अर्थतंत्र

हिंदुत्व को धार देने में रह गई मोदी सरकार, देश की अर्थव्‍यवस्‍था हो गई पंगु- जापानी पत्र‍िका

जापान की आर्थिक पत्रिका एशियन निक्केई ने भी मोदी सरकार पर निशाना साधा है। मैगजीन ने अपने एक लेख में कहा है कि भले ही पीएम मोदी चुनाव जीतने में सक्षम रहे हैं, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था बेहद बिगड़ गई, पंगु हो गई है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

देश की आर्थिक स्थिति को लेकर मोदी सरकार पर सवाल उठते रहे हैं। आर्थिक मुद्दों के जानकारों का भी मानना है कि मोदी सरकार में देश की आर्थिक स्थिति और खराब हुई है। इससे संबंधित खबरें भी देश विदेश की पत्रिकाओं में आती रही है। अब जापान की आर्थिक पत्रिका एशियन निक्केई ने भी मोदी सरकार पर निशाना साधा है। मैगजीन ने अपने एक लेख में कहा है कि भले ही पीएम मोदी चुनाव जीतने में सक्षम रहे हैं, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था बेहद बिगड़ गई, पंगु हो गई है।

Published: 11 Mar 2020, 4:30 PM IST

कॉलमिस्ट हेनी सेंडर ने पत्रिका में लिखे अपने लेख में कहा है कि पीएम मोदी ने 2014 में देश को गुजरात जैसी ग्रोथ देने का वादा कर सत्ता हासिल की थी। हालांकि नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसले लेने के चलते ग्रोथ की बजाय गिरावट देखने को मिली।

पत्रिका में मोदी सरकार पर बेहद ही गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस लेख में कहा गया है कि मोदी सरकार आर्थिक चुनौतियों से निपटने के बजाए हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने में लगी है। लेख में लिखा गया है, ‘जनादेश का इस्तेमाल आर्थिक चुनौतियों से निपटने में करने की बजाय मोदी सरकार ने हिंदुत्व के एजेंडे को दोहरा कर दिया। हिंदुत्व को ही देश की पहचान के केंद्र में रखने की कोशिश करते हुए जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म किया गया और नागरिकता कानून में संशोधन किया गया।’ मैगजीन ने कहा कि सरकार के तमाम फैसलों में बड़े सामाजिक बदलाव की बात की गई, लेकिन अर्थव्यवस्था के मसले को किनारे ही लगा दिया गया।

Published: 11 Mar 2020, 4:30 PM IST

इस लेख में भारत में मांग में तेजी से आ रही कमी के बारे में भी जिक्र है। मैगजीने ने फूड कंपनी निस्सिन फूड्स के इंडिया ऑपरेशन हेड गौतम शर्मा के हवाले से लिखा है कि देश का उपभोक्ता अपने खर्चों में कटौती करने को मजबूर है। हर चीज की बिक्री में कमी आई है। ग्रामीण भारत की बात करें तो ट्रैक्टर से लेकर मैगी और शैंपू के पाउच तक की डिमांड कम हुई है। शर्मा के मुताबिक लोग तब उपभोग करते हैं, जब उन्हें अपना भविष्य सुरक्षित लगे, लेकिन सरकार ने उनके भरोसे को खत्म कर दिया है। लेख में ऑटोमोबाइल सेक्टर से लेकर रियल्टी तक की बात करते हुए कहा गया है कि मंदी की स्थिति में लोग अपने कैश को निकालना नहीं चाहते। आर्टिकल में कहा गया है कि निवेशकों का भरोसा खो गया है और जीडीपी में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट की हिस्सेदारी निचले स्तर पर जा पहुंची है।

Published: 11 Mar 2020, 4:30 PM IST

लेख में कहा गया है कि मोदी सरकार अपने ज्यादातर फैसले चुनाव को ध्यान में रख कर करती रही है। मैगजीन में नोटबंदी पर भी सवाल उठाए गए हैं। लेख में कहा गया है कि नवंबर, 2016 में ब्लैक मनी पर लगाम कसने के नाम पर कैश में 90 पर्सेंट हिस्सेदारी रखने वाले 500 और 1000 रुपये के नोटों की मान्यता खत्म कर दी गई थी। हालांकि इससे उलटा असर हुआ और कैश पर निर्भर रहने वाले भारतीयों के पास खर्च के लिए रकम की कमी हो गई। जिसकी वजह से देश की आर्थिक स्थिति खराब होती चली गई।

Published: 11 Mar 2020, 4:30 PM IST

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: 11 Mar 2020, 4:30 PM IST