वैश्विक बाजारों के मिले-जुले रुख के बीच घरेलू स्तर पर प्रमुख कंपनियों में बिकवाली होने से बाजार में तीन दिनों से जारी तेजी पर शुक्रवार को विराम लगा। बीएसई सेंसेक्स 423 अंक के नुकसान में रहा जबकि निफ्टी में 108 अंक की गिरावट रही। विश्लेषकों ने कहा कि विदेशी कोषों की निकासी का सिलसिला जारी रहने और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी ने भी निवेशकों की धारणा को कमजोर किया।
काफी हद तक सुस्त सत्र में बीएसई का 30 शेयरों वाला सूचकांक सेंसेक्स 423.49 अंक यानी 0.55 प्रतिशत गिरकर 76,619.33 पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 779.53 अंक तक गिरकर 76,263.29 पर आ गया था। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का सूचकांक निफ्टी भी 108.60 अंक यानी 0.47 प्रतिशत गिरकर 23,203.20 पर आ गया।
सेंसेक्स के समूह में शामिल कंपनियों में से इन्फोसिस में करीब छह प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई। देश की दूसरी बड़ी आईटी सेवा कंपनी इन्फोसिस लिमिटेड के नतीजे निवेशकों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। हालांकि कंपनी ने मांग बढ़ने से तीसरी तिमाही के शुद्ध लाभ में 11.46 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। इसी तरह एक्सिस बैंक के शेयर भी तिमाही नतीजों की घोषणा के बाद चार प्रतिशत तक गिर गए। इसके अलावा कोटक महिंद्रा बैंक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, महिंद्रा एंड महिंद्रा, आईसीआईसीआई बैंक, टेक महिंद्रा, बजाज फाइनेंस, एचडीएफसी बैंक और बजाज फिनसर्व के शेयरों में भी गिरावट का रुख रहा।
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देश का विदेशी मुद्रा भंडार 10 जनवरी को समाप्त सप्ताह में 8.71 अरब डॉलर घटकर 625.87 अरब डॉलर रहा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कहा कि इससे पिछले सप्ताह में यह 5.69 अरब डॉलर घटकर 634.58 अरब अमेरिकी डॉलर रहा था। विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले कुछ हफ्तों से गिरावट आ रही है। इस गिरावट का कारण रुपये में उतार-चढ़ाव को कम करने के लिए आरबीआई का विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप के साथ-साथ मूल्यांकन को माना जा रहा है। सितंबर के अंत में विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 704.88 अरब अमेरिकी डॉलर के अबतक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था।
आरबीआई की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 10 जनवरी को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुख हिस्सा विदेशी मुद्रा आस्तियां 9.47 अरब डॉलर घटकर 536.01 अरब डॉलर रह गईं। डॉलर के संदर्भ में उल्लेखित विदेशी मुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की घट-बढ़ का प्रभाव शामिल होता है। समीक्षाधीन सप्ताह में स्वर्ण भंडार का मूल्य 79.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 67.88 अरब डॉलर हो गया। विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 3.3 करोड़ डॉलर घटकर 17.78 अरब डॉलर रहा।रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास भारत का आरक्षित भंडार 40 लाख डॉलर घटकर 4.19 अरब डॉलर रह गया।
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अगले दो वित्त वर्षों (2025-27) में कुल 1,000 कंपनियां अपना आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) ला सकती हैं। एसोसिएशन ऑफ इन्वेस्टमेंट बैंकर्स ऑफ इंडिया (एआईबीआई) ने शुक्रवार को यह कहा। आरंभिक सार्वजनिक निर्गम की यह उल्लेखनीय संख्या आर्थिक वृद्धि, अनुकूल बाजार स्थितियों और नियामक ढांचे में सुधार से प्रेरित होगी। निवेश बैंकरों के शीर्ष निकाय ने कहा कि इसके अलावा, अगले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2025-26) में आईपीओ और योग्य संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) के माध्यम से धन जुटाने की कुल राशि तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है।
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय पूंजी बाजार बहुत तेजी से बढ़ रहा है। पिछले छह वित्त वर्षों में अब तक 851 कंपनियों ने आईपीओ लाकर सामूहिक रूप से 4.58 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं। इनमें 281 बड़ी कंपनियां जबकि छोटी एवं मझोली कंपनियों (एसएमई) की संख्या 570 रही।वित्त वर्ष 2023-24 में आईपीओ के जरिए कुल 67,955 करोड़ रुपये जुटाए गए। इसमें बड़ी कंपनियों ने 61,860 करोड़ रुपये और एसएमई ने 6,095 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इसके अलावा, 61 क्यूआईपी (पात्र संस्थागत नियोजन) के जरिए करीब 68,972 करोड़ रुपये जुटाए गए।
एआईबीआई के चेयरमैन महावीर लूणावत ने कहा, “भारत ने 2024 में आईपीओ मात्रा के मामले में वैश्विक स्तर पर शीर्ष स्थान हासिल करके एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है। 335 आईपीओ के साथ भारत ने सफलतापूर्वक अमेरिका और यूरोप दोनों को पीछे छोड़ दिया, जिसमें अमेरिका और यूरोप की तुलना में सूचीबद्ध आईपीओ की संख्या अधिक है।” उन्होंने कहा, “पिछले दो वित्त वर्षों से आईपीओ के माध्यम से पूंजी जुटाने की गतिविधियां बढ़ रही हैं और 2026 में भी इसमें वृद्धि जारी रहेगी। अगले वित्त वर्ष यानी वित्त वर्ष 2025-26 में आईपीओ और क्यूआईपी के माध्यम से कुल तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक की पूंजी जुटाने की उम्मीद है।”
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आठवां वेतन आयोग लागू होने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में 25 से 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। इसी अनुपात में रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन में भी इजाफा हो सकता है। यह जानकारी एक्सपर्ट्स द्वारा शुक्रवार को दी गई। सरकार हर 10 साल के अंतराल कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी के लिए नया वेतन आयोग लाती है। इस कारण आठवां वेतन आयोग एक जनवरी,2026 से लागू हो सकता है, क्योंकि सातवां वेतन आयोग एक जनवरी, 2016 से लागू हुआ था। अधिकारियों के अनुसार, इस कदम से रक्षा कर्मियों सहित लगभग 50 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारियों और 65 लाख से अधिक पेंशनभोगियों को लाभ होगा। सातवें वेतन आयोग ने 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लागू किया था, जिससे औसत सैलरी में 23.55 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी।
इससे पहले छठे वेतन आयोग ने 1.86 का फिटमेंट फैक्टर लागू किया था। टीमलीज डिजिटल की सीईओ नीति शर्मा ने कहा, "आठवें वेतन आयोग में 2.6 से लेकर 2.85 के बीच फिटमेंट फैक्टर की संभावना है, जिससे सैलरी में 25-30 प्रतिशत और पेंशन में आनुपातिक वृद्धि हो सकती है।" न्यूनतम वेतन, भत्ते, अलाउंस और परफॉर्मेंस पे सहित 40,000 रुपये से अधिक होने की उम्मीद है। शर्मा ने कहा कि महंगाई, बढ़ता खर्च और पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर के पारिश्रमिक के बीच बढ़ते अंतर का मुकाबला करने के लिए इस तरह के संशोधन महत्वपूर्ण हैं। वित्तीय लाभों के अलावा, संशोधित सैलरी डिस्पोजेबल आय में भी वृद्धि करेंगे और इससे खपत बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। 1947 से अब तक सात वेतन आयोग गठित हो चुके हैं। सातवां वेतन आयोग 2016 में लागू हुआ था। यह 2026 को समाप्त होगा। सरकार के कहा, 2025 में 8वें वेतन आयोग के गठन का निर्णय लेने से हमारे पास 7वें वेतन आयोग की अवधि पूरी होने से पहले सिफारिशें प्राप्त करने के लिए पर्याप्त समय होगा।
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मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड (एमएसआईएल) ने शुक्रवार को ‘भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2025’ में अपनी पहली बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (बीईवी) एसयूवी, 'ई विटारा' को इलेक्ट्रिक इको-सॉल्यूशन के साथ पेश किया। कंपनी ने एक बयान में कहा कि 'एचईएआरटीईसीटी-ई' नाम के एक बिल्कुल नए इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) प्लेटफॉर्म पर निर्मित यह इलेक्ट्रिक वाहन दो बैटरी विकल्पों 49 किलोवाट और 61 किलोवाट में पेश किया गया है और एक बार चार्ज करने पर 500 किमी से अधिक की दूरी तय करता है। देश को ईवी विनिर्माण के एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के अपने समर्पण की पुष्टि करते हुए कंपनी ने कहा कि ई-विटारा का जापान और यूरोप जैसे प्रमुख बाजारों सहित 100 से अधिक देशों में निर्यात किया जाएगा। चार ड्यूल टोन विकल्पों के साथ 10 रंगों में उपलब्ध इलेक्ट्रिक एसयूवी की कीमत का खुलासा बाद में किया जाएगा।
सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के प्रतिनिधि निदेशक और अध्यक्ष तोशीहिरो सुजुकी ने कहा, "लीडिंग ऑटोमेकर का लक्ष्य तीन-आयामी रणनीति के माध्यम से ग्राहकों के लिए बीईवी को आकर्षक बनाना है। पहला है ऑप्टिमम परफॉर्मेंस के लिए बीईवी-डेडिकेटेड प्लेटफॉर्म विकसित करना। दूसरा है ग्राहकों की आवश्यकताओं के आधार पर टारगेटेड मार्केट के लिए सही उत्पाद विकसित करना। तीसरा है हमारी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं का लाभ उठाना और दुनिया के लिए एक ही स्थान पर विनिर्माण को केंद्रित करना।" उन्होंने कहा, "इस उद्देश्य के लिए हमने अपने क्वालिटी प्रोडक्ट और पैमाने की योग्यता के कारण भारत को वैश्विक विनिर्माण आधार के रूप में चुना है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मेक इन इंडिया का विजन है। इलेक्ट्रिक एसयूवी एक इंटीग्रेटेड डिस्प्ले सिस्टम के साथ पेश किया गया है, साथ ही ट्विन-डेक फ्लोटिंग कंसोल और 10-तरफा पावर-एडजस्टेबल ड्राइवर सीट, स्लाइडिंग और रिक्लाइनिंग रियर सीटें और सुरक्षा के लिए एक एडवांस टेक्नोलॉजी है।
मारुति सुजुकी के प्रबंध निदेशक और सीईओ हिसाशी टेकाउची के अनुसार, गाड़ी में सात एयरबैग (ड्राइवर साइड के एयरबैग सहित) मानक के रूप में हैं और लेवल 2 एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम के साथ-साथ 60 विशेषताएं हैं। ई विटारा हाइली-एफिशिएंट बैटरी पैक विकल्पों के साथ आता है, जो एक बार चार्ज करने पर 61 किलोवाट में 500 किमी से अधिक की दूरी तय करती है। उन्होंने बताया, "हमने ई विटारा को लेवल 2 एडीएएस, इंटीग्रेटेड डिजिटल डिस्प्ले और नेक्स्ट-जेन सुजुकी कनेक्ट जैसे कई प्रीमियम और एडवांस फीचर से लैस किया है।" ऑटोमेकर 1,500 ईवी-सक्षम सर्विस वर्कशॉप तैयार कर रहा है, जो एक हजार से अधिक शहरों में फैला होगा।
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