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आईसीआईसीआई-वीडियोकॉन मनी लॉड्रिंग केस, चंदा कोचर परिवार का कारोबार और हेरा फेरी की कहानी 

कोचर परिवार के भ्रष्टाचार की तह में जाने पर चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। परिवार के कारोबार की ऐसी जटिलता कभी सामने नहीं आई और इसकी तह का पहले कभी पता नहीं चल सका।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

कोचर परिवार के भ्रष्टाचार की तह में जाने पर चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। परिवार के कारोबार की ऐसी जटिलता कभी सामने नहीं आई और इसकी तह का पहले कभी पता नहीं चल सका। दस्तावेजी अन्वेषण में हमेशा एक कड़ी लुप्त रहती है, जो आपको गंतव्य तक ले जाती है। इस मामले में भी कुछ ऐसा ही है जब बिंदुओं को जोड़कर मामले की तह तक जाने में मदद मिली है।

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कोचर बंधु मामले में जो कड़ी गायब है वह हैं शरद म्हात्रे। पविार के कारोबार के दस्तोवजी अन्वेषण में आईएएनएस ने अब पाया कि दो निवेशक कंपनियों, एलिगेंट इन्वेस्ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड और डेजी फिन्वेस्ट का उपयोग कोचर बंधुओं ने अपने व्यापारिक हितों के लिए किया। सुश्री सविता नाईक और सिद्धार्थ जाधव ने 20 रुपये से 29 जनवरी, 1997 को एलिगेंट को शुरू किया।

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वर्ष 1997 में ही इसका अधिग्रहण 6 बी प्रेम कुटीर, 177 बैकबे रीक्लेमेशन, मरीन ड्राइव, मुंबई-20 निवासी आनंद मोहन दलवाणी ने किया। उसी साल क्रेडेंशियल फाइनेंस लिमिटेड (सीएफएल) के प्रमुख कर्जदाताओं में शामिल बैंक इंडो स्वेज (बाद में इसका नाम कलयोन बैंक पड़ा) ने बंबई उच्च न्यायालय के समक्ष कंपनी की याचिका संख्या 265/1997 दाखिल किया, जिसमें कर्ज का भुगतान करने में विफल होने पर सीएफएल का ऋण परिशोधन व ऋणशोधनकर्ता की नियुक्ति की मांग की गई।

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इस मामले के लंबित होने के दौरान ही एलिगेंट ने 31 दिसंबर, 1997 को एचडीएफसी बैंक के साथ एक डीड ऑफ एसाइनमेंट किया, जिसके तहत 2.75 करोड़ रुपए का भुगतान करके गिरवी परिसंपत्ति के अधिकार का अधिग्रहण किया। यह रहस्य की बात है कि महज 20 रुपए से शामिल की गई कंपनी ने 2.75 करोड़ रुपए की प्रसंविदा कैसे तैयार की। इस संबंध में रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) के पास कोई विवरण उपलब्ध नहीं है।

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अदालत द्वारा सात मार्च, 2003 को और नियुक्त अस्थाई ऋणशोधनकर्ता और 18 मार्च, 2008 को नियुक्त आधिकारिक ऋणशोधनकर्ता ने भी मेकर चैंबर्स स्थित सीएफएल के दफ्तर को अपने कब्जे में लिया और वी. एलिगेंट ने फिर कंपनी की याचिका संख्या 265/1997 में एक आवेदन संख्या 837/2008 दाखिल किया, जिसमें आधिकारिक ऋणशोधनकर्ता से उक्त कार्यालय परिसर की बंदी हटाने की मांग की गई। सीएफएल तीन किस्तों में बैंक को 40 लाख रुपए का भुगतान करने के लिए राजी हुई और दो मार्च, 2009 को 15 लाख रुपए का भुगतान किया गया। अदालत ने एलिगेंट को 24 जुलाई, 2009 को प्रमाणिक क्रेता मानते हुए आधिकारिक ऋणशोधनकर्ता को उस कार्यालय को मुक्त करने का आदेश दिया।

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एलिगेंट कोचर बंधु का दूसरा मोर्चा है, जहां शेयर बदल गए और अब उसका स्वामित्व क्वालिटरी एडवाइजर्स (ट्रस्ट) के पास है। आनंद दलवानी के 10 रुपए प्रति शेयर मूल्य के 9,999 इक्विटी शेयर और शरद म्हात्रे के एक शेयर की जगह चार अक्टूबर, 2016 को क्वालिटी एडवाइजर्स ने ले लिया। पहले दलवानी के 9,999 शेयरों का अधिग्रहण 31 मार्च, 2017 को किया गया और बाद में म्हात्रे से बाकी एक शेयर लिया गया।

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कालक्रम में इस कंपनी की भुगतान पूंजी एक लाख रुपए बच गई, लेकिन वित्त वर्ष 2003 और 2011 के दौरान कंपनी ने शेयर आवेदन में 2.60 करोड़ रुपए का धन और शून्य कर्ज दिखाया।2011 में जब नए कानून आए तो एलिगेंट ने वित्त वर्ष 2012 से असुरक्षित कर्ज दिखाना शुरू किया और कंपनी ने वित्त वर्ष 2012 में 8.91 करोड़ रुपए और 2017 में 5.65 करोड़ रुपए दिखाया।

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यह सब तब होता है जब म्हात्रे कोचर कंपनियों- सुप्रीम इजर्नी, न्यूपॉवर विंड फार्म्स, क्रेडेंशियल सिक्युरिटीज, क्रेडेंशियल कैपिटल सर्विसेज, डेजी फिनवेस्ट आदि के निदेशक मंडल में होते हैं।शरद म्हात्रे 21 अगस्त, 2006 से डेजी फिनवेस्ट के बोर्ड में थे। डेजी कंपनी को खासतौर से 20 दिसंबर, 1996 को संतोष जबारे और चंद्र प्रकाश सोनी ने 20 रुपए की भुगतान पूंजी से बनाई थी।

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जयपाल एस. भाटिया ने 2004 में कंपनी खरीद ली और अधिकृत पूंजी और भुगतान पूंजी बढ़कर एक लाख रुपए हो गई। डेजी को 2006 में पैसिफिक कैपिटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में नए क्रेता मिल गए, जिसका 91 फीसदी स्वामित्व नीलम महेश आडवाणी के पास था। वह चंदा कोचर के भाई महेश आडवाणी की पत्नी हैं।

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मार्च 2004 सेलकर मार्च 2010 तक कंपनी ने 4.99 करोड़ रुपए का फंड दिखाया, जिसमें एक लाख रुपए भुगतान इक्विटी, 4.25 करोड़ रुपए शेयर आवेदन का धन और 73.43 लाख रुपए असुरिक्षत कर्ज शामिल हैं। रहस्य की बात है कि 2011 के बाद शेयर आवेदन धन गायब हो जाता है और उसके बदले असुरक्षित कर्ज की राशि बढ़ जाती है। इसका आंकड़ा 6.36 करोड़ रुपए से लेकर 10.62 करोड़ रुपए के बीच है।

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इसके बाद 31 अगस्त, 2017 को बोर्ड की बैठक में कंपनी को क्रेडेंशियल सिक्युरिटीज के साथ सम्मिलित करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई। कोचर बंधु का आखिरी रास्ता यहीं समाप्त होता है। दीपक और राजीव कोचर द्वारा 15 अप्रैल, 1994 को क्रेडेंशियल सिक्युरिटीज को 200 रुपए के निवेश के साथ शामिल किया गया। जनवरी 2015 में कंपनी की अधिकृत पूंजी 25 लाख रुपए से लेकर करीब 1.01 करोड़ रुपए हो गई। इसके बाद 12 जनवरी, 2015 को कंपनी ने 10 रुपए प्रति शेयर मूल्य के 10 लाख इक्विटी शेयर दुबई के एनआरआई जयप्रकाश कर्ना को जारी किए।

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इसके बाद ये शेयर उनकी पत्नी वरुणा कर्ना को हस्तांतरित कर दिए गए, जो चंदा कोचर की बहन हैं। कंपनी को 31 मार्च, 2017 को कुल 57.99 लाख रुपए का घाटा हुआ, जोकि वरुणा के निवेश करने के समय 31 मार्च, 2015 को दर्शाए गए घाटे 57.37 लाख रुपए से अधिक है। संयोग से जयप्रकाश कर्ना ने भी दो कंपनियां बनाईं। ये दोनों कंपनियों-एमसोल इनोवेशन और एमजे इंटरप्राइजेज- का मुख्यालय चेन्नई था।

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बात यहीं समाप्त नहीं होती है। कोचर परिवार के कारोबार की कहानी के अगले पड़ाव में शरद शंकर म्हात्रे के साथ परिवार के गहरे संबंधों की पोल खुलती है, जो उनकी अनेक कंपनियों में निदेशक के पद पर विराजमान रहते हैं। ऐसी ही एक कंपनी है ओपेल प्रपर्टीज जिसमें म्हात्रे 21 जून, 2006 से निदेशक रहे हैं। ओपेल में हालांकि न तो राजीव और न ही दीपक कोचर निदेशक हैं। जयपाल अजीत सिंह भाटिया और अमित चिमनलाल शाह द्वारा एक लाख रुपये की अधिकृत पूंजी से जुलाई 2003 में शुरू की गई कंपनी का स्वामित्व 2006 में बदल गया और इसका अधिग्रहण सर्वव्यापी पैसिफिक कैपिटल सर्विसेज ने कर लिया।

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उत्सुकता की बात यह है कि पीसीएसपीएल में 91 फीसदी स्वामित्व नीलम महेश आडवाणी का है, जो चंदा कोचर की भाभी हैं। वर्ष 2005 और 2006 के दौरान ओपेल की पूंजी में भारी इजाफा होता है और यह 31 मार्च, 2006 को 6.31 करोड़ रुपए हो जाती है, जोकि 31 मार्च, 2005 को महज एक लाख रुपये थी। यह अगले सात साल तक कायम रहता है। ओपेन वित्त वर्ष 2014-15 में 11.29 करोड़ रुपये का असुरक्षित कर्ज लेती है।

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म्हात्रे और कोचर के संबंधों की जड़ का पता लगाने के लिए वापस एलिगेंट इन्वेस्ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड के पास जाना होगा, जहां शरद म्हात्रे निदेशक हैं। कंपनी को दिए अपने आवेदन में उन्होंने खुद का पेशा सेवा के रूप में बताई है। एलिगेंट इन्वेस्ट्रेड को कोचर बंधु की अगुवा कंपनी मानी जाती है। इसका स्वामित्व बदल गया है और इसका स्वामित्व क्वालिटी एडवाइजर्स नामक ट्रस्ट के पास चला गया है।

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आरोप है कि कोचर परिवार के रिन्यूएबल्स का साम्राज्य न्यूपॉवर की परिसंपत्ति पिनाकल इनर्जी के पास है। यह एक ट्रस्ट है, जिसके लाभार्थी कोचर परिवार के सदस्य हैं।

गहरी तहकीकात करने पर पता चलता है कि म्हात्रे न्यूपॉवर विंड फार्म्स लिमिटेड, क्रेडेंशियल प्राइवेट लिमिटेड, डेजी फिन्वेस्ट, पैसिफिक कैपिटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में निदेशक हैं। वह निमानी कैपिटल्स प्राइवेट लिमिटेड, ओपेल प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड, मनदीप सॉफ्टवेययर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और सुप्रीम इनर्जी प्राइवेट लिमिटेड में भी निदेशक हैं। इससे चंदा कोचर परिवार के साथ उनके संबंध की पोल खुलती है।

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