
लगातार दो सत्रों की बढ़त के बाद सोमवार को घरेलू शेयर बाजार में तेज गिरावट हुई और सेंसेक्स 610 अंक लुढ़क गया जबकि निफ्टी 26,000 के स्तर से नीचे आ गया। ऊंचे स्तर पर मुनाफावसूली और विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रहने से बाजार पर दबाव बढ़ गया।
विश्लेषकों ने कहा कि इस सप्ताह अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतिगत बैठक से पहले निवेशकों ने सतर्क रुख अपनाया हुआ है। इससे बाजार धारणा और कमजोर हुई।
बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स 609.68 अंक यानी 0.71 प्रतिशत गिरकर 85,102.69 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 836.78 अंक टूटकर 84,875.59 पर आ गया था।
एनएसई का 50 शेयरों वाला मानक सूचकांक निफ्टी भी 225.90 अंक यानी 0.86 प्रतिशत गिरकर 25,960.55 अंक पर आ गया। कारोबार के दौरान एक समय यह 294.2 अंक टूटकर 25,892.25 के निचले स्तर पर आ गया था।
सेंसेक्स के समूह में शामिल कंपनियों में से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, इटर्नल, ट्रेंट, टाटा स्टील, बजाज फाइनेंस, अदाणी पोर्ट्स, बजाज फिनसर्व, भारतीय स्टेट बैंक, पावरग्रिड, एशियन पेंट्स, टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स, टाइटन, एनटीपीसी, कोटक महिंद्रा बैंक, लार्सन एंड टूब्रो और भारती एयरटेल में उल्लेखनीय गिरावट हुई।
दूसरी तरफ, टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, रिलायंस इंडस्ट्रीज और एचडीएफसी बैंक के शेयर बढ़त के साथ बंद हुए।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ''बाजार में चौतरफा गिरावट देखने को मिली और निफ्टी 26,000 के स्तर के नीचे आ गया। निवेशक इस सप्ताह की फेडरल रिजर्व की नीतिगत बैठक से पहले सतर्क हो गए।''
नायर ने कहा कि मजबूत घरेलू वृद्धि आंकड़ों और आरबीआई की हालिया ब्याज दर कटौती के बावजूद छोटी अवधि की धारणा दबाव में है। ऐसा वैश्विक मौद्रिक नीति को लेकर चिंताओं, एफआईआई की लगातार बिकवाली और मुद्रा के कमजोर होने के चलते है।
लेमॉन मार्केट्स डेस्क के शोध विश्लेषक गौरव गर्ग ने कहा, ''यह गिरावट स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में मुनाफावसूली और बड़े शेयरों में बिकवाली के कारण आई। बाजार कमजोर था, एफआईआई की बिकवाली जारी रही और निवेशक बुधवार को होने वाली अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीति घोषणा से पहले सावधान बने रहे।''
इसके अलावा रुपये के कमजोर होने, कच्चे तेल में तेजी और 'इंडिया विक्स' में बढ़ोतरी ने भी बाजार की धारणा को प्रभावित किया। इंडिगो एयरलाइन का संचालन करने वाली कंपनी इंटरग्लोब एविएशन के शेयर में तेज गिरावट ने भी बाजार की धारणा पर असर डाला।
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कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और विदेशी पूंजी की लगातार निकासी के बीच रुपया सोमवार को 14 पैसे टूटकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90.09 (अस्थायी) के भाव पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि अमेरिकी मुद्रा के लिए आयातकों की निरंतर मांग, घरेलू बाजारों से विदेशी पूंजी की निकासी और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर अनिश्चितता जैसे कई दबावों के कारण निवेशकों की धारणा कमजोर बनी हुई है।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 90.07 प्रति डॉलर के भाव पर खुला। उसके बाद यह लुढ़कता हुआ अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90.26 के निचले स्तर पर आ गया।
कारोबार के अंत में रुपया 90.09 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ जो पिछले बंद भाव से 14 पैसे कम है। रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 89.95 पर बंद हुआ था।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.01 प्रतिशत की गिरावट के साथ 98.98 पर रहा।
घरेलू शेयर बाजार के मोर्चे पर सेंसेक्स 609.68 अंक की गिरावट के साथ 85,102.69 अंक पर जबकि निफ्टी 225.90 अंक फिसलकर 25,960.55 अंक पर बंद हुआ।
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सोने की कीमतों में सोमवार को मामूली बदलाव देखा गया। वहीं, चांदी की कीमत 1.79 लाख रुपए प्रति किलो के पार पहुंच गई है, जो कि नया ऑल-टाइम हाई है।
इंडिया बुलियन ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के मुताबिक, 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने की कीमत 335 रुपए कम होकर 1,28,257 रुपए हो गई है, जो कि पहले 1,28,592 रुपए प्रति 10 ग्राम थी।
इसी तरह, 22 कैरेट सोने की कीमत कम होकर 1,17,483 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गई है, जो कि पहले 1,17,790 रुपए प्रति 10 ग्राम थी। 18 कैरेट सोने का दाम 96,444 रुपए प्रति 10 ग्राम से कम होकर 96,193 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गया है।
सोने की अपेक्षा चांदी की कीमतों में तेज उछाल देखा गया है। बीते 24 घंटे में चांदी का दाम 878 रुपए बढ़कर ऑल-टाइम हाई 1,79,088 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है, जो कि पहले 1,78,210 रुपए प्रति किलो था।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोने के 05 फरवरी 2026 के कॉन्ट्रैक्ट का दाम 0.03 प्रतिशत कम होकर 1,30,422 रुपए पर पहुंच गया और चांदी के 05 मार्च 2026 के कॉन्ट्रैक्ट का दाम 0.36 प्रतिशत कम होकर 1,82,745 रुपए पहुंच गया है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने और चांदी पर दबाव देखने को मिल रहा है। कॉमेक्स पर सोना की कीमत 0.05 प्रतिशत कम होकर 4,241 डॉलर प्रति औंस और चांदी की कीमत 0.37 प्रतिशत कम होकर 58.83 डॉलर प्रति औंस है।
एलकेपी सिक्योरिटीज के जतिन त्रिवेदी ने कहा कि सोना ने 1,30,450 रुपए प्रति 10 ग्राम के आसपास एक छोटी रेंज में कारोबार किया। कॉमेक्स पर सोना 4,209 डॉलर प्रति औंस के करीब है। आने वाले समय में सोने की चाल अमेरिकी फेड की ओर से ब्याज दरों पर लिए गए निर्णय से प्रभावित होगी। घरेलू मोर्चे पर भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर अनिश्चितता होने के कारण सोने की कीमतों को सपोर्ट मिलेगा।
उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में सोना 1,28,500 रुपए से लेकर 1,32,000 रुपए की रेंज में रह सकता है।
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रूस ने सोमवार को कहा कि भारत एक संप्रभु राष्ट्र है और वह उन स्रोतों से तेल खरीदने के लिए आजाद है, जिन्हें वह लाभकारी मानता है।
इसके साथ ही रूस सरकार ने पूरा भरोसा जताया कि भारत अपने आर्थिक हित सुनिश्चित करने की नीति पर कायम रहेगा।
अमेरिका ने रूस से तेल एवं पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद जारी रखने के लिए भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया है। अगस्त के अंत में भारतीय वस्तुओं और सेवाओं के आयात पर कुल अमेरिकी शुल्क बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया।
रूसी शासन मुख्यालय क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा, ''भारत, एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में विदेशी व्यापार करता है और ऊर्जा संसाधन वहीं से खरीदेगा है, जहां से उसे लाभ मिलेगा।''
वह पिछले शुक्रवार को नयी दिल्ली में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच हुई शिखर वार्ता के संदर्भ में संवाददाताओं से बात कर रहे थे।
ऐसी रिपोर्ट हैं कि भारत पश्चिमी दबाव के चलते अपने तेल आयात में रूसी कच्चे तेल की हिस्सेदारी धीरे-धीरे घटा रहा है।
क्रेमलिन के आर्थिक सहयोगी मक्सिम ओरेश्किन ने कहा, ''प्रतिबंधों को दरकिनार करने का रूस के पास लंबा अनुभव है। यदि भारत तैयार है, तो हम कच्चे तेल की आपूर्ति जारी रखने का रास्ता खोज लेंगे।''
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देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो की उड़ानों में व्यापक स्तर पर हुई अव्यवस्था राजस्व हानि के साथ ही उड़ानों के रद्द होने पर संभावित जुर्मानों की वजह से वित्तीय नुकसान का कारण बन सकती है। मूडीज रेटिंग्स ने सोमवार को यह बात कही।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि एयरलाइन एक साल से अधिक पहले विमानन उद्योग के लिए निर्धारित नियमों के लिए सही योजना नहीं बना पाई, जिसके चलते उसे इस विफलता का सामना करना पड़ा।
मूडीज ने एक टिप्पणी में कहा कि ये अव्यवस्थाएं एयरलाइन की साख के लिए भी नकारात्मक हैं। इसमें कहा गया, ''अस्थायी राहत के बावजूद नए विमानन नियमों के लिए प्रभावी योजना न बना पाना एयरलाइन की साख के लिए नकारात्मक है।''
यह अव्यवस्था बेहद व्यस्त शीतकालीन उड़ान सत्र की वजह से और बिगड़ गई। इस बार उड़ानें रद्द होने का सिलसिला दो दिसंबर से शुरू हुआ और एयरलाइन ने पांच दिसंबर को 1,600 से अधिक उड़ानों को रद्द किया। एयरलाइन अभी तक सामान्य स्थिति बहाल नहीं कर पाई है। सोमवार को भी 500 से अधिक उड़ानें रद्द हुईं।
मूडीज ने कहा, ''ये व्यवधान साख के लिए नकारात्मक हैं, क्योंकि इंडिगो को राजस्व हानि, उड़ान रद्दीकरण, रिफंड और प्रभावित यात्रियों को अन्य क्षतिपूर्ति के साथ ही डीजीसीए द्वारा लगाए जा सकने वाले जुर्मानों के कारण महत्वपूर्ण वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।''
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