टमाटर के महंगा होने से जून में घर का बना खाना या थाली की कीमत पिछले महीने की तुलना में बढ़ गई है। मंगलवार को एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, शाकाहारी थाली की कीमत मई में 26.2 रुपये की तुलना में जून में तीन प्रतिशत बढ़कर 27.1 रुपये हो गई, जबकि मांसाहारी थाली की कीमत मई में 52.6 रुपये की तुलना में जून में चार प्रतिशत बढ़कर 54.8 रुपये प्रति थाली हो गई।
घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक इकाई की मासिक ‘रोटी, चावल, दर’ रिपोर्ट में बताया गया है कि आवक में आठ प्रतिशत की गिरावट के कारण इस महीने टमाटर की कीमत में 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे थाली की कीमत बढ़ गई।
इसके अलावा, उपभोक्ताओं को आलू की कीमत में चार प्रतिशत की वृद्धि का सामना करना पड़ा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मांसाहारी थाली के मामले में ब्रॉयलर की कीमतों में पांच प्रतिशत की वृद्धि से भी नुकसान हुआ है।
क्रिसिल इंटेलिजेंस के निदेशक पुशन शर्मा ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मौसमी बदलावों के कारण सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण थाली की लागत क्रमिक रूप से बढ़ेगी।
प्याज के मामले में, ताजा आवक के अभाव और रबी स्टॉक को नियंत्रित ढंग से बाजार में जारी किये जाने के कारण कीमतों में मामूली वृद्धि की उम्मीद है, जबकि टमाटर की गर्मियों में कमजोर बुवाई के कारण कीमतों में बढ़ोतरी होगी।
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि सालाना आधार पर तुलना करने पर शाकाहारी भोजन की कीमतों में आठ प्रतिशत की गिरावट आई है। मांसाहारी भोजन में सालाना आधार पर छह प्रतिशत की गिरावट आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह काफी हद तक जून, 2024 के उच्च आधार स्तर के कारण है।
Published: undefined
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत के साथ व्यापार समझौता करीब है। राष्ट्रपति ने कहा कि उनके प्रशासन ने कई देशों को आयातित उत्पादों पर लगाए जाने वाले शुल्कों का विवरण देते हुए पत्र भेजना शुरू कर दिया है।
ट्रंप ने सोमवार को कहा, ‘‘हमने ब्रिटेन के साथ एक समझौता किया है, हमने चीन के साथ एक समझौता किया है... हम भारत के साथ एक समझौता करने के करीब हैं।’’
इसके साथ ही ट्रंप ने कहा, ‘‘हमने अन्य लोगों से भी मुलाकात की थी और हमें नहीं लगता कि हम समझौता कर पाएंगे, लिहाजा हमने उन्हें एक पत्र भेजा है। यदि आप अपना सामान (अमेरिका) भेजना चाहते हैं, तो आपको इसका (शुल्क का) भुगतान करना होगा।’’
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिकी प्रशासन ने दो जुलाई से लगाए गए उच्च शुल्क के निलंबन को नौ जुलाई से बढ़ाकर एक अगस्त कर दिया है। इससे भारत को अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए तीन सप्ताह का अतिरिक्त समय मिल गया है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले सप्ताह कहा था कि भारत कोई भी व्यापार समझौता समयसीमा के आधार पर नहीं करता है और समझौते को तभी स्वीकार करेगा जब यह पूरी तरह से अंतिम रूप ले लेगा, उचित रूप से संपन्न हो जाएगा और राष्ट्रीय हित में होगा।
कृषि और डेयरी क्षेत्र भारत के लिए अमेरिका को शुल्क रियायतें देने के लिए कठिन और चुनौतीपूर्ण क्षेत्र हैं। भारत ने अब तक हस्ताक्षरित अपने किसी भी मुक्त व्यापार समझौते में डेयरी क्षेत्र के दरवाजे नहीं खोले हैं।
इस बीच, ट्रंप प्रशासन ने सोमवार को विभिन्न देशों को ‘पत्र’ भेजे जिसमें उन देशों के उत्पादों पर अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले शुल्कों का ब्योरा है।
ट्रंप ने कहा, ‘‘हम विभिन्न देशों को पत्र भेजकर बता रहे हैं कि उन्हें कितना शुल्क देना होगा।’’
बांग्लादेश, बोस्निया एवं हर्जेगोविना, कंबोडिया, इंडोनेशिया, जापान, कजाकिस्तान, लाओ पीपल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक, मलेशिया, सर्बिया, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, थाइलैंड और ट्यूनीशिया को ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित पत्र भेजे गए हैं।
ट्रंप ने कहा, ‘‘ये देश अमेरिका को ‘लूट’ रहे हैं और हम पर ऐसे शुल्क लगा रहे हैं जो पहले कभी किसी ने नहीं लगाए। कुछ ऐसे देश भी हैं जो 200 प्रतिशत शुल्क लगा रहे हैं और व्यापार को असंभव बना रहे हैं।’’
ट्रंप ने आधिकारिक आवास एवं कार्यालय ‘व्हाइट हाउस’ में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ रात्रिभोज से पहले पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा, ‘‘शुल्क लगाए जाने के बाद लोग और कंपनियां अमेरिका की तरफ आ रही हैं।’’
इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक बार फिर दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच मई में छिड़े संघर्ष को यह कहकर रुकवाया था कि यदि वे इसे जारी रखेंगे तो अमेरिका उनके साथ व्यापार नहीं करेगा।
ट्रंप ने कहा, ‘‘हमने बहुत से संघर्ष रोके हैं। मुझे लगता है कि इनमें से सबसे बड़ा संघर्ष भारत और पाकिस्तान के बीच था। हमने व्यापार के नाम पर इसे रोक दिया। हमने उनसे कहा कि अगर आप संघर्ष करते रहेंगे तो हम आपके साथ कोई समझौता नहीं करेंगे। वे दोनों परमाणु शक्ति संपन्न हैं। और मुझे लगता है कि इसे रोकना बहुत महत्वपूर्ण था।’’
हालांकि, भारत का कहना है कि उसके जोरदार जवाबी हमले के कारण पाकिस्तान को संघर्ष विराम की गुहार लगाने पर मजबूर होना पड़ा।
रात्रिभोज के दौरान नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति को वह पत्र सौंपा जो उन्होंने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ट्रंप को नामांकित करने के लिए नोबेल पुरस्कार समिति को भेजा है।
Published: undefined
वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और डॉलर के कमजोर होने के कारण विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 26 पैसे बढ़कर 85.68 (अस्थायी) पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, विदेशी कोषों का निवेश बढ़ने और मजबूत घरेलू शेयर बाजार ने रुपये को और मजबूत किया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.75 पर खुला और 85.64-85.80 के सीमित दायरे में कारोबार करने के बाद 85.68 (अस्थायी) पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से 26 पैसे की बढ़त है।
सोमवार को रुपया 54 पैसे की भारी गिरावट के साथ 85.94 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘‘आज (मंगलवार) अमेरिका-भारत (समझौता) संपन्न होने की संभावना के साथ रुपया सीमित दायरे में रहा, और इसमें तेजी का रुख दिखा। एक निर्णायक लघु व्यापार समझौते से रुपया एक बार फिर 85.30/40 के स्तर पर पहुंच सकता है।’’
उन्होंने कहा कि आज रात कुछ सकारात्मक घटनाक्रमों की उम्मीद के साथ बुधवार को स्थानीय मुद्रा के 85.30-86.00 के दायरे में रहने की उम्मीद है।
वैश्विक तेल मानक, ब्रेंट क्रूड का दाम वायदा कारोबार में 0.55 प्रतिशत घटकर 69.20 डॉलर प्रति बैरल रह गया।
छह वैश्विक प्रतिस्पर्धी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.18 प्रतिशत घटकर 97.30 रह गया।
इस बीच, घरेलू शेयर बाजार का 30 शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 270.01 अंक बढ़कर 83,712.51 अंक पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 61.20 अंक के लाभ के साथ 25,522.50 अंक रहा।
एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल रहे। उन्होंने सोमवार को शुद्ध आधार पर 321.16 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
Published: undefined
स्थानीय शेयर बाजार में मंगलवार को तेजी रही और बीएसई सेंसेक्स 270 अंक के लाभ में रहा। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 25,500 अंक के ऊपर बंद हुआ।
एशिया के अन्य बाजारों में मजबूत रुख के साथ बैंक तथा चुनिंदा आईटी शेयरों में लिवाली से बाजार में मजबूती आई।
तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 270.01 अंक यानी 0.32 प्रतिशत की तेजी के साथ 83,712.51 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स के तीस शेयरों में 18 लाभ में जबकि 12 नुकसान में रहे।
पचास शेयरों पर आधारित एनएसई निफ्टी 61.20 अंक यानी 0.24 प्रतिशत की बढ़त के साथ 25,522.50 अंक पर बंद हुआ।
विशेषज्ञों के अनुसार, शेयर बाजार लगभग पूरे कारोबार के दौरान सीमित दायरे में रहा। कारोबार समाप्त होने से पहले कुछ शेयरों में लिवाली हुई। निवेशकों को भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में ठोस प्रगति का इंतजार है। इस बीच, अमेरिका ने जवाबी शुल्क लगाने की समयसीमा बढ़ाकर एक अगस्त कर दी है।
सेंसेक्स की कंपनियों में कोटक महिंद्रा बैंक, इटर्नल (पूर्व में जोमैटो), एशियन पेंट्स, एनटीपीसी, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि., अदाणी पोर्ट्स, इन्फोसिस और भारतीय स्टेट बैंक प्रमुख रूप से लाभ में रहीं।
हालांकि, टाइटन में छह प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई। इसके अलावा ट्रेंट, एक्सिस बैंक, मारुति और हिंदुस्तान यूनिलीवर के शेयर नुकसान में रहे।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका, भारत के साथ व्यापार समझौता करने के करीब है।
ट्रंप ने सोमवार को कहा, ‘‘अब, हमने ब्रिटेन के साथ समझौता कर लिया है, हमने चीन के साथ समझौता कर लिया है... हम भारत के साथ समझौता करने के करीब हैं...।’’
जियोजीत इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘भारतीय शेयर बाजार काफी हद तक सीमित दायरे में रहा। इसका कारण निवेशक भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर ठोस प्रगति की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हालांकि, संभावित समझौते को लेकर धारणा सतर्क रुख के साथ सकारात्मक बनी हुई है, लेकिन औपचारिक पुष्टि की कमी से ताजा खरीद गतिविधियां सीमित रहीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, प्रमुख व्यापार भागीदारों पर 25 प्रतिशत शुल्क लागू करने की समयसीमा बढ़ाने के अमेरिकी फैसले ने निवेशकों को अधिक रक्षात्मक रुख अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है।’’
छोटी कंपनियों से संबंधित बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 0.17 प्रतिशत नीचे आया, जबकि मझोली कंपनियों से संबंधित मिडकैप 0.01 प्रतिशत की मामूली बढ़त के साथ लगभग स्थिर रहा।
एशियाई बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग बढ़त में बंद हुए।
यूरोप के प्रमुख बाजारों में दोपहर के कारोबार में मिला-जुला रुख रहा। अमेरिकी बाजार सोमवार को नुकसान में रहे थे।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.59 प्रतिशत टूटकर 69.17 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सोमवार को 321.16 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने भी 1,853.39 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
सोमवार को सेंसेक्स में 9.61 की मामूली तेजी आई थी और निफ्टी स्थिर बंद हुआ था।
Published: undefined
स्टॉकिस्टों की ताजा लिवाली के कारण मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 550 रुपये बढ़कर 99,120 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी है।
सोमवार को 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 98,570 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी।
सर्राफा संघ ने बताया कि 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 500 रुपये बढ़कर 98,600 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) हो गया।
इसके अलावा, चांदी की कीमतें मंगलवार को लगातार तीसरे सत्र में भी 1,04,800 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) पर अपरिवर्तित रहीं।
इस बीच, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हाजिर सोना 11.42 डॉलर या 0.34 प्रतिशत की गिरावट के साथ 3,325.09 डॉलर प्रति औंस रह गया।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक - कमोडिटीज, सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘व्यापार युद्ध के फिर से शुरू होने की आशंका बढ़ने के कारण सोने ने कल के नुकसान को उलट दिया और मंगलवार को बढ़त दर्ज की गई। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा जापान और दक्षिण कोरिया से आयातित वस्तुओं पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की योजना की घोषणा के बाद बाजार की धारणा बदली है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह निर्णय राष्ट्रपति ट्रंप की अमेरिकी व्यापार नीतियों में सुधार की व्यापक पहल को दर्शाता है, जिसने बाजारों में लगातार अनिश्चितता पैदा की है। ऐसे में सुरक्षित-निवेश वाली परिसंपत्ति सोने के लिए माहौल अनुकूल हो जाता है।’’
अबन्स फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी चिंतन मेहता ने कहा कि निवेशक अमेरिकी व्यापार वार्ता, फेडरल रिजर्व की टिप्पणी और ताजा मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर बारीकी से नजर रखेंगे, जिससे सोने की आगे की चाल तय होगी।
एंजेल वन के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक (जिंस और मुद्राएं) तेजस शिग्रेकर के अनुसार, सोना एक महत्वपूर्ण हेज वाली परिसंपत्ति बना हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘जून से डॉलर कमजोर हुआ है, जिससे ग्राहकों के लिए सोने की मांग बढ़ गई है। खासकर चीन और भारत जैसे विकासशील देशों सहित विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक की खरीद के कारण भी दीर्घकालिक मांग बनी हुई है।’’
उन्होंने कहा कि एक अस्थायी विराम के बाद, ईटीएफ प्रवाह फिर से शुरू हो गया है, और आभूषण बाजारों में मजबूत हाजिर मांग जारी है।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined