्विक वातावरण की अनिश्चितताओं से अछूते नहीं हैं।''
उन्होंने शुक्रवार को बाली में 24वें एफआईएमएमडीए-पीडीएआई वार्षिक सम्मेलन में कहा, ''तेजी से बदल रही वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए हम लगातार आर्थिक परिदृश्य की निगरानी और आकलन कर रहे हैं। हम हमेशा की तरह नीतिगत मोर्चे पर अपनी कार्रवाई में सक्रिय और तत्पर रहेंगे।''
उन्होंने कहा कि वृद्धि-मुद्रास्फीति संतुलन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और मुद्रास्फीति भी सहनशील दायरे के भीतर है।
गवर्नर ने कहा कि इसके बावजूद वैश्विक अनिश्चितताएं और मौसम की गड़बड़ी मुद्रास्फीति के लिहाज से जोखिम पैदा कर सकती है।
उन्होंने कहा, ''भले ही हमने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.5 प्रतिशत वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है, लेकिन भारत अभी भी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। फिर भी यह हमारी उम्मीद से काफी कम है। हमने दो बार रेपो दरों में कटौती की है और पर्याप्त नकदी दी है।''
भारतीय वित्तीय बाजारों के बारे में गवर्नर ने कहा कि विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार, सरकारी प्रतिभूतियां और मुद्रा बाजार सहित सभी बाजार खंड काफी हद तक स्थिर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले रुपया थोड़ा दबाव में आया था, लेकिन उसके बाद इसका प्रदर्शन बेहतर रहा और इसने कुछ हद तक खोई हुई जमीन वापस पा ली।
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देश के सबसे बड़े निजी ऋणदाता एचडीएफसी बैंक ने शनिवार को वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में एकल आधार पर 17,616 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हुआ है। इसमें वित्त वर्ष 2023-24 की समान तिमाही के मुकाबले 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
बैंक ने शनिवार को वित्तीय परिणामों की घोषणा की। उसने बताया कि परिचालन लाभ में 9.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है और यह 26,537 करोड़ रुपए रहा, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 29,274 करोड़ रुपए था।
बैंक का सकल नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) अनुपात 31 दिसंबर 2024 के 1.42 प्रतिशत की तुलना में घटकर 31 मार्च 2025 को 1.33 प्रतिशत हो गया। बैंक का शुद्ध एनपीए अनुपात एक साल पहले के 0.33 प्रतिशत से बढ़कर 31 मार्च 2025 को 0.43 प्रतिशत हो गया।
बैंक का सकल एनपीए 31 मार्च 2025 को 35,222.64 करोड़ रुपए रहा, जबकि 31 दिसंबर 2024 को यह 36,018.58 करोड़ रुपए और 31 मार्च 2024 को 31,173.32 करोड़ रुपए था।
एचडीएफसी बैंक की शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) बढ़कर 32,066 करोड़ रुपए हो गई, जो सालाना आधार पर 10.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
एचडीएफसी बैंक के बोर्ड ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 22 रुपए प्रति शेयर का लाभांश घोषित किया है। लाभांश के लिए रिकॉर्ड तिथि 27 जून है।
जनवरी-मार्च 2025 तिमाही के लिए बैंक की औसत जमाराशि 25,280 अरब रुपए थी, जो जनवरी-मार्च 2024 तिमाही के 21,836 अरब रुपए से 15.8 प्रतिशत अधिक है।
इस दौरान, बैंक की औसत सीएएसए जमाराशि 7,844 अरब रुपए से 5.7 प्रतिशत बढ़कर 8,289 अरब रुपए पर पहुंच गई।
बैंक ने बताया कि 31 मार्च 2025 को 4,150 शहरों/कस्बों में उसकी 9,455 शाखाएं और 21,139 एटीएम थे। वहीं, एक साल पहले 31 मार्च 2024 को 4,065 शहरों/कस्बों में उसकी 8,738 शाखाएं और 20,938 एटीएम थे।
वित्तीय परिणामों से पहले गुरुवार को एनएसई पर एचडीएफसी बैंक के शेयर 1.48 प्रतिशत बढ़कर 1,905.8 रुपए पर बंद हुए।
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यस बैंक ने शनिवार को जनवरी-मार्च 2025 तिमाही में मजबूत प्रदर्शन की जानकारी दी, जिसमें बैंक का शुद्ध लाभ सालाना आधार पर 63.7 प्रतिशत बढ़कर 738.12 करोड़ रुपये हो गया।
पिछले साल इसी तिमाही में बैंक ने 451.9 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया था। मुनाफे में वृद्धि उच्च ब्याज आय, कम प्रावधानों और बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता की वजह से दर्ज की गई।
बैंक की कुल आय पिछले साल की समान अवधि के 9,015.8 करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2025 तिमाही में 9,355.4 करोड़ रुपये हो गई।
मार्च 2024 तिमाही में 7,447.2 करोड़ रुपये की तुलना में ब्याज आय बढ़कर मार्च 2025 तिमाही में 7,616.1 करोड़ रुपये हो गई। दूसरी आय में भी वृद्धि देखी गई, जो एक साल पहले के 1,568.6 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,739.3 करोड़ रुपये हो गई।
कंपनी का प्रोविजन से पहले परिचालन लाभ वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में 1,314.4 करोड़ रुपये रहा, जो एक साल पहले की तिमाही में 902.5 करोड़ रुपये था।
येस बैंक ने अपनी परिसंपत्ति गुणवत्ता में भी सुधार दर्ज किया। बैंक के ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) घटकर 3,935.6 करोड़ रुपये हो गई, जबकि ग्रॉस एनपीए अनुपात एक साल पहले के 1.7 प्रतिशत की तुलना में सुधरकर 1.6 प्रतिशत हो गया।
नेट एनपीए घटकर 800 करोड़ रुपये हो गया और शुद्ध एनपीए अनुपात सालाना आधार पर 0.6 प्रतिशत से सुधरकर 0.3 प्रतिशत हो गया।
येस बैंक ने रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा, "31 मार्च को समाप्त तिमाही और वर्ष के दौरान, बैंक ने अप्रूव्ड एम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन स्कीम के तहत कर्मचारियों के स्टॉक विकल्पों के प्रयोग के अनुसार, क्रमशः 2 रुपये प्रति शेयर के 3,257,773 और 26,471,398 इक्विटी शेयर आवंटित किए हैं।"
पूरे वित्त वर्ष 2025 के लिए, येस बैंक का शुद्ध लाभ दोगुना से अधिक बढ़कर 24,058.6 करोड़ रुपये हो गया, जबकि वित्त वर्ष 2024 में यह 12,510.8 करोड़ रुपये था।
17 अप्रैल को, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर येस बैंक के शेयर 1.1 प्रतिशत बढ़कर 18 रुपये पर बंद हुए। हालांकि, स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के दौरान शेयरों में लगभग 12.75 प्रतिशत की गिरावट देखी गई।
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गुजरात के वापी के कारोबारियों ने शुक्रवार को कहा कि टैरिफ वॉर से भारतीय उद्योगों को फायदा होगा और देश के उत्पादों की मांग पूरी दुनिया में बढ़ेगी।
वापी के एक कारोबारी ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के कारण पूरी दुनिया के उद्योगों में हलचल मच गई है। भारत पर भी 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की वजह से भारत पर खास असर नहीं होगा, क्योंकि ट्रंप ने दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत पर कम टैरिफ लगाया है। इससे वापी और आसपास के उद्योगों को परोक्ष लाभ मिल रहा है। इस कारण नए बाजार खुल सकते हैं और चीन तथा दूसरे देशों की तुलना में भारत को इसका फायदा हो सकता है।
वापी और आसपास के औद्योगिक इलाकों में छोटे-बड़े छह हजार से ज्यादा उद्योग कार्यरत हैं, जिनमें मुख्यतः टेक्सटाइल, केमिकल, पिगमेंट, फार्मा उद्योग शामिल हैं। ये उद्योग देश-विदेश में अपना निर्यात करते हैं और कच्चा माल आयात भी करते हैं।
उन्होंने कहा कि अन्य एशियाई देशों पर अधिक टैरिफ लगने के कारण अमेरिका का बाजार अब भारत की ओर डायवर्ट हो सकता है, जिसके कारण आने वाले समय को लेकर उद्योग आशावादी बने हुए हैं।
वापी के एक अन्य व्यवसायी ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल युद्ध के कारण वापी के उद्योगों में निर्यात को लेकर मंदी देखी जा रही थी। लेकिन अब टैरिफ युद्ध के चलते यूरोपीय देशों से अचानक सकारात्मक इन्क्वायरी आ रही है। दुनिया भर के देशों पर ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ का व्यापक असर पूरी दुनिया के उद्योगों पर हो रहा है, लेकिन मोदी सरकार की 'मेक इन इंडिया' जैसी नीतियों के कारण अन्य देशों की तुलना में भारत पर इसका प्रभाव कम होगा। अब पूरी दुनिया की नजर भारत पर है और आने वाले समय में टैरिफ युद्ध से घरेलू इंडस्ट्री को फायदा होगा और मंदी से जूझ रहे वापी के उद्योगों को नया बूस्ट मिलेगा।
एक अन्य उद्योगपति ने कहा कि वापी और आसपास के क्षेत्रों के केमिकल, फार्मा, स्पेशल केमिकल और डाईकेम इंडस्ट्रीज को इसका बड़ा लाभ मिलेगा। चीन, ताइवान, बांग्लादेश जैसे भारत के प्रतिस्पर्धी देशों पर ट्रंप ने भारत से ज्यादा टैरिफ लगाए हैं, जिससे इन देशों पर व्यापक असर पड़ रहा है। भारत पर कम टैरिफ होने की वजह से उन देशों का बाजार अब भारत की ओर मुड़ सकता है जिससे वापी के उद्योगों को आने वाले समय में बड़े अवसर मिल सकते हैं।
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